क्या पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त को ही हुआ था या उस दिन उनके निधन की घोषणा की गई, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण बाधित न हो...
जनज्वार। पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी की मौत के बाद देशभर में निकाली गई अस्थि कलश यात्रा में भाजपाइयों की हंसी—ठिठोली के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद पहले से ही सवालों में आई बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी उनकी मौत की तिथि को लेकर संदेह के घेरे में हैं।
सोशल मीडिया पर पहले से ही प्रचारित किया जा रहा था कि वाजपेयी की मौत 14 अगस्त को ही हो चुकी थी। 15 अगस्त का कार्यक्रम बाधित न हो इसलिए प्रधानमंत्री मोदी के इशारे पर इस मौत को छुपाकर रखा गया। वहीं अब भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी वाजपेयी की मौत पर बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
एनडीटीवी में प्रकाशित एक खबर के हवाले से कहा गया है शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने वाजपेयी की मौत छुपाए जाने के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए सवाल किया है कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त को ही हुआ था या उस दिन उनके निधन की घोषणा की गई, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण बाधित न हो।
हालांकि राज्यसभा सांसद और शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादक राउत ने वाजपेयी के निधन के दिन को लेकर उठाए गए सवाल का कोई स्पष्टीकरण या कारण नहीं बताया है।
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का इलाज एम्स में हो रहा था और एम्स द्वारा उनके निधन की घोषणा 16 अगस्त की शाम को 5 बजे के बाद बुलेटिन जारी कर की गई थी।
शिवसेना नेता राउत का कहना है कि ‘हमारे लोगों के बजाए हमारे शासकों को पहले यह समझना चाहिए कि ‘स्वराज्य’ क्या है। वाजपेयी का निधन 16 अगस्त को हुआ, लेकिन 12-13 अगस्त से ही उनकी हालत बिगड़ रही थी।
मराठी में लिखे गए अपने लेख जिसका शीर्षक ‘स्वराज्य क्या है?’ में राउत ने लिखा है कि स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय शोक और ध्वज को आधा झुकाने से बचने तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लाल किले से अपना विस्तृत संबोधन देना था, वाजपेयी ने इस दुनिया को 16 अगस्त को छोड़ा (या जब उनके निधन की घोषणा की गई)’
गौरतलब है कि शिवसेना महाराष्ट्र और केंद्र में भाजपा की सहयोगी पार्टी है। इससे पहले भी वह वह भाजपा और मोदी पर कई मसलों पर निशाना साधती रही है।
इस लेख में राउत ने कुछ अन्य लोगों पर भी निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला ने वाजपेयी के निधन पर आयोजित शोक सभा में भारत माता की जय और जय हिंद के नारे लगाए और इस वजह से श्रीनगर में उनसे बदसलूकी की गई। जब यह पता चलता है कि पुलिस ने आतंकवादियों को पकड़ा है जो दिल्ली पर हमले की साजिश रच रहे थे, तो यह बताता है कि स्वतंत्रता दिवस नजदीक आ रहा है।
राउत ने लिखा है,यह परंपरा इस साल भी जारी रही। स्वतंत्रता दिवस समारोह पर हमले को अंजाम देने की साजिश रच रहे 10 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया। भारी मात्रा में हथियार जब्त किये गए, इसलिये (इसके बाद) प्रधानमंत्री ने निर्भय होकर स्वतंत्रता दिवस मनाया।
राउत ने लिखा है, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में गरीबों के लिये कई घोषणाएं कीं। उनके भाषण की शैली ऐसी थी कि पूर्ववर्ती सरकारों ने कुछ नहीं किया, इसलिये स्वतंत्रता अब तक बेकार थी।'
राउत कहते हैं, प्रधानमंत्री यद्यपि कह रहे हैं कि रिश्वत लेने वालों पर कार्रवाई की जा रही है, घूसखोरी कम नहीं हुई है। यह सच है कि कल्याण योजनाएं टैक्स के पैसे से चलती हैं जो ईमानदार लोग चुकाते हैं। यह भी सच है कि प्रधानमंत्री का विदेश दौरा भी उसी रकम से संपन्न होता है और विज्ञापनों पर खर्च होने वाले हजारों करोड़ रुपये भी इसी के जरिये हासिल होते हैं। यह नया तरीका है जिसके तहत ‘स्वराज्य’ काम कर रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक गिरीश मालवीय ने इस खबर के साथ लगी फोटो को फेसबुक पर शेयर करते हुए लिखा था, अटल जी की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी वह बात सच नजर आ रही है। उनकी अंतिम यात्रा के दौरान ली गयी फोटो में यह साफ दिख रहा है कि उनका चेहरा बिल्कुल स्याह काला पड़ चुका है यह तभी सम्भव है जब शव पर लगाए जाने वाले प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल किया जाए, साफ दिख रहा है कि मृत्यु का समय वह नही है जो बताया जा रहा है।'