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उत्तर प्रदेश

मिर्जापुर के खेत में मिले चांदी के सिक्के को लेकर हुआ विवाद,अब पुलिस करेगी फैसला

Nirmal kant
9 May 2020 1:30 AM GMT
मिर्जापुर के खेत में मिले चांदी के सिक्के को लेकर हुआ विवाद,अब पुलिस करेगी फैसला
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लखवंती देवी ने बताया कि सन 1936 में बाढ़ आयी थी। उसी में घर डूब जाने के कारण यह स्थान छोड़कर गांव में ही दूसरे स्थान पर परिवार के लोगों का रहन सहन होने लगा था। हो सकता है कि यह धन हमारे पूर्वजों के द्वारा रखा गया हो....

पवन जायसवाल की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो, मिर्जापुर। चुनार कोतवाली क्षेत्र के बकियाबाद सोनउर गांव में गुरुवार की दोपहर खेत में खुदाई के दौरान निकले चांदी के सिक्को के बटवारे को लेकर विवाद हो गया। चाचा भतीजे में विवाद होने के दौरान मौके पर पहुचे कुछ ग्रामीण खेत से निकले सिक्के को लेकर भाग निकले।

ताया जाता है कि गांव में मोती पाल का पुश्तैनी खेत है, जिसकी खुदाई का कार्य वह अपने भतीजे सरोज के जेसीबी से गुरुवार को करा रहा था। इसी बीच सुबह लगभग 11 बजे खुदाई के दौरान खेत में सिक्का मिलने की बात जेसीबी चालक चंदन ने बताया। जानकारी होते ही उसका भतीजा मौके पर पहुंचकर प्राप्त सिक्के मे अपनी हिस्सेदारी की बात करने लगा। इस बीच चाचा भतीजे में बटवारे को लेकर कहासुनी होने लगा।

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धीरे धीरे अन्य ग्रामीणों तक बात पहुंची और उसके बाद सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण वहां इकट्ठा हो गये। देर शाम पुलिस को भी किसी ने सूचना दे दिया। सूचना पर पहुँची पुलिस ने खेत स्वामी व प्रधान को मौके पर रोककरअन्य मौजूद लोगों को वहां से हटाया और रात भर खुदाई स्थल पर पुलिस, प्रधान व खेत स्वामी रखवाली करते रहे।

शुक्रवार की सुबह लगभग 10-30 बजे पुनः जेसीबी से खुदाई उपजिलाधिकारी जंग बहादुर यादव व पुलिस उपाधीक्षक सुशील कुमार यादव की मौजूदगी मे शुरू करायी गयी। खुदाई शुरू होने के लगभग पाँच मीनट बाद ही सन 1900, 1904, 1905, 1862, 1872, 1877, 1878, के कुल सात चांदी के सिक्के प्राप्त हुए, जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया और खुदाई बंद करा दी।

खेत स्वामी मोतीलाल पुत्र लालता प्रसाद ने बताया कि खेत उचांई पर होने के चलते सिंचाई हेतु पानी पास के कुएं एवं तालाब से किया जाता है, जिससे पानी पर्याप्त नही मिल पाता। इसी कारण खुदाई करा रहा था। मै कुछ दुर कुए के पास बैठा था, लोगों की भीड़ इकट्ठा होने पर मुझे भी जानकारी हुई कि खेत में सिक्का मिला है। जबकी भतिजा सरोज ने बताया कि हमे हमारा हक न देते हुए पर्याप्त सिक्का अकेले ही रख लिए है। खुदाई के दौरान सिक्का मिलने की बात पर बताया कि खुदाई स्थल व उसके आसपास मेरे पूर्वजों का रहन सहन था।

दादी लखवंती देवी ने बताया था कि सन 1936 में बाढ़ आयी थी। उसी में घर डूब जाने के कारण यह स्थान छोड़कर गांव में ही दूसरे स्थान पर परिवार के लोगों का रहन सहन होने लगा था। उम्मीद जताते हुए कहा कि हो सकता है कि यह धन हमारे पूर्वजों के द्वारा रखा गया हो।

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स्थानीय पुलिस प्रशासन ने खेत स्वामी को लॉकडाउन तक खेत से मिट्टी निकालने के लिए मना करते हुए सिक्के को लेकर चंपत होने वाले ग्रामीणों का पता लगाकर सिक्का वापस लेने की कार्यवाही में जुटी हुई है। इस दौरान नायब तहसीलदार नटवर सिंह, कोतवाल चुनार राजीव कुमार मिश्रा, कजरहट चौकी इंचार्ज ऐश खान आदि प्रमुख मौजूद रहे।

प्राप्त सिक्के के संदर्भ मे उपजिलाधिकारी ने बताया कि खुदाई में मिला धन सरकार का होता है तहसील व पुलिस की संयुक्त रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौपतें हुए प्राप्त चांदी के सात सिक्कों को कोषागार में जमा किया जाएगा।

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