लव जेहाद का संघी एजेंडा हुआ बेनकाब, सुप्रीम कोर्ट ने हादिया को दिया अपने पति के साथ रहने का आदेश

अगर देश की जांच एजेंसियां सांप्रदायिक आधार पर जांच को अंजाम देंगी तो आने वाले समय में जो भरोसा लोगों का राजनीति और मीडिया से उठा है, वह एजेंसियों के साथ भी हो जाएगा...
जनज्वार, दिल्ली। मेडिकल की छात्र हादिया को लेकर उसके पिता एन अशोकन ने 6 जनवरी 2016 में पुलिस में एक रिपोर्ट दर्ज कराई की उनकी बेटी गायब है। बेटी जब कुछ दिनों में नहीं मिली तो उन्होंने केरल हाईकार्ट में हेबियस दाखिल कर बेटी को खोजने की अपील की।
याचिका में पिता ने बताया कि मेरी बेटी जब घर से 6 जनवरी 2016 को गयी तो उसने हिजाब पहन रखा था, जबकि हम हिंदू हैं। उनका आरोप था कि वह किसी जैनबा के साथ है, जो कि पीपुल्स फ्रंट आॅफ इंडिया की महिला शाखा नेशनल ओमेन फ्रंट की अध्यक्ष है। पिता का यह भी आरोप था कि मेरी बेटी अकिला अशोकन का जबरन धर्म परिवर्तित कर उसे मुस्लिम बनाया है और मेरी बेटी को हादिया बनाकर उसके शादी पीएफआई के सक्रिय सदस्य शफीन जेहन से कर दी गयी है।
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हालांकि अदालत या पुलिसिया पूछताछ में जब भी बेटी ने कहा कि वह अपनी इच्छा से धर्मपरिवर्तित कर शादी की है तो उसके पिता कहते कि उसका ब्रेनवाश हुआ है। गौरतलब है कि हिन्दू धर्म से ताल्लुक रखने वाली 24 वर्षीय अकिला अशोकन ने पिछले साल इस्लाम धर्म ग्रहण कर शफीन जहां नाम के मुस्लिम युवा से शादी की थी। इस्लाम अपनाने के बाद उन्होंने अपना नाम हादिया रख लिया था।
मजेदार यह था कि दो लोगों की शादी और धर्मपरिवर्तन जैसे व्यक्गित मसले की जांच को जिम्मा एनआईए को आया, जो कि भारत की वह जांच एजेंसी है जो मुख्य तौर पर आतंकी मामलों की जांच की जिम्मेदारी निभाती है।
अब सवाल है कि एनआईए तक यह जांच किस दबाव में पहुंची जो सिर्फ और सिर्फ प्रेम और शादी का मसला था।
जानकार आश्चर्य होगा कि यह कार्रवाई राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के एक आनुषांगिक संगठन हिंदू जागरण मंच के सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर हुई। जानकारों का कहना है कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद से यह संगठन देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर इंटरनल सुरक्षा पर काम करता है। हालांकि इसका कहीं कोई सरकारी खुलासा नहीं मिलता पर इनके कार्यकर्ता बड़ी खुशी—राजी आम मुलाकातों में बताते फिरते हैं कि वे लोग आंतरिक सुरक्षा पर काम कर रहे हैं और राष्ट्र को बचाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों का साथ दे रहे हैं।
इसलिए आप देखेंगे कि जैसे ही हादिया का मामला केरल उच्च न्यायालय पहुंचा, उसी समय एनआईए ने कोर्ट में अपनी एक रिपोर्ट दाखिल की। एनआईए की दाखिल रिपोर्ट के बाद जैसी सनसनी संघी और उसकी जमातों ने लव जेहाद को लेकर फैलाई उसके बाद ऐसा माहौल हो गया था जैसे हर चौक—चौराहे से दो—चार लड़कियां उठाकर मुस्लिम बनाई जा रही हैं।
खैर! एनआईए की रिपोर्ट के आधार पर कि यह शादी नहीं लव जेहाद है, मामला आतंकी बनाने का है, केरल हाईकोर्ट ने शादी रद्द कर दी, जबकि लड़की अदालत में लगातार कहती रही कि मैं अपनी इच्छा से मुस्लिम बनी हूं, मैं अपने शौहर से शफीन से प्यार करती हूं और उसकी बीवी बनके रहना चाहती हूं पर अदालत ने एक न सुनी।
हादिया को पति से अलग उसके पिता एन अशोकन के हवाले कर दिया।
आज जब सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश चंद्रचूण ने हादिया से पूछा कि
आप अगला प्लान क्या है, उसने दो टूक कहा — मुझे आजादी चाहिए, अपने मां—बाप से आजादी चाहिए।
न्यायाधीश ने अगला सवाल पूछा — आप करना क्या चाहती हैं, हादिया का जवाब था — मैं अपनी पढ़ाई करना चाहती हूं। हादिया तमिलनाडू के सेलम में होमियोपैथी के सर्जनशीप की पढ़ाई करती हैं। अदालत ने उन्हें मां—बाप हिरासत से निकालकर कॉलेज भेजने का आदेश दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हादिया की शादी को बरकरार रखते हुए उनको पति शफीन के साथ रहने का आदेश दिया।
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पर इस पूरी प्रकिया में जो बड़ा सवाल है उसे जरूर उठाया जाना चाहिए कि आखिर एनआईए ने किन जांचों के आधार पर इस मामले को लव जेहाद का मामला बनने दिया। वह करीब तीन साल से चल रहे इस मामले में एक सबूत नहीं पेश कर सकी, सिवाय पिता के आरोपों के। साथ ही आरएसएस और दूसरे संगठन आखिर किस हैसियत से आंतरिक सुरक्षा के नाम पर देश के शासन—प्रशासन से मजाक कर रहे हैं। क्या मोहन भागवत ने जो 24 घंट में आरएसएस के लोग देश की सीमाओं को संभाल लेंगे वाला जो बयान दिया था, वह इसी आधार पर तो नहीं दिया था?
हालांकि अदालत एनआईए के पास इन सवालों का जवाब देने का अब भी समय बाकि है, क्योंकि अदालत ने अपने आदेश में एनआईए की जांच को बंद करने का आदेश नहीं दिया है।





