जिस साध्वी पर 40 लोगों की हत्या का आरोप, वह लड़ेंगी भाजपा टिकट पर भोपाल से चुनाव
जिस मालेगांव ब्लास्ट में 40 निर्दोष लोगों की चली गई थी जान, उसकी मुख्य आरोपी और उग्र हिंदुत्व का चेहरा साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा अपने टिकट पर कर रही चुनाव लड़ाने की तैयारी....
जनज्वार। मालेगांव ब्लास्ट के प्रमुख आरोपियों में से एक रहीं और अपने भड़कीले बयानों के लिए चर्चित उग्र हिंदुत्व का चेहरा रहीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर विधिवत आज भाजपा में शामिल हो गई हैं। आज उन्होंने मध्य प्रदेश भाजपा के भोपाल दफ्तर पहुंचकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। खबर है कि वह भाजपा की टिकट पर भोपाल सीट से दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरेंगी।
भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि मेरे सामने अब कोई चुनौती नहीं है, मैं भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ूंगी और जीतूंगी भी। गौरतलब है कि भोपाल लोकसभा सीट पर 12 मई को चुनाव होना है, जिसके लिए 16 अप्रैल से नामांकन शुरू हो गया है।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पहली बार तब चर्चा में आई, जब 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस आरोप में प्रज्ञान ने 9 वर्षों तक जेल की सजा काटी, फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं। जेल से बाहर आने के बाद प्रज्ञा ने आरोप लगाया था कि उन्हें लगातार 23 दिनों तक यातना दी गई थी। तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने 'हिंदू आतंकवाद' का जुमला गढ़ा और इस नैरेटिव को सेट करने के लिए मुझे झूठे केस में फंसाया था।
गौरतलब है कि मालेगांव ब्लास्ट में 40 लोग मारे गए थे। इसी जांच एटीएस को सौंपी गई थी, जिसमें एटीएस ने मोटरसाइकिल की चैसीस नम्बर से मिले सुराग के आधार पर सबसे पहले साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को आरोपी बनाया था क्योंकि धमाके में इस्तेमाल मोटरसाइकिल साध्वी के नाम से रजिस्टर्ड थी। उसके बाद स्वामी दयानंद पांडे, मेजर रमेश उपाध्याय और कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित समेत कुल 11 की इस मामले में गिरफ्तारी की गई थी।
इसी जांच के बाद 20 नवंबर 2008 को आरोपियों पर मकोका लगाया गया गया था। एटीएस ने 21 जनवरी 2009 को अपना पहला आरोप पत्र दायर करते हुए 11 गिरफ्तार आरोपियों और 3 फरार आरोपियों की लिस्ट कोर्ट को सौंपी थी। हालांकि बाद में इसकी जांच एनआईए को सौंप दी गई। इस मसले पर एनआईए ने लगभग 4 साल इस केस की जांच करने के बाद 31 मई 2016 को नई चार्जशीट फाइल की थी।
नई चार्जशीट दाखिल करते हुए एनआईए ने रमेश शिवाजी उपाध्याय, समीर शरद कुलकर्णी, अजय राहिरकर, राकेश धावड़े, जगदीश महात्रे, कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी उर्फ स्वामी दयानंद पांडे सुधाकर चतुर्वेदी, रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा किया था।
जबकि 27 दिसंबर, 2017 को इस मसले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण कालसांगरा, श्याम भवरलाल साहू, प्रवीण टक्कलकी, लोकेश शर्मा, धानसिंह चौधरी के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक पुख्ता सबूत नहीं होने का दावा किया था।
एनआईए ने इस मामले पर मकोका लगाने के लिए जरूरी आधार नहीं होने का दावा किया था, जबकि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित समेत अन्य आरोपियों ने खुद को बेगुनाह बताते हुए खुद को बरी किए जाने की याचिका कोर्ट में दायर की थी।
बीजेपी और संघ के बड़े लोगों का हाथ सिर पर होने के चलते प्रज्ञा समेत बीजेपी के तमाम चहेते इस केस से बरी होते नजर आ रहे हैं। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि जिस मालेगांव ब्लास्ट में 40 निर्दोष लोगों की जान चली जाती है, उसकी मुख्य आरोपी साध्वी को भाजपा अपने टिकट पर चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है।