उत्तराखण्ड के दलित मंत्री का मंदिर प्रेम और भाजपा समर्थकों की पर्यावरण चिंता
जागेश्वर धाम मंदिर में पिछले वर्ष भी मंदिर के कुछ पुजारियों ने नियमों को ताक पर रखकर इन भाजपाई काबीना मंत्री को कराई थी रुद्राभिषेक पूजा...
देहरादून से मनु मनस्वी की रिपोर्ट
उत्तराखण्ड के काबीना मंत्री यशपाल आर्य अब अपनी ही पार्टी के निशाने पर आ गए हैं। आर्य के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने और रातोंरात भाजपा से विधायकी का टिकट हासिल कर जीतने के बाद मंत्री बन जाना भाजपा के कुछ नेताओं को रास नहीं आ रहा था। हो भी क्यों न। वर्षों से पार्टी की सेवा कर रहे कार्यकर्ताओं को आर्य के लिए दरकिनार कर दिया गया था।
आर्य से असंतुष्ट भाजपा के ये नेता उनके खिलाफ किसी बड़े मुद्दे की तलाश में थे, जिस पर वे आर्य को घेर सकें। अब आर्य द्वारा जागेश्वर धाम में की गई पूजा के बाद उन्हें एक बड़ा मुद्दा मिल गया है, जो आर्य के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।
कहना न होगा कि जिन भाजपाइयों को यशपाल का कांग्रेस छोड़ भाजपा में आना रास नहीं आ रहा था, उन्हें बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया है। ये तमाम भाजपाई वरिष्ठ नेताओं तक यह संदेश पहुंचाने में लगे हैं कि यशपाल आर्य को नियम कानूनों की कोई परवाह नहीं।
बताते चलें कि विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम के महामृत्युंजय मंदिर में शनिवार 11 अगस्त को प्रदेश के काबीना मंत्री यशपाल आर्य ने मंदिर के गर्भगृह में रुद्राभिषेक पूजा की थी, जबकि जागेश्वर धाम के महामृत्युंजय मंदिर के गर्भगृह में रूद्राभिषेक पूजा को लगभग दो वर्ष पहले पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया था।
11 अगस्त को परिवहन व समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य जागेश्वर धाम पहुंचे। सुबह करीब साढ़े चार बजे मंदिर के कुछ पुजारियों ने उन्हें प्रतिबंध के बावजूद मंदिर के गर्भगृह में रूद्राभिषेक की पूजा कराई। पूजा-अर्चना के दौरान पूजन सामग्री का भी प्रयोग किया गया।
मंदिर कमेटी के सदस्यों को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया। आनन-फानन में मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों ने संबंधित पुजारियों को नोटिस भी जारी कर दिए हैं।
यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। पिछली बार भी यहां पूजा कराने वाले यशपाल आर्य ही थे। जागेश्वर धाम मंदिर में पिछले वर्ष भी मंदिर के कुछ पुजारियों ने नियमों को ताक पर रखकर काबीना मंत्री यशपाल आर्य से रुद्राभिषेक पूजा कराई थी। इसका भी काफी विरोध हुआ था, लेकिन इस बार फिर मंदिर के पुजारियों ने नियमों को ताक पर रखकर आर्य के हाथों पूजा कराई।
एएसआई की रिपोर्ट के बाद प्रतिबंध महामृत्युंजय मंदिर में होने वाली पूजा के दौरान प्रयुक्त सामग्री से शिवलिंग को हो रहे नुकसान के बाद मंदिर कमेटी और जिला प्रशासन ने पहल की थी। इसी को देखते हुए दो साल पहले मंदिर के गर्भगृह में रुद्राभिषेक जैसी पूजा पर रोक लगा दी गई थी।
शिवलिंग को रसायन युक्त सामग्री से हो रहे नुकसान की पुष्टि एएसआइ देहरादून ने भी की थी। मंदिर कमेटी व प्रशासन का मानना था कि इस तरह की पूजा अर्चना में काफी समय लगता है, जिसके चलते देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को यहां काफी समय इंतजार करना पड़ता है। इन कारणों को देखते हुए महामृत्युंजय मंदिर के गर्भगृह में पूजा पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी।
जागेश्वर धाम में काबीना मंत्री के पूजा अर्चना के लिए आने की सूचना प्रशासन को पहले ही दे दी गई थी। मंदिर के कुछ पुजारियों को काबीना मंत्री के आने की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने एसडीएम भनोली को इस बात की जानकारी दे दी थी। पिछले साल भी जब काबीना मंत्री यहां पहुंचे थे तो कुछ पुजारियों ने परंपरा के उलट उनकी पूजा गर्भगृह में आयोजित करा दी थी।
एसडीएम अवधेश कुमार ने इस मामले में कहा कि काबीना मंत्री के आने की खबर पुजारियों द्वारा दी गई थी। पूजा-अर्चना के संबंध में पुजारी ही सही जानकारी दे पाएंगे। मंदिर के लिए बनाए गए नियमों की जानकारी पूर्व में ही मंदिर कमेटी और पुजारियों को दी गई है। उधर जागेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष व जिलाधिकारी अल्मोड़ा नितिन भदौरिया ने संपर्क करने पर अवकाश पर होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।
जागेश्वर मंदिर कमेटी के प्रबंधक भगवान भट्ट के मुताबिक महामृत्युंजय मंदिर के गर्भगृह में रुद्राभिषेक पूजा पर पूरी तरह प्रतिबंध होने के बाद भी कुछ पुजारियों द्वारा इस नियम का उल्लघंन कर यहां पूजा आयोजित कराई गई। सीसीटीवी की फुटेज से भी इस बात की पुष्टि हुई है। मामले में संबंधित पुजारियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। शीघ्र ही मंदिर कमेटी की बैठक कर इस मामले में कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।