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प्रेस रिलीज

जनसरोकारी पत्रकारिता के लिए संजय चौहान को मिला प्रथम चारूचंद्र चंदोला स्मृति पुरस्कार

Prema Negi
2 Oct 2019 8:56 AM IST
जनसरोकारी पत्रकारिता के लिए संजय चौहान को मिला प्रथम चारूचंद्र चंदोला स्मृति पुरस्कार
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संजय चौहान के अलावा पत्रकार मोहित डिमरी और त्रिलोचन तथा तीन महिला पत्रकारों सहारा समय की ज्योत्सना, दैनिक जागरण की रीना डंडरियाल, एपीएन की पूर्णिमा मिश्रा को भी चारू चंद्र स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया...

जनज्वार, देहरादून। स्वतंत्र पत्रकार संजय चौहान को जनसरोकारों की पत्रकारिता के लिए प्रथम चारुचंद्र चंदोला स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया है। देहरादून के नगर निगम सभागार में 29 सितंबर को आयोजित कार्यक्रम में उन्हें यह सम्मान दिया गया। संजय चौहान के अलावा पत्रकार मोहित डिमरी और त्रिलोचन तथा तीन महिला पत्रकारों सहारा समय की ज्योत्सना, दैनिक जागरण की रीना डंडरियाल, एपीएन की पूर्णिमा मिश्रा को भी चारू चंद्र स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।

हीं वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा को लाइफ टाइम एचीवमेंट सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावा सहारा समय के पत्रकार स्व. मनोज कंडवाल की पत्नी दीपिका कंडवाल और अमर उजाला ऋषिकेश के पत्रकार स्व. भुवनेश जखमोला की पत्नी मधु जखमोला को सम्मानित किया गया और उन्हें 11-11 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी गई, जबकि टाइम्स आफ इंडिया के योगेश कुमार, राष्ट्रीय सहारा के अरविंद शेखर, नवोदय टाइम्स के जितेंद्र अंथ्वाल, विचार एक नई सोच पोर्टल के संपादक राकेश बिज्लवाण, अमर उजाला के अनिल चंदोला, दैनिक जागरण के विकास गुसाईं, हिन्दुस्तान के मनमीत सिंह, एचएनएन के पंकज गैरोला, आईनेक्सट के छायाकार अरुण सिंह, सिनेमाटोग्राफर जयदेव भट्टाचार्य, डीडी न्यूज के अवधेश नौटियाल को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।

चारू चंद्र स्मृति सम्मान से सम्मानित होने पर स्वतंत्र पत्रकार संजय चौहान ने कहा कि इस सम्मान से सम्मानित होना मेरे लिए गर्व की बात है। ये सम्मान मेरा सम्मान नहीं बल्कि मेरे पहाड़, मेरी डांडी कांठी, गौं गुठ्यार और लोकसंस्कृति का भी का भी सम्मान है।

संजय चौहान ने पिछले डेढ़ दशक से अपनी लेखनी से उत्तराखंड की लोकसंस्कृति और पहाड़ को नयी पहचान दी है। विश्व सांस्कृतिक धरोहर रम्माण से लेकर बामन द्वादशी मेला, नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा से लेकर नंदा देवी राजजात यात्रा, भोटिया जनजाति की लोकविरासत हो या जौनसार का जागड़ा महोत्सव, उत्तरकाशी की बूढ़ी दीपावली हो या फिर पांडव नृत्य, बगडवाल लोकनृत्य। शायद ही कोई ऐसा विषय हो जिन पर इन्होंने नहीं लिखा हो।

राब के खिलाफ कंडाली आंदोलन हो या फिर गौरा देवी का चिपको आंदोलन। सीमांत जनपद चमोली की नीती घाटी हो या रूद्रप्रयाग का गौंडार गांव हर कोने कोने से बेहतरीन खबरो को देश दुनिया तक पहुंचाया। पलायन से लेकर पर्यटन, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य हर मुद्दे पर वे पिछले 16 सालों से लिख रहे हैं। आज चमोली से लेकर देहरादून और असकोट से लेकर आराकोट तक आज हर कोई इनकी लेखनी का मुरीद है। संजयबिना किसी शोर शराबे से दूर निःस्वार्थ भाव से डेढ़ दशक से पहाड़ यहाँ के आम जनमानस और जनसरोकारों की आवाज बने हुए हैं। इनकी कोशिश होती है कि ये लोगों के कुछ काम आ सकें।

2012 से संजय चौहान ने डिजिटल मीडिया से भी लगातार जनसरोकारों के बारे में आलेख लिखना शुरू किया। डिजिटल मीडिया में इनकी ग्राउंड जीरो से संजय चौहान रिपोर्टों ने उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, पर्यटन, जनसरोकारों से लेकर गुमनाम प्रतिभाओं और लोगों को देश दुनिया के सामने लाये। इनके कार्यों को दुनिया के सामने रखा है, जिससे इनकी हौसला अफजाई हो और इन्हें प्रोत्साहन मिले। साथ ही समाज इनके कार्यों का अनुसरण करें, व समाज को नई दिशा मिल सकें। संजय चौहान वर्तमान में फ्री लांस जर्नलिस्ट्स के रूप में लिखते हैं।

विभिन्न अवसरों पर इन्हें जनसरोकारों की पत्रकारिता के लिए कई मर्तबा सम्मानित किया जा चुका है। इनमें ख्यात उमेश डोभाल पत्रकारिता पुरस्कार-2016, बंड गौरव सम्मान- 2017, पंच केदार सम्मान- 2017 और केदार घाटी सम्मान-2019 सम्मिलित हैं।

प्रथम चारूचंद्र चंदोला स्मृति सम्मान समारोह के अवसर पर पूर्व मुख्य सचिव नृप सिंह नपलच्याल, पूर्व गढवाल कमिश्नर एस एस पांगती, देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा, समाजसेवी दयानंद चंदोला, धाद के संस्थापक और चारूचंद्र स्मृति समिति के संरक्षक लोकेश नवानी, लोकगायिका कल्पना चौहान, डॉ. नूतन गैरोला, उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी के अध्यक्ष संजय कुंडलिया, उत्तरजन टुडे के संपादक पीसी थपलियाल, आईटीएम के चेयरमैन निशांत थपलियाल, राजेश रावत, अरुण चमोली, राजेश्वरी चंदोला, साहित्या, विजय जुयाल, बलूनी क्लासेस के एमडी विपिन बलूनी, ब्रिगेडियर बिनोद पसबोला, कवींद्र इस्टवाल, रघुवीर बिष्ट, बीना बेंजवाल, रमाकांत बेंजवाल, वर्षा सिंह, मनोज इष्टवाल, कुसुम रावत, बीना कंडारी, कांता घिल्डियाल, विनोद मुसान, संतोष फरस्वाण, आदित्य शाह, योगेश भट्ट, आशीष सती, आशुतोष ममगाईं, शंकर विश्वनाथ, योगेन्द्र बर्त्वाल सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।

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