पछास का सम्मेलन उत्तराखंड में, छात्रों ने कहा छात्र-युवा विरोधी है मोदी सरकार
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मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही छात्रों-नौजवानों पर चैतरफा हमला बोल दिया। एक तरफ शिक्षा के भगवाकरण के जरिए ये सरकार छात्रों के दिमागों में अपनी फासीवादी राजनीति को प्रचारित-प्रसारित कर रही है...
उत्तराखंड, जनज्वार। 6 अक्टूबर को हल्द्वानी के ओंकार वेंकट हाॅल में परिवर्तनकामी छात्र संगठन के 10 वें सम्मेलन का पहला दिन जोश-खरोश के साथ शुरू हुआ। झण्डारोहण के बाद ‘यूथ इण्टरनेशनल’ गाया गया और दुनियाभर में पूंजीवाद के खिलाफ संघर्ष में शहीद लोगों के लिए दो मिनट का मौन रख श्रृद्धांजली दी गयी।
सम्मेलन के औपचारिक सत्र की शुरुआत पछास अध्यक्ष कमलेश के अध्यक्षीय भाषण से हुई। कमलेश ने कहा कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्था आर्थिक संकट से गुजर रही है। शासकों के पास इसका कोई हल नहीं है। ऐसे में ये जनता का ध्यान भटकाने के लिए जातीय-नस्लीय भेदभाव, अल्पसंख्यकों या प्रवासियों के प्रति घृणा, महिलाओं पर बंदिशें, अंधराष्ट्रवाद, सेना को सवालों से परे घोषित करना आदि प्रवृत्तियों को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय परिस्थितियों पर बात रखते हुए पछास के छात्र नेता चंदन ने कहा कि चार साल पहले पूंजीपतियों के अपार सहयोग से सत्ता में काबिज मोदी सरकार ने इन वर्षो में अडानी-अंबानी जैसे पूंजीपतियों को ही आगे बढ़ाया है। जी.एस.टी., बढ़ती मंहगाई, शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे मदों में कटौती के जरिए सरकार ने पहले से ही खस्ताहाल जनता की जिंदगी को और रसातल में पहुंचा दिया है। पिछले 4 सालों में देश में मजदूरों, किसानों, छात्रों, मुस्लिमों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं पर हमले तेज हुए है। उन्होने अंत में जोर देते हुए कहा कि देश के सभी मेहनतकशों को एकजुट होकर इन फासीवादी ताकतों के खिलाफ और इन्हें पैदा करने वाली मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष करना होगा।
वक्ताओं ने कहा कि मोदी काल में बेरोजगारी अपने चरम पर है। पिछले चार साल सबसे कम रोजगार पैदा करने वाले साल रहे हैं। ये सरकार छात्रों को बेरोजगार बनाने वाली नीतियों को तेजी से आगे बढ़ा रही है। इन सबके खिलाफ विरोध करने वाले छात्रों-नौजवानों की आवाजों को दबाने के लिए उन्हें देषद्रोही घोषित कर उन पर हमला किया जा रहा है। पिछले 4 सालों में जेएनयू, डीयू, एचसीयू, इलाहबाद समेत लगभग सभी विश्वविद्यालयों को इस सरकार द्वारा देशद्रोही करार दिया जा चुका है।
छात्र सम्मेलन में पछास के छात्र नेता दीपक ने कहा कि मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही छात्रों-नौजवानों पर चैतरफा हमला बोल दिया। एक तरफ शिक्षा के भगवाकरण के जरिए ये सरकार छात्रों के दिमागों में अपनी फासीवादी राजनीति को प्रचारित-प्रसारित कर रही है तो दूसरी तरफ तेजी के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों को नीजिकरण की दिशा में धकेल रही है। यूजीसी की जगह पर एचईसीआई, शिक्षा बजट में कटौती, हेफा का गठन करके सरकार शिक्षा को पूंजीपतियों को बेचना चाहती है। इन सबका सबसे अधिक खामियाजा गरीब-निम्न वर्ग से आने छात्रों को उठाना पड़ रहा है।