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हिंदू दोस्त की गाड़ी से जा रहा था मुस्लिम परिवार तो ट्रैफिक पुलिस ने काट दिया चालान
योगीराज में क्या पुलिस भी रंग चुकी है पूरे सांप्रदायिक रंग में, हिंदू दोस्त की गाड़ी से जा रहे मुस्लिम परिवार से योगी की पुलिस बोली हिंदू-मुस्लिम नहीं हो सकते कभी दोस्त और थमा दिया चालान....
जनज्वार, प्रयागराज। प्रयागराज की ट्रैफिक पुलिस का मानना है कि हिन्दू और मुसलमान दोस्त नहीं हो सकते हैं। घटनाक्रम के मुताबिक शनिवार 4 मई को एक मुस्लिम परिवार सुलतानपुर से ट्रेन पकड़ने प्रयागराज अपने हिन्दू दोस्त के जाईलो कार से आ रहा था। दूसरे जिले की नम्बर प्लेट देखते ही ट्रैफिक पुलिस ने जाँच के नाम पर गाड़ी रोक ली और गाड़ी का कागज़ हिन्दू के नाम पर होने के कारण उसका चालान काटने लगी। इस पर परिवार ने कहा कि गाड़ी उनके हिन्दू दोस्त की है तो ट्रैफिक पुलिस कहने लगी कि हिन्दू और मुसलमान दोस्त हो ही नहीं हो सकते हैं। यह गाड़ी प्राइवेट टैक्सी है।
प्रयागराज की ट्रैफिक पुलिस सालोंसाल से वाहन चेकिंग के नाम पर पूरे नगर के विभिन्न स्थानों पर सुबह से देर रात तक वाहनों को रोक रोक चेकिंग करती है और या तो वसूली करती है या चालान काटती है। इसमें ट्रैफिक होमगार्ड भी शामिल रहते हैं। ऐसे में यदि कोई चारपहिया वाहन जिसक रजिस्ट्रेशन दूसरे जिले या प्रदेश का हो तो उसकी शामत आ जाती है।
बिना कुछ दिए उसे ट्रैफिक पुलिस जाने नहीं देती। कुछ नहीं मिलता तो वाहन प्रदूषण जाँच का प्रमाणपत्र न होने के नाम पर ही चालन काट दिया जाता है। यह वसूली खुसरोबाग फ्लाईओवर के दोनों ओर, एंग्लो बंगाली इंटर कालेज के तुरही रोटरी चौराहे के कोने पर, जीप कम्पनी चौराहे पर, सिविल लाइंस के सुभाष चौराहे पर प्रतिदिन होती है। फिर शाम होते ही सिविल लाइंस से तेलियर गंज के बीच कई जगह ट्रैफिक पुलिस की वसूली फील्डिंग सज जाती है।
शनिवार 4 मई को प्रयागराज के सिविल लाइन्स चौराहे पर एक ट्रैफिक दरोगा की पब्लिक ने जमकर धुनाई कर दी। पब्लिक से घिरने के बाद ट्रैफिक दरोगा ने मौके से भागने के लिए दौड़ तक लगा दी, लेकिन एक दूसरे पुलिसवाले की बाइक पर बैठकर भाग रहे ट्रैफिक दरोगा को लोगों ने दौड़ाकर दूसरे चौराहे पर पकड़ लिया और बाइक से उतारकर उसकी जमकर पिटाई कर दी, जिससे उसकी वर्दी फट गई। बीच सड़क पर ट्रैफिक दारोगा की पिटाई होने से तमाशबीनों की भी भारी भीड़ जमा हो गई।
पुलिस के पहुंचने पर हंगामा शांत हुआ और पुलिस ट्रैफिक दरोगा के साथ ही आरोप लगाने वाली महिला और पुरुष को साथ कोतवाली ले गई।
घटनाक्रम के मुताबिक सुलतानपुर जिले से उस्मान इलाहाबाद जंक्शन स्टेशन से मुम्बई की ट्रेन पकड़ने आ रहे थे। सिविल लाइन के हनुमान मंदिर चौराहे पर ट्रैफिक दारोगा ने उनकी गाड़ी रोक ली और कागजात मांगे। ड्राइवर के कागजात दिखाने पर ट्रैफिक दारोगा ने गाड़ी हिन्दू के नाम पर होने और प्राइवेट टैक्सी बताते हुए पांच सौ रुपये का ऑनलाइन चालान काट दिया। जाईलो सवार के बताने पर कि गाड़ी उसके दोस्त की है तो पुलिसवालों का कहना था कि गाड़ी के कागजात हिन्दू के हैं, तो दोस्ती कैसे हो सकती है। इसको लेकर ट्रैफिक दरोगा और गाड़ी में सवार लोगों के बीच विवाद हो गया।
गाड़ी में सवार उस्मान ने दरोगा पर धर्मसूचक शब्द कहकर उसे लात घूसों से मारने का आरोप लगाया और परिवार की महिलाएं भी दरोगा के साथ झगड़ने लगीं। इसी बीच ट्रैफिक बूथ पर पब्लिक का जमावड़ा होता गया और ट्रैफिक दारोगा के साथ लोगों ने धक्का मुक्की शुरु कर दी। जिसके बाद ट्रैफिक दरोगा ने भीड़ से बचने के लिए दौड़ लगा दी, लेकिन लोगों ने उसे दौड़ाकर पकड़ लिया बीच सड़क पर पिटाई शुरू कर दी।
अमेठी के तौसीफ अहमद मुम्बई में एक मेडिकल एजेंसी में सीनियर एमआर हैं। शनिवार 4 मई को उन्हें प्रयागराज से मुम्बई जाने के लिए ट्रेन पकड़नी थी। वह अपने मित्र की कार लेकर प्रयागराज पहुंचे। कार जगदीश चला रहा था। तौसीफ के साथ चार महिलाएं भी कार में थी। दोपहर दो बजे सिविल लाइंस हनुमान मंदिर चौराहे पर ट्रैफिक दरोगा उमाकांत त्रिपाठी वाहनों की चेकिंग कर रहे थे।
बकौल उमाकांत दोपहर दो बजे रांग साइड से आ रही तौसीफ की कार को रोका गया। उन्होंने चालक से पूछा कि गाड़ी की परमिट कहां है। पता चला कि गाड़ी किसी दूसरे के नाम से है। कहासुनी के बाद उन्होंने विभिन्न धाराओं में 500 रुपये का चालान कर दिया। दरोगा का आरोप है कि चालान करने पर नाराज कार सवार ने कॉल करके बाहर से अराजक तत्वों को बुला लिया। कुछ ही देर में वहां कई लोग पहुंच गए। वे बदतमीजी करने लगे। दरोगा का बैच तोड़ दिया। वह जान बचाने के लिए भागे। चौराहे पर लोगों का जमावड़ा लग गया।
मौके पर पहुंची सिविल लाइंस पुलिस ने चालक जगदीश और तौसीफ को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की। पीड़ित परिवार का कहना था कि कार में दूसरे जिले का नंबर देखकर ट्रैफिक दरोगा ने उनके साथ बदतमीजी की। पुलिस चौकी में बुलाकर उन्हें गाली दी। कहने लगे कि बिना परमिट ट्रैवल पर गाड़ी चल रही है।
चैकिंग के नाम पर यहां होने वाली वसूली के सम्बंध में मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडिल पर भी कई बार शिकायत की गयी, लेकिन ट्रैफिक पुलिस के रवैये पर कोई फर्क नहीं पड़ा। कोढ़ में खाज यह भी है कि जब ट्रैफिक पुलिस हट जाती है तो हलके के चौकी प्रभारी वाहन चेकिंग के नाम पर वसूली में लग जाते हैं।