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समाज

चिली में यौन हिंसा के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन, महिलायें बोलीं 'बलात्कारी तुम ही हो'

Prema Negi
11 Dec 2019 5:27 AM GMT
चिली में यौन हिंसा के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन, महिलायें बोलीं बलात्कारी तुम ही हो
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सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण कई सप्ताह से देश में मची हुई थी हलचल, अब हज़ारों लोग महिलाओं के खिलाफ हो रही यौन हिंसा के विरोध में उतर आये हैं सड़कों पर...

नाओमी लारसन

आंखों पर पट्टी बांधे और काले कपड़ों में हज़ारों महिलाएं चिली की राजधानी में सड़कों पर उतरी हुई हैं और उनका नारा बन चुका है : "एल वियोलादोर एरेस तू" यानी "बलात्कारी तुम ही हो"

क्षिण अमेरिका के देश चिली में सात सप्ताह से लगातार प्रतिरोध से हलचल जारी है, जिसने देश को लगभग ठप्प कर दिया है, यह महिलाएं उनके खिलाफ देश में बढ़ती यौन हिंसा के खिलाफ बोल रही हैं।

चिली में 17 साल के सैन्य तानाशाही के दौरान कुख्यात कैदखाने और यातनागृह रहे सैनटियागो के राष्ट्रीय स्टेडियम के बाहर लगभग 10,000 का समूह एक साथ गुनगुना रहा था, "गलती मेरी नहीं थी, न मेरे वहां होने में, न मेरे कपड़ों में। बलात्कारी तुम्हीं हो।"

79 वर्षीय पूर्व डॉक्टर मारिया इसाबेल मतामाला ने द इंडिपेंडेंट को बताया, "यह गीत चिली में महिलाओं की ज़िंदगियों में होने वाली संस्थागत हिंसा, घरेलू हिंसा, राजनीतिक हिंसा, यौन हिंसा को दर्शाता है।"

पने आसपास हज़ारों की तरह उन्होंने भी लाल लिपिस्टिक लगाई थी और गर्दन पर लाल दुपट्टा ओढ़ा हुआ था, हमलों के यौन स्वरूप के प्रतीक के रूप में।

यौन हिंसा व्यापक है। 'चिलियन नेटवर्क अगेंस्ट वायलेंस टुवर्ड्स वीमन' ने इस साल 32 फेमिसाइड (महिला होने के कारण महिलाओं की हत्या) के मामले दर्ज किये हैं, इसके बावजूद चिली में केवल 8 फीसदी बलात्कार के मामलों में सज़ा होती है।

तामाला विवाल्दी कहती हैं, 'जो अब तक होता आया है, यह प्रदर्शन उस सबके प्रति हमारा गुस्सा दर्शाता है। हम यह अत्याचार झेलते हैं और हमने इसे ताकत में, लड़ाई में और हिंसारहित समाज बनाने के इरादे के रूप में बदल दिया है।'

हर वालपरेसियो के नारीवादी समूह लास तेसिस रचित गीत ‘एल वियालाडोर एन तू कैमीनो' अर्थात ‘आपके रास्ते में बलात्कारी हैं' 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन दिवस पर दिनभर गाया गया, जिस दिन चिली में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का एक और दिन भी था।

हिला प्रदर्शनकारियों पर पुलिस हिंसा के बीच, इस गीत ने चिली की महिलाओं के दिल में फ़ौरन जगह बना ली। इसी तरह गीत की प्रस्तुति लंदन, पैरिस और मैक्सिको शहर में भी हुई।

गीत के बोल स्पष्ट हैं :

"गलती मेरी नहीं थी, न मेरे वहां होने में, न मेरे कपड़ों में।

बलात्कारी तुम ही हो।

वो पुलिसकर्मी हैं, न्यायाधीश हैं, राज्यसत्ता है, राष्ट्रध्यक्ष है।

यह दमनकारी सत्ता मर्दाना बलात्कारी है।

हिंसा करने वाले तुम ही हो, बलात्कारी तुम ही हो।"

तामाला विवाल्दी कहती है, “युवा औरतें भी लड़ रही हैं और उन्होंने पुलिस हिरासत में अथवा विरोध करते समय सड़क पर यौन हिंसा का सामना किया है। हम इसके खिलाफ लड़ रहे हैं।"

चिली में इस बगावत की शुरुआत 18 अक्तूबर को हुई जब सैनटियागो की मेट्रो टिकट को 30 पेसो से महंगा किया गया, जिससे वह लातिन अमेरिका में सबसे महंगी परिवहन प्रणाली हो गई। छात्र विरोध के रूप में शुरू हुआ प्रदर्शन व्यापक विरोध प्रदर्शनों में और दशकों से फैली सामाजिक व आर्थिक असमानता के खिलाफ आंदोलन में बदल गया।

शिक्षा, पेंशन, स्वास्थ्य सेवा और पानी समेत सभी सार्वजनिक सेवाओं के संपूर्ण निजीकरण के खिलाफ सभी उम्र और वर्ग के लोग सड़कों पर आ गये हैं, पर सैनटियागो और देश के कई अन्य शहरों व नगरों में रोज़ाना प्रदर्शनों पर राज्यसत्ता की ताकतें दमन कर रही हैं।

ब तक 23 लोग मारे गये हैं और हज़ारों घायल हुए हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थान आईएनडीएच ने सरकारी बलों के खिलाफ महिलाओं और बच्चों का बलात्कार और हिरासत में नग्न किये जाने समेत यौन हिंसा के 106 मामले दर्ज किये हैं।

लास तेसिस के गीत की कोरियोग्राफी में पालथी मारकर बैठना शामिल है, जो इन आरोपों के संदर्भ में है कि महिलाओं और बच्चों को पुलिस हिरासत में नग्न होकर पालथी मारकर बैठने पर मजबूर किया जाता है। गंभीर मानवाधिकार हनन के बाद पुलिस सुधारों की मांग करती हाल में चिली पर आई ह्यूमन राईट्स वाच की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस प्रोटोकॉल को बिना किसी अपवाद के इस प्रथा पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना चाहिए।

विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद अब तक के सबसे बड़े नारीवादी प्रदर्शनों में से एक में बुधवार को समूह ने राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा के इस्तीफे और अगस्तो पिनोचेट के लिखे वर्तमान संविधान को बदलने के लिए नयी संविधान सभा गठित करने की मांग की।

60 वर्षीय विल्मा रोजा ने कहा, 'हम यहां आंदोलन के समर्थन के लिए हैं। महिलाओं के रूप में हम चिलीवासियों की बेहतर पेंशन, न्यूनतम मज़दूरी की मांगों की लड़ाई में साथ हैं। हमें लगता है कि हर रोज़ चिली के लोग सड़कों पर उतर रहे हैं और चिली की सरकार सुन नहीं रही है।

रोजा के अनुसार, “चिली में महिलाओं का लड़ने का इतिहास है। हम तानाशाही के दौरान लड़ाई का हिस्सा थे, गायब कर दिये गये लोगों को तलाशने में हम शामिल थे और तानाशाह को ठुकराने के लिए भी।"

तामाला विवाल्दी कहती हैं, “इस लड़ाई में एक भावना है, क्योंकि सभी लोगों ने झंडे उठाये हैं और चिली के समाज को बदलने जा रहे हैं। मुझे बहुत उम्मीद है।"

(नाओमी लारसन की यह रिपोर्ट इंडिपेंडेंट में 9 दिसंबर, 2019 को प्रकाशित)

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