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राजनीति

पाकिस्तान से मिलती हैं इस जिले की सीमाएं, CAA और NRC के विरोध में हुए प्रदर्शनों में कायम की शांति की मिसाल

Prema Negi
28 Dec 2019 4:04 PM IST
पाकिस्तान से मिलती हैं इस जिले की सीमाएं, CAA और NRC के विरोध में हुए प्रदर्शनों में कायम की शांति की मिसाल
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हजारों की संख्या में जुटे लोग, मगर कहीं पर भी नहीं घटी कोई अप्रिय घटना या दंगा, जबकि देशभर के अलग-अलग हिस्सों में CAA और NRC के विरोध में हो रहे प्रदर्शन हो रहे हिंसक, दर्जनों की मौत और सैकड़ों पुलिस हिरासत में....

कच्छ से दत्तेश भावसार की रिपोर्ट

जनज्वार। CAA और NRC के विरोध में और समर्थन में पूरे देश में कई जगह प्रदर्शन हो रहे हैं ऐसे ही कई प्रदर्शन गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र में भी हुए, मगर यहां प्रदर्शनों की खासियत यह रही कि किसी भी तरह की हिंसक वारदात नहीं हुई। कच्छ और सौराष्ट्र में जहां सारे प्रदर्शन शांतिपूर्वक हुए, वहीं गुजरात में ही कई अन्य जगहों अहमदाबाद, वडोदरा जैसे क्षेत्रों में अप्रिय घटनाओं और दंगे जैसे हालात की खबरें सामने आयीं।

गौरतलब है कि CAA और NRC के विरोध और समर्थन में भी गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय और हिंदू समुदायों द्वारा रैलियां निकाली गईं, मगर किसी भी रैली में कोई अप्रिय घटना नहीं घटी।

CAA और NRC के विरोध में कच्छ के भुज शहर में कच्छ जिला सुन्नी मुस्लिम हित रक्षक समिति ने बहुत बड़ी रैली का आयोजन किया था। इसमें अंदाजन 30000 से 35000 लोग इकट्ठा हुए थे और 3 किलोमीटर की रैली निकालकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर रैली को खत्म किया गया था। 35000 लोगों के जुटने के बावजूद कहीं पर भी कोई अप्रिय घटना नहीं घटी।

मिति के प्रमुख इब्राहिम हलेपोत्रा के अनुसार उनकी समिति यह दोनों बिलों का विरोध करती है, परंतु संविधान ने जो अधिकार दिए हैं उस अधिकार के तहत ही पूरा कार्यक्रम किया गया था। इस पूरी रैली मैं सारे लोगों ने संविधान का पालन करते हुए शांतिपूर्वक तरीके से रैली को अंजाम तक पहुंचाया।

मिति के उप प्रमुख आदम पडियार के अनुसार यह दो बिल मात्र लोगों का ध्यान भटकाने के लिए लाए गए हैं। देश के आर्थिक हालात बहुत ही खराब नजर आ रहे हैं। वास्तव में जीडीपी 9% होनी चाहिए, परंतु अभी जीडीपी ग्रोथ बहुत ही नीचे आ चुकी है, इसलिए लोगों का ध्यान भटकाने के लिए मोदी सरकार यह बिल लेकर आयी है।

दूसरी तरफ इन दोनों बिलों के समर्थन में भी कच्छ में संविधान बचाओ रैली निकाली गई थी। उस रैली के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से पूरे मुस्लिम समुदाय को इब्राहिम हलेपोत्र ने मना किया था। उन्होंने मुस्लिम समुदाय को चेतावनी दी थी कि जैसे हमें विरोध करने का अधिकार है, वैसे ही हर भारत के नागरिक को समर्थन करने का भी अधिकार दिया गया है। इस अधिकार के तहत शांतिपूर्वक रैली निकलती है, तो उसके बारे में कोई टिप्पणी मुस्लिम समुदाय नहीं करेगा।

CAA और NRC के विरोध में राजकोट में कई छोटे-मोटे प्रदर्शन हुए। राजकोट के स्थानीय पत्रकार महबूब हाला के अनुसार भिन्न-भिन्न समुदायों की तरफ से यह दोनों बिल के विरोध में तीन से चार अलग-अलग रैलियां निकालकर जिला अधिकारी को ज्ञापन देने का कार्यक्रम हुआ था। वह सारे कार्यक्रम शांतिपूर्वक तरीके से हो गए। पूरे राजकोट और मोरबी विस्तार में किसी भी अप्रिय घटना का समाचार सामने नहीं आया।

वाकानेर में भी 10000 से 12000 लोगों की बड़ी रैली निकाली गई। वाकानेर के स्थानीय पत्रकार तौफीक अमरेलिया के अनुसार 10000 से 12000 लोगों के समूह में रैली निकालने के बाद जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने तक के कार्यक्रम में किसी भी अप्रिय घटना का कोई समाचार नहीं मिला। यह पूरा आयोजन वाकानेर के विधायक जावीद पीरजादा की अगुवाई में हुआ था और यह कार्यक्रम भी पूरी तरीके से शांतिपूर्वक समाप्त हुआ।

जामनगर जिले में भी इसी तरह से 20000 से 25000 लोगों की रैली निकालकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया था। यह पूरा कार्यक्रम भी शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। कच्छ और सौराष्ट्र में ज्यादातर जगह CAA और NRC के विरोध में जो आयोजन हुए उनमें शांति बनी रही।

CAA और NRC के विरोध में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते कच्छ के लोग

स्थानीय नागरिक भूपेश भाई के मुताबिक हम लोग भाईचारे से रहते हैं। कच्छ जिले में 25 से 30 % मुस्लिम आबादी होने के बावजूद भी कभी भी दंगा नहीं हुआ और लोग भाईचारे से रहते हैं। यहां तक कि गुजरात में जब गोधरा कांड हुआ था, उसके बाद भी कुछ जिलों में कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। इनमें से हमारा जिला कच्छ भी एक था।

हीं भुज शहर में CAA और NRC के समर्थन में संविधान बचाओ रैली का आयोजन किया गया था। वह रैली भी अंदाजन चार किलोमीटर लंबी थी। उस रैली में भी हजारों लोग जुटे थे। हालांकि सुरक्षा के मद्देनजर पहले रैली को परमिशन नहीं मिली थी। इसके 2 दिन बाद रैली निकाली गई और पूरी रैली शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न हुई।

च्छ और सौराष्ट्र में CAA और NRC के विरोध में ज्यादातर रैलियां हुई हैं, जबकि 1-2 रैली समर्थन में भी हुई, बावजूद इसके हिंदू और मुस्लिम समुदाय शांतिपूर्वक एक दूसरे के साथ रहते हैं।

च्छ जिले की सीमाएं पाकिस्तान से मिलती हैं। बावजूद इसके कच्छ में हिंदू—मुस्लिम दोनों बहुत शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं। पूरे भारत में कई जगह प्रदर्शनों में अप्रिय घटनाएं घटी हैं, परंतु कच्छ जिले में अभी तक ऐसी कोई भी घटना न होना कच्छ की कौमी एकता को बहुत ही मजबूती प्रदान करता है। काश कच्छ की कौमी एकता पूरे देश के लिए मिसाल बने और लोग धर्म के आधार पर एक दूसरे के खिलाफ खड़े न हों।

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