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अदालत ने भीम आर्मी के चंद्रशेखर को चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली में आने की दी अनुमति

Nirmal kant
21 Jan 2020 3:29 PM GMT
अदालत ने भीम आर्मी के चंद्रशेखर को चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली में आने की दी अनुमति
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file photo

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने चंद्रशेखर आजाद को दिल्ली में प्रवेश की दी अनुमति, कोर्ट ने कहा लोकतंत्र में चुनाव सबसे बड़ी उत्सव, चंद्रशेखर को भागीदारी पर गर्व होना चाहिए...

जनज्वार। दरियागंज हिंसा मामले पर भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने मंगलवार 21 जनवरी को उनके ऊपर लगी जमानत की शर्तां को संशोधित करे हुए उन्हें चिकित्सा उपचार और चुनाव के उद्देश्य से शहर में प्रवेश करने की अनुमति दे दी है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने सुनवाई के दौरान चंद्रशेखर आजाद को दिल्ली में आने से पहले उन्हें पुलिस के अपराध विभाग के उपायुक्त को अपनी यात्रा और कार्यक्रम के बारे में सूचित करना होगा और जो पता अपने ठहरने का देंगे उन्हें वहीं पर रहना पड़ेगा।

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तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायधीश कामिनी लाउ ने कहा कि दूसरा पक्ष ये साबित करने में असफल रहा है कि उनकी मौजूदगी दिल्ली में हिस्सा का कारण बन सकती है। जिसके बाद आजाद के अनुरोध पर जमानत में संशोधन करने का फैसला किया गया है। न्यायधीश कामिनी लाउ का कहना था कि लोकतंत्र में चुनाव सबसे बड़ा उत्सव होता है, जिसमें अधिकतर लोगों की भागीदारी होनी चाहिए। ये उचित है कि आजाद को भी इस पर्व में भागीदार होना चाहिए।

जमानत आदेश को संशोधित करने के लिए आजाद ने 17 जनवरी को कोर्ट का रुख किया था। लाउ ने आजाद को इस शर्त पर जमानत दी थी कि आगामी विधानसभा चुनावों के कारण आजाद अगले चार सप्ताह तक शहर से बाहर रहेंगे। उन्हें अगले चार हफ्ते तक हर शनिवार को उत्तर प्रदेश में अपने गृह नगर सहारनपुर में स्टेशन हाउस अधिकारी के साथ जांच में सहयोग करने के लिए कहा गया था। इसके बाद चार्जशीट दाखिल होने तक हर महीने अधिकारी के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए कहा गया था।

हांलाकि आजाद के अधिवक्ताओं महमूद प्राचा और ओपी भारती ने कहा है कि आजाद किसी भी तरीके से अपराधी नहीं थे। उन्होंने दावा किया कि ऐसी स्थितियां बनना गलत और अलोकतांत्रिक थीं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आजाद एक सामजिक कार्यकर्ता हैं और उन्हें चिकित्सा उपचार के अलावा चार सप्ताह तक शहर से बाहर रखने का निर्णय उनके मौलिक अधिकारों का उल्लघंन करता है।

साथ ही आजाद के वकीलों ने कहा कि दिल्ली को छोड़ने से पहले आजाद ने कहा था कि उनकी पहली चिंता लोगों को नागरिकता कानून के बारे में जागरूक करना है ना कि दिल्ली में चुनाव लड़ना। उनकी प्राथमिकता भेदभावपूर्ण नागरिकता कानून के बारे में लोगों को जागरूक करना है और लोगों को इस कानून खिलाफ खड़ा करना है। इस समय अहम आंदोलन को मजबूत करना है ना कि राजनीति करना।

दिल्ली के दरियागंज इलाके में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप में भीम आर्मी के प्रमुख को 21 दिसंबर की सुबह गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी से एक दिन पहले आजाद ने दोपहर में जामा मस्जिद में एक बड़ी सभा को संबोधित किया था।

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प्रदर्शन की ही शाम को प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने मस्जिद से जंतर - मंतर तक मार्च करने की कोशिश की थी लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें दिल्ली गेट पर ही रोक लिया गया था। जिसके बाद भीड़ ने पीछे हटने से मना कर दिया था और भीड़ ने पुलिस स्टेशन के बाहर एक कार में आग दी थी। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए वाटर कैनन और डंडों का इस्तेमाल किया था।

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