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राजनीति

CAA और NRC के खिलाफ झारखंड में भी प्रदर्शन, महागठबंधन बोला जनता नहीं आने वाली भगवा पार्टी के झांसे में

Prema Negi
29 Dec 2019 3:31 PM IST
CAA और NRC के खिलाफ झारखंड में भी प्रदर्शन, महागठबंधन बोला जनता नहीं आने वाली भगवा पार्टी के झांसे में
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CAA और NRC पर झारखंड का महागठबंधन बोला भाजपा की मंशा भ्रष्टाचार के मसले से लोगों का ध्यान बंटाने का है और इसीलिए ऐसे कार्य लगातार किये जा रहे हैं, जिससे देश जलता रहे और लोगों का ध्यान दूसरी ओर बंट जाये...

अनिमेष बागची

जनज्वार। झारखंड में हुए हालिया विधानसभा चुनाव के चलते राज्य का जनमानस इन चुनावों में इस कदर उलझ गया था कि देशभर में कैब और एनआरसी के मसलों पर भारी विरोध प्रदर्शनों से अब तक राज्य अछूता ही रहा। भले ही बीच-बीच में इस बारे में चर्चाओं का दौर चला और अफवाहों के आधार पर खासकर राजधानी रांची में पुलिसिया प्रबंध तगड़े कर दिये गये, लेकिन विरोध प्रदर्शनों की अफवाह महज अफवाह तक ही सीमित रही।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भले ही इस राष्ट्रीय मुद्दे पर जनता को बरगलाने की अपने चुनाव प्रचार के दौरान खूब कोशिश की थी, लेकिन इस मुद्दे पर लोगों के ध्रुवीकरण की उनकी सारी कोशिश नाकाम ही साबित हुईं। चुनाव में भाजपा को जनता ने पूरी तरह से नकार कर राज्य में महागठबंधन को अवसर दिया है। इससे इस मसले पर राज्य में भाजपा के तेवर भी फिलहाल ठंडे पड़े हुए हैं।

मशेदपुर में NRC और CAA के विरोध पर जिस तरह जनमानस ने बड़ी तादाद में पहुंचकर मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों की बखियां उधेड़ी हैं, उसी गूंज पूरे राज्य में अब सुनायी देनी लगी है। जमशेदपुर के मानगो मैदान में आल इंडिया माइनोरिटी सोशल वेलफयर की हल्ला बोल रैली में लोगों की रिकाॅर्डतोड़ शिरकत का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि मैदान में तिल रखने की भी जगह नहीं थी।

स मौके पर जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव को भी आमंत्रित किया गया था। रैली के मौके पर वक्ताओं ने मोदी सरकार को जमकर कोसा और सरकार के जनविरोधी और फासिस्ट फैसलों का विरोध करने का फैसला किया। पप्पू यादव ने एनपीआर को लाने के पीछे सरकार की मंशा का भी पर्दाफाश किया।

न्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सरकारी अधिकारी यदि किसी कागज की मांग करते नजर आयें, जो उनको कह देना कि घर में आग लगने के चलते सभी कागजात जल कर राख हो गये हैं। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि सरकार की मंशा भ्रष्टाचार के मसले से लोगों का ध्यान बंटाने का है और इसीलिए ऐसे कार्य लगातार किये जा रहे हैं, जिससे देश जलता रहे और लोगों का ध्यान दूसरी ओर बंट जाये।

रांची में भी मोदी सरकार की नीतियों का लोगों ने समूहों में विरोध किया, हालांकि बड़े प्रदर्शनों से रांची के लोगों ने अब तक दूरी बनायी हुई है। आगामी 8 जनवरी को कई संगठनों ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में राजभवन के समक्ष प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। इसमें आदिवासी जन परिषद्, सरना युवक संघ, आदिवासी सेना, अंबेडकर विचार मंच, मजलिस उलेमा झारखंड तंजीम उलेमा, झारखंड छात्र संघ, आल मुस्लिम यूथ एसोसिएशन आदि कई संगठन शामिल होंगे।

नागरिकता कानून 1952 और संशोधित नागरिकता कानून 2003 के अनुसार शरणार्थियों को नागरिकता देने से देश की जनता को कोई विरोध नहीं है, लेकिन संविधान की मूल आत्मा को समाप्त कर धर्म के आधार पर नागरिकता कानून को लागू करने के प्रयासों का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया जायेगा।

ज शपथ ग्रहण कर चुके राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी कई संगठनों ने अपील कर कहा है कि वे प्रस्तावित कानून को राज्य में लागू ना करें। हेमंत ने पहले ही कह दिया था कि वे इस कानून से जुड़ी तमाम बारीकियों का अध्ययन कर ही इस बारे में कोई फैसला लेंगे और उन्हें इस बारे में कोई जल्दबाजी नहीं है।

राज्य के संथालपरगना क्षेत्र में एनआरसी को लेकर पहले से ही राजनीतिक दलों में रस्साकशी जोरों पर है। राज्य में पाकुड़, राजमहल जैसे जिलों में बांग्लादेशियों के कथित घुसपैठ के मसले पर संसद में भाजपा सांसदों ने कई बार हंगामा किया है। सांसद निशिकांत दुबे इस मामले में काफी मुखर रहे हैं और वे राज्य में रघुवर सरकार को हमेशा NRC लगाने के लिए अपील करते नजर आते थे। दूसरी ओर पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम और जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी ने लोगों से धर्म के आधार पर इस भेदभावपूर्ण कानून के विरोध की अपील की है।

रफान कहते हैं कि भाजपा इस कानून के प्रचार के माध्यम से संथाल के लोगों को इनके रोजी-रोजगार से जुड़े मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रही है और लोगों को भाजपा के कुत्सित इरादों के प्रति सचेत रहना चाहिए। इस बार संथाल में रिकाॅर्डतोड़ वोटिंग और महागठबंधन के प्रति लोगों के बंपर रूझान ने साबित कर दिया कि अब लोग भाजपा के बांटो और राज करो की नीति से सचेत हो गये हैं और अब वे भगवा पार्टी के झांसे में नहीं आने वाले।

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