Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

मार्च में 100 करोड़ के मुनाफे में रहा पंजाब-महाराष्ट्र बैंक सरकार की इन कमियों के कारण ​हुआ दिवालिया ?

Prema Negi
25 Sept 2019 8:43 PM IST
मार्च में 100 करोड़ के मुनाफे में रहा पंजाब-महाराष्ट्र बैंक सरकार की इन कमियों के कारण ​हुआ दिवालिया ?
x

डांवाडोल होती देश की अर्थव्यवस्था में आने वाले समय में कई अन्य बैंक व वित्तीय संस्थान भी अचानक पंजाब-महाराष्ट्र कोपरेटिव बैंक लिमिटेड की तरह ग्राहकों का का जमा पैसा देने से इंकार कर दे तो चौंकिएगा मत, इसके लिए तैयार रहिए...

पंजाब-महाराष्ट्र कोपरेटिव बैंक लिमिटेड के दिवालिया होने पर मुनीष कुमार की टिप्पणी

मार्च, 2019 की बैलेंस सीट में 100 करोड़ रुपये का मुनाफा दिखाने वाला पंजाब-महाराष्ट्र कोपरेटिव बैंक लिमिटेड (पीएमसी) दिवालिया कैसे हो सकता है। रिजर्व बैंक नेपीएमसी केव्यापार करने एवं खाताधारकों को अपनी जमा राशि में से 1 हजार रुपए से अधिक की राशि निकालने पर रोक लगा दी है।

रिजर्व बैंक ने अग्रिम आदेश तक पीएमसी में निदेशकों की जगह बैंकिग रेगुलेशन एक्ट 1949 के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एक प्रशासक नियुक्त कर दिया है। जिन लोगों का पीएमसी में पैसा जमा है वह अपने बैंक खातों में से अगले छह माह के भीतर मात्र 1 हजार रुपए ही निकाल पाएंगे। पीएमसी की गोवा, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश कर्नाटक व गुजरात में कुल 137 बैंक शाखाएं हैं। इन 137 शाखाओं में बैंक के ग्राहकों का कुल 11 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक पैसा जमा है, जो कि फिलहाल अधर में हैं।

पीएमसी की इस घटना से स्पष्ट हो गया है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर से रियल स्टेट होते हुए मंदी बैंकिंग सेक्टर में भी पैर पसार चुकी है। इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2019 में देश के कुल 1542 अर्बन कोपरेटिव बैंकों में से 46 बैंक घाटे में चल रहे हैं। इनमें से 26 में रिजर्व बैंक अपना प्रशासक नियुक्त कर चुका है।

पीएमसी का ऑडिट करने वाली फर्म लकडावाला एंड कम्पनी की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में है। पीएमसी की वर्ष 2018-2019 की बैलेंस सीट में 11617 करोड़ रुपए की जमा राशियां दिख रहा है तथा लोन व एडवांसेज की मद में 8383 करोड़ रुपए दर्शाए गये हैं। मुनाफा 99.69 करोड़ रुपए दर्शाया गया है। बैंक का एनपीए मात्र 2.19 प्रतिशत ही दिखाया जा रहा है। सवाल उठना लाजिमी है कि अचानक 6 माह में ऐसा क्या हो गया कि बैंक को बंद करने की नौबत आ गयी है।

पीएमसी की खस्ता हालत के पीछे बड़ा कारण रियल स्टेट कम्पनी हाउसिंग डेबलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) का दिवालिया होना बताया जा रहा है। अगस्त माह में बैंक आफ इंडिया ने एचडीआईएलके ऊपर 522 करोड़ रुपए की बकाया राशि की वसूली का मामला नेशनल कम्पनी लाॅ ट्रिब्यूनल में डाला था, जिसको लेकर ट्रिब्यूनल ने वसूली हेतु इंटरिम रिजोल्यूशन प्राफेशनल नियुक्त कर दिया है तथा बकाया वसूली के लिए कमेटी आफ क्रेडिटर्स भी गठित की जा चुकी है। कोरपोरेशन बैंक, सिंडिकेट बैंक, देना बैंक व इंडियन बैंक का भी एचडीआईएल पर करोड़ों रुपए का बकाया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पीएएमसी का अकेले एचडीआईएल पर ही 2500 करोड़ रुपए बकाया है। सरकार ने जो नया दीवाला कानून इंसोलवेंसी एंड बैंकरप्टी कोड 2016 बनाया है, उसमें इस बात का प्रावधान है कि किसी व्यक्ति की मात्र वही सम्पत्ति कुर्क की जाएगी, जिसे दिवालिया घोषित किया गया है। उससे अतिरिक्त उसके पास कोई अन्य सम्पत्ति है तो वह सुरक्षित रहेगी।

देश में एक आम आदमी को बैंक उससे गारन्टी व सिक्योरिटी लिए बगैर एक रुपया भी लोन का नहीं देते, परन्तु देश के पूजीपतियों को करोड़ों-अरबों के लोन कारखाना व माल की वैल्यू पर पलक झपकते ही मिल जाते हैं। उनके द्वारा लगाए गये प्रोजेक्ट में हाने वाले लाभ के वे स्वयं हकदार होते हैं। घाटा अथवा दिवलिया होने पर इसकी कीमत आम आदमी को चुकानी पड़ती है। एचडीआईएल को पीएमसी द्वारा दिये गये कर्ज के मामले में भी ऐसा ही होने जा रहा है। इसका एक ही मतलब है लाभ निजी व घाटा सार्वजनिक।

नेशनल कम्पनी लाॅ ट्रिब्यूनल द्वारा नियुक्त रिजोल्यूशन प्राफेशनल बकाया वसूली के लिए एक ऐसे खरीददार की तलाश करेगा, जो एचडीआईएल का बकाया चुकाकर उसका अधिग्रहण कर ले। अगले 6 माह में यदि एचडीआईएल का कोई भी खरीददार नहीं मिला तो कम्पनी की सभी चल-अचल सम्पतियों की नीलामी कर दी जाएगी। नीलामी से प्राप्त धनराशि सभी लेनदारों में उनके शेयर के अनुरूप वितरित कर दी जाएगी। मान लीजिए कम्पनी की बकाया 4 हजार करोड़ रुप की है और उसकी नीलामी से 4 सौ करोड़ रुपए एकत्र होते हैं तो सभी लेनदारों को उनकी बकाया राशि का 10 प्रतिशत वितरित कर दिया जाएगा।

देश की अर्थव्यवस्था की हालत बेहद डांवाडोल है। आने वाले समय में कई अन्य बैंक व वित्तीय संस्थान भी अचानक पंजाब-महाराष्ट्र कोपरेटिव बैंक लिमिटेड की तरह ही आपको आपका जमा पैसा देने से इंकार कर दे तो आप चौंकिएगा मत। इसके लिए तैयार रहिए।

(मुनीष कुमार समाजवादी लोक मंच के सहसंयोजक हैं।)

Next Story

विविध