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नीलाभ की पहचान उन जनपक्षधर पत्रकारों में थी जो बिकाउ मीडिया के दौर में जनता के पक्ष में खड़े थे और तमाम जनसंघर्षों में एक एक्टिविस्ट की तरह भी शामिल होते रहे, मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल में भी रही महत्वपूर्ण भूमिका
बिहार के जनसंघर्षों के बीच से उभरे नीलाभ वामपंथी पार्टी (पार्टी यूनिटी) से जुड़े रहे, कई संघर्षों में सीधे भागीदारी की, आउटलुक जैसी लोकप्रिय पत्रिका के लंबे समय तक संपादक रहे
उनका जाना न सिर्फ जनपक्षधर और ईमानदार पत्रिका के लिए बड़ा नुकसान है बल्कि जनतांत्रिक संघर्षों में लगे कार्यकर्ताओं के लिए भी बड़ी क्षति है
दिल्ली, जनज्वार। लंबे समय से लीवर की बीमारी से जूझ रहे वरिष्ठ पत्रकार नीलाभ मिश्र की आज सुबह साढे सात बजे चैन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में मौत हो गई।
लंबे समय तक आउटलुक पत्रिका के संपादक रहे नीलाभ इन दिनों नेशनल हैराल्ड और नवजीवन के संपादक का दायित्व निभा रहे थे।
नीलाभ को नॉन-एल्कोहॉलिक लिवर सिरॉसिस के कारण ज्यादा तबियत खराब होने पर चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के चलते उनका लिवर ट्रांसप्लांट नहीं कराया जा सका. और 24 फरवरी को उन्होंने आखिरी सांस ली। उस समय उनके पास उनके रिश्तेदार, दोस्त, कॉमरेड्स और नजदीकी लोग थे।
नॉन-एल्कोहॉलिक लिवर सिरॉसिस के कारण नीलाभ की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी, जिसके बाद उन्हें चैन्नई अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। मगर इलाज के दौरान उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया और आज सुबह उन्होंने अंतिम सांसें लीं।
57 वर्षीय नीलाभ के परिवार में उनकी लंबे समय से दोस्त और पार्टनर कविता श्रीवास्तव, भाई शैलोज कुमार, भाभी सुधा और भतीजी नवाशा हैं।
मूल रूप से पटना निवासी दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एमए करने वाले नीलाभ ने अपने करियर की शुरुआत नवभारत टाइम्स के साथ अपने गृहनगर पटना से ही की थी। नवभारत टाइम्स के बाद राजस्थान के जयपुर से न्यूज टाइम के संवाददाता के बतौर काम किया। 1998 में राजस्थान में इनाडू टीवी की भी शुरुआत कराई। पटना से निकलने वाले मुक्ति मार्ग में लगातार लिखते रहे थे।
पत्रकारिता में तीन दशक से भी ज्यादा समय तक सक्रिय रहने वाले नीलाभ आज मीडिया में दिखने वाले कई चर्चित के मार्गदर्शक और पत्रकारिता की बारीकियां सीखा चुके हैं।
नीलाभ हमेशा से सच के साथ खड़े नजा आए। सच्ची पत्रकारिता को समर्पित नीलाभ ने नागरिक अधिकारों के विस्तार के लिए पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) के साथ बिहार, राजस्थान समेत कई दूसरे राज्यों में भी काम किया। सीपीआई लिबरेशन और पार्टी यूनिटी के साथ सक्रिय थे। राजस्थान का मजदूर किसान शक्ति संगठन और सूचना के अधिकार का आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। महिलावादी आंदोलनों ने तो नीलाभ को हमेशा अपना सच्चा साथी माना।