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महिला ​नहीं बनी है सिर्फ शादी और पति के लिए जो खतना को ठहराया जाए सही : सुप्रीम कोर्ट

Prema Negi
31 July 2018 12:03 PM IST
महिला ​नहीं बनी है सिर्फ शादी और पति के लिए जो खतना को ठहराया जाए सही  : सुप्रीम कोर्ट
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दाउदी बोहरा समाज में बच्चियों के खतने के चलन पर पूर्ण पाबंदी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की महत्वपूर्ण टिप्पणी, उम्मीद है अब भारत में औरतों का खतना पूर्ण रूप से होगा बंद

जनज्वार, दिल्ली। मुस्लिम समाज के एक समुदाय दाउदी बोहरा में बच्चियों का खतना करने का चलन है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने कल संवैधानिक अधिकारों का हनन करार दिया है।

दुनियाभर में हर साल करीब 20 करोड़ बच्चियों या लड़कियों का खतना होता है। इनमें से आधे से ज्यादा सिर्फ तीन देशों में हैं, मिस्र, इथियोपिया और इंडोनेशिया। भारत के अटॉनी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि यह प्रथा आईपीसी और पॉस्को एक्ट के तहत अपराध है।

क्या होता है लड़कियों का खतना

योनि के क्लिरोटिस के उपरी हिस्से या योनि के अंदरूनी हिस्से को ब्लेड से काट दिया जाता है। यह वह हिस्सा होता है, जिससे औरतें संभोग के दौरान उत्तेजित होती हैं। इसे ही महिलाओं का खतना कहते हैं। भारत और दुनिया के दूसरे सभ्य देश इसे बर्बर प्रथा मानते हैं, क्योंकि यह संविधान और प्रकृति प्रदत्त अधिकारों का हनने है

सुप्रीम कोर्ट ने खतना की पूर्ण पाबंदी वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि महिलाओं का खतना सिर्फ इसलिए नहीं कर सकते कि उन्हें शादी करनी है। उनका जीवन केवल शादी और पति के लिए नहीं होता। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 और 15 देश के नागरिकों को जीवन, धर्म, जाति, नस्ल, लिंग आदि के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव की रक्षा करते हैं और इसको छेड़ने से प्रतिबंधित भी।

पूर्ण पाबंदी वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र ने सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा, ​'जब हम महिला अधिकारों और उनके स​शक्तिकरण को बढ़ावा देने की ओर अग्रसर हैं तो इसे विपरित दिशा में कैसे जाने दे सकते हैं।'

क्यों किया जाता है खतना

खतना करने वाले भारत के बोहरा समुदाय का मानना है कि लड़कियों—महिलाओं को सेक्स के दौरान आनंद लेने का कोई अधिकार नहीं है। माना जाता है कि खतना वाली लड़कियां अपनी पति के लिए ज्यादा वफादार होती है। उनमें 'हराम की बोटी' खाने की इच्छा नहीं होती, क्योंकि उन्हें सेक्स के आनंद की अनुभूति नहीं होती।

गौरतलब है कि भारत जैसे प्र​गतिशील देश में यह जाहिल प्रथा आज भी कायम है, जबकि दुनिया के 42 देश महिलाओं के खतना प्रथा पर रोक लगा चुके हैंं। दुनियाभर में हर साल करीब 20 करोड़ बच्चियों या लड़कियों का खतना होता है, जिसमें से 7 करोड़ बच्चियों की उम्र 14 साल से कम होती है। इनमें से आधे से ज्यादा सिर्फ तीन देशों मिस्र, इथियोपिया और इंडोनेशिया में खतना होता है।

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