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कोरोना वायरस के चलते भूखे पेट सो रहे भिक्षा मांगकर जीवन-यापन करने वाले संत-महात्मा

Janjwar Team
25 March 2020 11:00 AM IST
कोरोना वायरस के चलते भूखे पेट सो रहे भिक्षा मांगकर जीवन-यापन करने वाले संत-महात्मा
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कोरोना वायरस के चलते हरिद्वार में भिक्षावृत्ति से जीवन यापन करने वालों पर संकट, लॉकडाउन के बाद और बिगड़ सकती है स्थिति, इस तरह के हजारों की संख्या में भिक्षा मांगकर गुजारा करते हैं संत महात्मा...

जनज्वार। कोरोना वायरस से जहां देश के अधिकांश राज्य लॉकडाउन हैं या लॉकडाउन की स्थिति में हैं। वहीं बेघर और भिक्षावृत्ति से अपना जीवन यापन करने वाले लोगों के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। कोरोना वायरस के चलते ऐसे समय में घरों और सड़कों पर संत महात्माओं को भिक्षा भी नहीं मिल रही है जिससे उनके लिए भुखमरी की संभावना बढ़ गई है।

कोरोना वायरस के चलते तीर्थनगरी हरिद्वार के सभी मंदिरों और आश्रमों में भोजन वितरण का काम बंद हो चुका है। जिसके कारण परेशान संत-महात्मा भूख से मर रहे हैं, उन्हें इन दिनों कोई पूछने वाला नहीं है कि आपको भोजन मिल रहा है या नहीं। बल्कि लोग उन्हें दूर से ही भगा देते हैं। भोजन के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि पिछले दो दिन से भोजन नहीं किया है।

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बुलंदशहर से मजदूरी करने आए मोहराब कहते हैं, यहीं मजदूरी करते हैं। अब मजदूरी नहीं मिल रही है। मजदूरी खत्म, रोटी खत्म। अब पैसा भी नहीं है, अब परमात्मा का बस सहारा रहा है, अब जी रहे हैं जब तक जी रहे हैं। दो लोग भी इस इलाके में कल भूख से परेशान होकर मर गए। बाबा लोग भी, हम लोग भी सब परेशान हैं।

मांगकर रोज शाम की रोटी जुटाने वाले एक बाबा कहते हैं, 'पहले कोई दिक्कत नहीं थी, अब बहुत ज्यादा दिक्कत है। सभी महात्मा लोग परेशान हैं, भोजन नहीं मिल रहा है। कुछ महात्मा लोग भूखे सो रहे हैं, एक तो ये बगल में ही बैठे हैं। एक दूसरे बाबा ने बताया, पहले कोई दिक्कत नहीं थी, अब बहुत ज्यादा दिक्कत है। सभी महात्मा लोग परेशान हैं, भोजन नहीं मिल रहा है। कुछ महात्मा लोग भूखे सो रहे हैं, एक तो ये बगल में ही बैठे हैं।'

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हेंद्र गिरी बताते हैं, 'कुछ नहीं भोजन मिल रहा है। बीमारी से ज्यादा तो लोग भूख से ही मर जाएंगे। अन्य संत महात्माओं की ओर इशारा करते हुए वह कहते हैं कि देखो सभी लेटे हुए हैं, बाहर घूम रहे हैं। कोई अन्न नहीं दे रहा है, लोग साफ मना कर रहे हैं। चाय तक भी नहीं मिल रही है। पता नहीं किसने सबकुछ बंद करवा दिया है। बहुत दिक्कत हो रही है, सभी गंगा किनारे जा रहे हैं।'

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