ट्रेड यूनियनों ने मोदी सरकार को किया आगाह, श्रमिकों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन होगा और तेज
हिन्दुस्तान के इतिहास में 8 जनवरी 2020 की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल विश्व की सबसे बड़ी हड़ताल बन गई, इसका नारा बन गया 'जनता पर प्रहार करने वालों पर प्रहार करो, सरकार के अत्याचार को रोकने के लिए हड़तालों से आक्रमण करो...
रोहित शिवहरे
भोपाल, जनज्वार। 8 जनवरी को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बैंक, बीमा, राज्य, जीएसआई, बीएसएनएल, सेन्ट्रल ट्रेड यूनियनों एव अन्य संस्थानों के हजारों कामगारों ने रंग-बिरंगे बैनर, पोस्टर्स, प्ले कार्डस एवं कलरफुल ड्रेस के साथ प्रेस कॉमप्लेक्स होशंगाबाद रोड भोपाल स्थित ओरियेन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स, रीजनल ऑफिस के सामने एकत्रित होकर व्यापक भारत बंद का समर्थन किया।
केन्द्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ की गई हड़ताल में हड़ताली कर्मियों ने इंकलाबी रैली निकालकर प्रभावी प्रदर्शन एवं सभा का आयोजन किया। इंटक, एटक, सीटू, एच.एम.एस., ए.आई.यू.टी.यू.सी., सेवा तथा केन्द्र, बैंक, बीमा, बीएसएनएल एवं अन्य संस्थानों की ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ देशभर के 25 करोड़ एवं मध्य प्रदेश के 08 लाख से ज्यादा मजदूर एवं कामगार हड़ताल पर रहे।
हड़ताल के कारण बैंक, बीमा, डाकतार, केन्द्र, बीएसएनएल, कोयला, परिवहन, तेल, पोर्ट, विमानन एवं अन्य संस्थानों के कार्यालयों में काम-काज ठप्प रहा। संख्या की दृष्टि से विश्व की यह सबसे बड़ी हड़ताल है। यह हड़ताल मुख्य रूप से उन मुद्दों पर केंद्रित है, जिनसे देश की जनता, हर ट्रेड यूनियन एवं कामगार प्रभावित होता है।
भारत बंद में शामिल हुए संतोष बघेल कहते हैं, आज भोपाल में राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल से बैंक, बीमा, डाकतार, टेलीफोन एवं केन्द्रीय कार्यालयों में काम-काज ठप्प होगा, मगर इससे श्रमिकों की आवाज सरकार के कानों में पड़ेगी। ट्रेड यूनियन प्रवक्ता गुणशेखरन कहते हैं, हड़ताली संगठनों ने मुख्य रूप से 12 सूत्रीय मॉंगों को लेकर हड़ताल की है, जो कि इस प्रकार हैं :
1. आवश्यक वस्तुओं की मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपाय करें, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर न करें, कमोडिटी बाजार में सट्टेबाजी पर प्रतिबंध लगायें।
2. हमारे युवाओं के लिए अधिक रोजगार पैदा करें तथा सभी क्षेत्रों और उद्योगों में चरणबद्ध भर्तियों के माध्यम से बेरोजगारी को कम करने के लिए प्रभावी उपाय करें।
3. श्रम कानूनों के उल्लंघन के लिए नियोक्ताओं पर कठोर कार्रवाई की जाये।
4. सभी कामगारों और कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें।
5. न्यूनतम वेतन 21,000/- से कम न हो।
6. सभी कामगारों और कर्मचारियों के लिए सुनिश्चित पेंशन दी जाये, एनपीएस समाप्त करें, पुरानी पेन्शन बहाल की जाये।
7. समान कार्य के लिए स्थाई मजदूरों की भाँति ठेका मजदूरों के लिए भी समान वेतन और लाभ दिये जाये।
8. केन्द्र और राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईओं/उपक्रमों के विनिवेश पर रोक लगाई जाये।
9. बोनस, भविष्य निधि के भुगतान और पात्रता पर से सभी ऊपरी सीमाओं को हटाया जाये।
10. 45 दिनों की अवधि के भीतर श्रम संगठनों का पंजीकरण सुनिश्चित किया जाये तथा आईएलओ कन्वेंशन नंबर 87 और 98 का तत्काल अनुमोदन किया जाये।
11. श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों को वापिस लिया जाये।
12. रक्षा, बीमा, रेलवे तथा अन्य मुख्य क्षेत्रों में अंधाधुंध एफडीआई पर रोक लगाई जाये। इन मुद्दों के अलावा बैंक के पांच बैंक अधिकारी-कर्मचारी संगठनों - ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन नैशनल बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन, इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस की यह हड़ताल जन विरोधी बैंकिंग सुधारों एवं बैंकों के अनुचित विलय के विरोध में, कॉरपोरेट ऋणदातों के ऋणों की वसूली के लिए कठोर कदम उठाये जाने की माँग के लिये, वेतन पुनरीक्षण एवं सम्बन्धित मुद्दों को शीघ्र कराने के लिए, बैंकों में समुचित भर्ती के लिए थी।
जनज्वार से हुई बातचीत में लक्ष्मी त्रिपाठी कहती हैं कि जब सरकार जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के माध्यम से आमजन पर लगातार आक्रमण कर रही हो, जब कामगार वर्ग का दुःख दर्द गहराता जा रहा हो, जब अर्थव्यवस्था सबसे निचले स्तर पर हो, जब जनता की भलाई के लिए सरकार यथार्थवादी नीतियों को लागू करने में हिचकिचा रही हो, जब कामगार वर्ग की समस्याओं की भी सुनवाई नहीं हो, जब बेरोजगारी चरम-सीमा पर हो एवं रोजगार घट रहे हों, जब लगातार सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों एवं ट्रेड यूनियनों पर हमले हो रहे हों, तब ये आवश्यक रूप से आंदोलन का रूप-धारण करेगा।
उसका स्तर व तीव्रता भी उच्च होगी और परिणामतः हिन्दुस्तान के इतिहास में 08 जनवरी 2020 की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल विश्व की सबसे बड़ी हड़ताल बन गई है। इस हड़ताल का नारा बन गया है 'जनता पर प्रहार करने वालों पर प्रहार करो, सरकार के अत्याचार को रोकने के लिए हड़तालों से आक्रमण करो।'
उन्होंने श्रम-विरोधी नीतियों, आऊट सोर्सिंग, लगातार बढ़ती महंगाई, जन एवं श्रम विरोधी बैंकिंग तथा श्रम सुधारों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण, बैंकों का विलय, मजदूरों के विरोध में किये गये संशोधनों का विरोध करते हुए नई पेंशन योजना को बंद कर पुरानी पेंशन योजना की बहाली एवं नई भर्ती करने की माँग की।
लक्ष्मी त्रिपाठी कहती हैं, केन्द्र सरकार को आगाह किया कि हड़ताली कामगारों के मुद्दों के ऊपर गंभीरतापूर्वक विचार कर उनका निराकरण किया जाये, अन्यथा आने वाले दिनों में आन्दोलन को और तेज किया जाएगा।