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अंधविश्वास

अंधविश्वास की हाइट : 55 साल का चिंताहरण मौत के डर से पिछले 30 साल से घूम रहा है औरत के वेष में

Prema Negi
5 Nov 2019 8:15 AM GMT
अंधविश्वास की हाइट : 55 साल का चिंताहरण मौत के डर से पिछले 30 साल से घूम रहा है औरत के वेष में
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55 वर्षीय चिंताहरण चौहान उर्फ 'करिया' पिछले 30 सालों से सुहाग की साड़ी, कान में झुमका, नाक में नथिया और हाथों में कंगन के साथ सोलह श्रृंगार करके कर रहा है जीवन व्यतीत कर रहा है,क्योंकि उसका पूरा परिवार उसकी आंखों के सामने हो गया खत्म और उसे लगता है कि उसकी बंगाली पत्नी की आत्महत्या में मौत के कोप के कारण हुआ ऐसा...

जनज्वार। 21वीं सदी में भी लोगों को मृत पत्नी या अन्य कोई परिजन, यहाँ तक कि ईश्वर सपने में आते हैं और उनके आदेश पर वे या तो नरबली दे देते हैं। अपनी जीभ काटकर अर्पित कर देते हैं या अपनी गर्दन काटकर आत्महत्या कर लेते हैं। किसी का ब्रह्मचौरा बनवा देते हैं या उलजलूल हरकत करने लगते हैं।

रअसल ये मामले मीनिया से जुड़े होते हैं, जो वास्तव में मनोरोग होता है और मानसिक चिकित्सक के पास जाने पर इसका इलाज भी होता है। अब यूपी के जौनपुर में इसी तरह का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें एक व्‍यक्ति पिछले 30 साल से हर दिन दुल्‍हन की तरह सज कर रह रहा है। उसे उसकी मौत का डर सता रहा है, जिसके कारण वह ऐसा करता है।

जौनपुर में जलालपुर क्षेत्र के हौजखास गांव निवासी 55 वर्षीय चिंताहरण चौहान उर्फ 'करिया' पिछले 30 सालों से सुहाग की साड़ी, कान में झुमका, नाक में नथिया और हाथों में कंगन के साथ सोलह श्रृंगार करके जीवन व्यतीत कर रहा है, क्योंकि उसका पूरा परिवार उसकी आंखों के सामने खत्म होता चला गया और उसे लगता है कि उसकी पत्नी की आत्महत्या में मौत के कोप के कारण ऐसा हो रहा है।

स्त्री का वेश धारण करने वाले चिंताहरण के उसके 9 बच्चे और तीन बीवी, बड़े भाई के 5 बच्चों की अकाल मौत हो चुकी है। चौहान के परिवार में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है। चिंताहरण की 14 साल की उम्र में उसकी पहली शादी हुई थी। शादी के कुछ ही महीनों के बाद उसकी पत्‍नी की मौत हो गई। 21 साल की उम्र में वह ईंट भट्ठे पर काम करने के लिए पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर चला गया। वहां उसकी दोस्‍ती बंगाली दुकान मालिक से हो गई।

चार साल बाद चिंताहरण ने दुकान मालिक की बेटी से शादी कर ली, लेकिन चिंताहरण का परिवार इस शादी का विरोध करने लगा। परिवार का विरोध देखते हुए चिंताहरण एक दिन अपनी बंगाली पत्‍नी को छोड़कर जौनपुर आ गया। उसके जौनपुर चले जाने की बात से उसकी पत्‍नी को सदमा लगा। पत्‍नी से कुछ दिन बाद आत्‍म‍हत्‍या कर ली। चिंताहरण को इसकी जानकारी तब मिली, जब वह एक साल बाद फिर दिनाजपुर गया।

चिंताहरण जब फिर जौनपुर परिवार के पास लौटा तो घरवालों ने उस पर तीसरी शादी करने का दबाव बनाया। उसका लगता है कि इस तीसरी शादी के बाद से ही उसके परिवार पर कहर टूटने लगा। तीसरी शादी के कुछ महीने बाद ही वह बीमार हो गया और उसके रिश्‍तेदार एक के बाद एक मरने लगे।

चिंताहरण के पिता राम जीवन, बड़ा भाई छोटाउ, उसकी पत्नी इंद्रावती और उसके दो बेटे, छोटा भाई बड़ाऊ और तीसरी पत्नी से तीन बेटियां व चार बेटों की मौत का सिलसिला एक के बाद एक चलता रहा।

चिंताहरण का कहना है कि उसकी मृतक बंगाली पत्नी हमेशा उनके सपने में आती थी और वह चिंताहरण के धोखे पर खूब रोती थी। परिवार के सदस्यों की मौत से टूट चुके चिंता हरण को एक दिन सपने में मृतक बंगाली पत्नी ने कहा कि मुझे सोलह सिंगार के रूप में अपने साथ रखो, तब सबको बख्श दूंगी। बस इसी डर से पिछले 30 सालों से चिंता हरण सोलह श्रृंगार करके एक महिला के वेश में जी रहा है।

हले वो घर के अंदर ही साड़ी पहनकर रहता था, लेकिन फिर उसने समाज के सामने अपने आपको स्त्री के रूप में अपनी एक पहचान बना ली। चिंताहरण चौहान अब स्वयं गांव में झाड़-फूंक का काम करके अपनाजीवन यापन कर रहा है। फिलहाल चिंताहरण के दो बेटे दिनेश और रमेश जिंदा हैं और वो मजदूरी करते हैं।

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