अंबानी के फायदे के लिए मोदी ने किया 3 गुनी कीमत पर राफेल विमान सौदा
कांग्रेस का दावा कि मनमोहन सिंह की सरकार प्रति राफेल लड़ाकू विमान चुका रही थी 570 करोड़, उसी का मोदी सरकार दे रही 1670 करोड़
जनज्वार, दिल्ली। राफेल डील सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं। राफेल की कीमतों पर सवाल उठाते हुए सोशल नेटवर्किंग साइट ट्वीटर पर कहा है कि हमारी सेना फंड की कमी से जूझ रही है, दूसरी तरफ मोदी सरकार ने राफेल डील में 36000 करोड़ का घपला किया है।
भारत ने 36 राफेल फाइटर जेट्स के लिए फ्रांस के साथ 58000 करोड़ की डील की है। यह डील एफडीआई नियमों के तहत हुई है। राफेल समझौते में भारतीय पार्टनर अनिल अंबानी हैं।
लेकिन राफेल डील को लेकर कांग्रेस ने कोई पहली बार आरोप नहीं लगाया है। कांग्रेस इस मामले में नवंबर 2017 में आरोप लगा चुकी है कि राफेल समझौता कर मोदी सरकार ने देश के साथ धोखा किया है। 15 नवंबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था, 'प्रधानमंत्री मोदी ने राफेल डील में अपने बिजनेसमैन दोस्त के लिए देश की सुरक्षा से समझौता किया। इस डील से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचेगा।'
उसी सिलसिले को दोहराते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 16 मार्च को ट्वीट किया है और लिखा है, 'डसाल्ट ने RM (रक्षा मंत्री) का झूठ पकड़ा और रिपोर्ट में एक राफेल पर चुकाई गई कीमत जारी कर दी।'
कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया है कि कतर देश 1319 करोड़ में राफेल खरीद रहा है जबकि मोदी 1670 करोड़ में। पर यूपीए के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह सौदा सिर्फ 570 करोड़ प्रति प्लेन तय किया था। भारत को 36 प्लेन खरीदाना है। इस खरीद में एफडीआई नियमों के तहत राफेल के भारतीय पार्टनर अनिल अंबानी हैं।
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ऐसे में राहुल के आरोप से समझा जा सकता है कि सरकार जो प्रति प्लेन 1100 करोड़ अधिक दे रही है, उसके पीछे असल कारण क्या है। इस मसले पर कांग्रेस प्रधानमंत्री से जवाब चाहती है पर उन्होंने अबतक कोई जवाब नहीं दिया है।
कांग्रेस का कहना है कि राफेल लड़ाकू विमानों की फ्रांसीसी निर्माता कंपनी दशॉ एविएशन से विमान खरीद कर मोदी सरकार ने सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है। पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे देश को इससे और ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
अगर भारत सरकार प्रति प्लेन 1100 करोड़ रुपए अधिक देती है और 36 प्लेन खरीदा जाना है तो देश का फ्रांस से की जाने वाली इस खरीद में कुल 36000 करोड़ का नुकसान होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इन आरोपों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए कि आखिर जो समझौता मनमोहन सिंह की सरकार 4 साल पहले 570 करोड़ प्रति प्लेन कर रही थी, मोदी सरकार उसी तकनीकी और क्षमता वाले लड़ाकू विमान राफेल को तीन गुनी कीमत 1670 करोड़ क्यों खरीद रही है?
गौरतलब है कि भारत का कुल रक्षा बजट 3 लाख 59 000 हजार करोड़ रुपये का है।
इस मसले पर भारतीय दौरे पर आए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी कहा कि यदि भारत इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ किसी तरह की बहस के लिए डील की कुछ बारीकियों पर बात करना चाहता हो तो फ्रांस सरकार इसका कोई विरोध नहीं करेगी।
मैक्रों के मुताबिक टेक्निकल मुद्दों पर गोपनीयता केवल कॉमर्शियल एग्रीमेंट के कारण है। यदि भारत में मोदी सरकार इस डील पर उठ रहे विवादों के बीच विपक्ष के साथ संवाद में कुछ बारीकियों पर से पर्दा उठाना चाहती है तो फ्रांस को इसमें कोई आपत्ति नहीं है।
सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि अब तक केंद्र की मोदी सरकार फ्रांस से गोपनीयता का समझौता का हवाला देकर राफेल सौदे कीमत का खुलासा करने से बच रही थी। इसीलिए लंबे समय से कांग्रेस राफेल डील पर भाजपा सरकार पर हमलावर हो रही है। विमान की भारी कीमतों को लेकर सरकार से जवाब मांग रही है, मगर मोदी ने इस पर चुप्पी साधी हुई है।
क्या है राफेल सौदा और विमान
23 सितंबर, 2016 को फ्रांस के रक्षामंत्री ज्यां ईव द्रियां और भारत के तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने नई दिल्ली में राफेल सौदे पर साइन किए थे। भारत सरकार ने 58000 हजार करोड़ की फ्रांस से डील की थी। डील के तहत 36 राफेल फाइटर जेट विमान मिलने हैं। पहला विमान सितंबर 2019 तक मिलने की उम्मीद है और बाकी विमान बीच-बीच में 2022 तक मिलने की संभावना है।
राफेल विमान फ्रांस की डेसाल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है, जो एक मिनट में 60,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है। साथ ही यह विमान 2200 से 2500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। सबसे खास बात ये है कि इसमें मॉडर्न ‘मिटिअर’ मिसाइल और इजरायली सिस्टम भी मौजूद है।