दलित वकील ने दलितों के साथ भेदभाव की खबर की वाट्सअप ग्रुप पर शेयर तो थाने में भाजपाइयों ने दर्ज करायी शिकायत
ब्राह्मण सभा के पदाधिकारी हैं भाजपा से जुड़े हुए, दलित कार्यकर्ता के खिलाफ इसलिए कराई गई शिकायत दर्ज, क्योंकि उन्होंने केरल में बाढ़ के दौरान हुए दलित भेदभाव की खबर की थी वाट्सअप ग्रुप पर शेयर, अब बनाया जा रहा गिरफ्तारी का दबाव....
प्रेमा नेगी
वह परसों सवर्णों द्वारा आयोजित भारत बंद का दिन 6 सितंबर था, जब राजस्थान के दलित सामाजिक कार्यकर्ता प्रहलाद मेघवाल के खिलाफ 400—500 सवर्ण लोगों का हुजूम थाने में उनके द्वारा केरल में दलितों के साथ हो रहे भेदभाव की फॉरवर्ड प्रेस में प्रेमा नेगी द्वारा लिखी एक न्यूज ‘केरल : बाढ़ में फंसे सवर्णों ने दलितों के हाथ से बना खाना खाने से किया इंकार, मामला दर्ज’, वाट्सअप पर शेयर करने के आधार पर शिकायत दर्ज कराने पहुंचा।
राजस्थान स्थित प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी ब्लॉक स्थित पुलिस स्टेशन में दलित जाति से ताल्लुक रखने वाले, पेशे से वकील प्रहलाद मेघवाल के खिलाफ ब्राहमण समाज के लोगों ने शिकायत दर्ज की है कि वो सोशल मीडिया के माध्यम से सवर्णों के खिलाफ फेक खबर दुष्प्रसारित कर रहे हैं कि केरल बाढ़ के दौरान अलापुझा जिले के हरिपद में 20 लोगों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
ब्राह्मण सभा का कहना है कि प्रहलाद ब्राह्मण समाज को बदनाम करने के लिए साजिशन ऐसी खबरें प्रसारित कर रहे हैं कि वहां सवर्णों ने दलितों का खाना अपने साथ नहीं बनने दिया और न ही उनका बनाया खाना खाया। सवर्णों के लिए राहत कैंप में दूसरा चूल्हा जलाना पड़ा।
जबकि मीडिया में आई तमाम खबरें इस बात की पुष्टि करती हैं कि केरल में बाढ़ राहत कैंपों में दलितों के साथ भेदभाव बरता गया था, कि उनके हाथ का बना खाना सवर्णों ने नहीं खाया था। इतना ही नहीं केरल में एक ब्राह्मण परिवार ने तो राहत का काम कर रहे एक क्रिश्चियन की नाव में चढ़ने से मना कर दिया था और दुबारा वह परिवार नाव में चढ़ा भी तो अपनी शर्तों पर कि तुमसे हमारा शरीर टच नहीं करना चाहिए।
प्रहलाद कहते हैं, मैं जाति से दलित हूं, वकील और दलित कार्यकर्ता के बतौर काम करता हूं। छोटी सादड़ी के लोकल न्यूज वाट्सप ग्रुप पर फॉरवर्ड प्रेस की रिपोर्ट मैंने आरक्षण के खिलाफ लगाई गई एक पोस्ट को टैग करते हुए लगाई थी। रिपोर्ट में तमाम फैक्ट होने के बावजूद मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई। सवर्ण—ब्राह्मण हमारे खिलाफ कुछ भी बोलें—करें हमें कुछ कहने का अधिकार नहीं, मगर हम फैक्ट्स के साथ भी कुछ शेयर करें तो यह प्रतिक्रिया होती है कि वो किस तरह तिलमिलाते हैं।
मेरे खिलाफ फेक न्यूज फैलाने की शिकायत करने वाले ब्राह्मण समाज के ये लोग सत्ताधारी भगवा पार्टी से जुड़े हुए हैं। कोई जिला स्तर पर प्रवक्ता है तो कोई महामंत्री और कोई कार्यकर्ता। ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष घनश्याम मेनारिया की अगुवाई में मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई है। अब ब्राह्मण समाज के दबाव में पुलिस मुझे परेशान कर रही है। मैं घर से बाहर हूं। घर पर पुलिस बार—बार जा रही है। दबाव बनाया जा रहा है कि मुझे जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कार्रवाई की जाए। मुझे डर है कि देशभर में घर रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं की तरह कहीं मैं भी इनका शिकार न हो जाउं।
प्रहलाद कहते हैं मुझे इसलिए टारगेट किया जा रहा है क्योंकि मैं पिछले 4—5 सालों से अपने दलित समाज के दमन के खिलाफ आवाज उठाता हूं, कोर्ट में उनके पक्ष में दलीलें देता हूं, जिससे सवर्ण चिढ़े हुए हैं। जो किसी मूवमेंट को लीड करता है उसे ही प्रेशर में ले जाएंगे तो पूरा मूवमेंट खत्म हो जाएगा। सवर्णों के कई सारे मामलों को उजागर करने में मेरी मुख्य भूमिका रही है, एक षड्यंत्र के तहत भारत बंद का सहारा लेते हुए मेरे खिलाफ कंप्लेंट दर्ज करवाई गई।
मेरे गांव कारूंडा में 2015 में एक घटना घटी थी जिसमें सवर्णों ने श्मशान घाट पर एक दलित की लाश जलाने का विरोध किया था। जब दलित के परिजन अपने प्रिय के फूल चुनने वहां तीसरे दिन गए तो वहां पर उन्हें एक चुटकी राख तक नसीब नहीं हुई। इस मामले को मैंने उठाया था, जिसके बाद गांव के ही सवर्ण मुझसे चिढ़े हुए थे।
गौरतलब है कि केरल में केरला पुलायार महासभा ने जुलाई में जिलाधिकारी को दी गई अपनी शिकायत में कहा कि अंजीलीमूदू के पालीपद प्राथमिक विद्यालय में लगे खाने के कैंप में कुछ लोगों ने दलितों को बहुत बेइज्जत किया और उनका बनाया खाना नहीं खाया। सवर्णों के लिए इस राहत कैंप में दूसरा चूल्हा जलाना पड़ा था।
शिकायत के संबंध में हमने छोटी सादड़ी थाना के प्रभारी प्रवीण टांक से दूरभाष पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। इस संबध में संपर्क करने पर प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक शिवराज मीणा ने कहा कि वे इससे संबंधित थाना प्रभारी से इस संबंध में जानकारी ले रहे हैं।
(यह खबर पहले फॉरवर्ड प्रेस में प्रकाशित)