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राजनीति

लॉकडाउन में फंस गया बेटा, घर वापस लाने के लिए स्कूटर से माँ ने किया 1,400 km का सफर, देश कर रहा सलाम

Ragib Asim
10 April 2020 12:09 PM IST
लॉकडाउन में फंस गया बेटा, घर वापस लाने के लिए स्कूटर से माँ ने किया 1,400 km का सफर, देश कर रहा सलाम
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देश में कोरोना वायरस के चलते 21 दिन का लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है. यहां एक मां का अनोखा रूप देखने को मिला है. जहां अपंने बेटे को घर वापिस लाने के लिए एक मां ने लॉकडाउन की परवाह किए बिना स्कूटी से 1400 किलोमीटर का सफर तय किया...

जनज्वार। देश में कोरोना वायरस के चलते 21 दिन का लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे में तेलंगाना में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है. यहां एक मां का अनोखा रूप देखने को मिला है. जहां अपंने बेटे को घर वापिस लाने के लिए एक मां ने लॉकडाउन की परवाह किए बिना स्कूटी से 1400 किलोमीटर का सफर तय किया.

इस महिला का नाम रजिया बेगम है. रजिया ने सोमवार को स्थानीय पुलिस से अनुमति ली, जिसके बाद वह अकेले आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के लिए निकल गई. रजिया ने कहा ‘ एक महिला के लिए स्कूटी में 1400 किलोमीटर का सफर आसान नहीं था लेकिन बेटे को वापिस लाने के लिए ये कदम उठाना पड़ा. रात में कोई ट्रैफिक नहीं और सड़क पर कोई लोग नहीं थे ये डराता जरूर था लेकिन मैं अपने रुख पर कायम थी.’ बता दें कि रजिया के पति की कई साल पहले मौत हो गई थी. रजिया के दो बेटे हैं. बड़ा बेटा इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है और दूसरा बेटा 19 साल का निजामुद्दीन पढ़ाई कर रहा है. रजिया हैदराबाद से करीब 200 किलोमीटर दूर निजामाबाद स्थित एक सरकारी स्कूल में कार्यरत हैं.

निजामुद्दीन ने 12वीं की परीक्षा पास कर ली है और इस समय वह एमबीबीएस एंट्रेस के लिए कोचिंग कर रहा है. वह 12 मार्च को अपने दोस्त को छोड़ने नेल्लोर के रहमताबाद गया था. वह कुछ दिन उसके साथ रहा. कुछ दिन बाद कोरोना के चलते लॉकडाउन की घोषणा हो गई, जिसके चलते वह वहीं फंस गया. वह घर लौटना चाहता था लेकिन कोई तरीका नहीं था. रजिया बेगम ने तय किया कि वह बेटे को घर लेकर आएंगी. उन्होंने अपने बड़े बेटे को पुलिस के डर से नहीं भेजा. कार से जाने के बजाय उन्होंने स्कूटी से जाना तय किया. 6 अप्रैल की सुबह वह घर से निकलीं और लगातार स्कूटी चलाते हुए वह अगले दिन दोपहर में नेल्लोर पहुंच गईं. बेटे को साथ लेकर वह वहां से निकलीं और बुधवार शाम वह बोधन पहुंच गईं.

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