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गुजरात दंगा 2002: नरेंद्र मोदी को मिली क्लीनचिट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सातवीं बार टाली सुनवाई

Nirmal kant
4 Feb 2020 9:21 AM GMT
गुजरात दंगा 2002: नरेंद्र मोदी को मिली क्लीनचिट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सातवीं बार टाली सुनवाई
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गुजरात दंगा 2002 के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एसआईटी कई ओर से मिली क्लीनचिट के मामले में 14 अप्रैल को होगी सुनवाई, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल रहे अनुपस्थित...

जनज्वार। साल 2002 के गुजरात दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी की ओर से मिली क्लीनचिट के खिलाफ सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने 14 अप्रैल तक के लिए टाल दिया है। बता दें कि इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की अनुपस्थिति रही जिसके बाद कोर्ट से सुनवाई को टालने का आग्रह किया गया था।

स्टिस ए.एम खानविलकर की बेंच ने कहा कि इस केस में छह बार सुनवाई टल चुकी है। हम इसे कितने लंबे समय तक ऐसे ही रखेंगे। आप हमें एक तारीख बताएं जिसमें दोनों पक्ष उपस्थित रहें। दरअसल गुजरात राज्य की ओर से पेश अपर्णा भट ने पीठ को बताया था कि कपिल सिब्बल ने सुनवाई टालने का आग्रह किया है।

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तीन दिसंबर 2018 को भी जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने ये सुनवाई याचिकाकर्ता जाकिया जाफरी और तीस्ता शीतलवाड़ के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के अनुरोध पर स्थगित की थी। सुनवाई में सिब्बल ने कहा था कि वो इस संबंध में भारी संख्या में दस्तावेज दाखिल करना चाहते हैं जिससे पता चलता है कि ये एक बड़ी साजिश थी।

ने कहा था कि ये मामला गुलबर्गा सोसाइटी से ही जुड़ा हुआ नहीं है। इससे पहले सुनवाई में ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को एनजीओ 'सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस के तौर पर याचिका दाखिल करने का विरोध किया था।

सआईटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि तीस्ता इस मामले में ना तो प्रभावित हैं ना ही पहले की याचिकाकर्ता। वहीं तीस्ता के वकील ने कहा कि वो कोर्ट की मदद करना चाहती हैं। इस पर पीठ ने था कहा कि वो याचिकाकर्ता के तौर पर नहीं बल्कि कोर्ट की सहायता कर सकती हैं।

मुकुल ने कहा था कि निचली अदालत ने 400 पन्नों का आदेश जारी किया था। गुजरात हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। 15 साल हो चुके हैं और मामले को लंबा नहीं खींचा जा सकता है। दरअसल एसआईटी की मोदी व अन्य नेताओं और नौकरशाहों को क्लीन चिट को बरकरार रखने के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

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कील अपर्णा भट्ट के माध्यम से दाखिल याचिका में मोदी व अन्य के खिलाफ जांच कराने की मांग की गई है। गौरतलब है कि पांच अक्तूबर 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था कि गुजरात दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी। हाईकोर्ट ने जाकिया जाफरी की इन दंगों के पीछे बड़ी साजिश वाली बात से भी इनकार किया था।

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था।

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