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समाज

हिरासत में बंद आदिवासियों ने पीने के लिए पानी मांगा तो पुलिसकर्मियों ने पेशाब पीने को किया मजबूर

Prema Negi
13 Aug 2019 9:10 AM GMT
हिरासत में बंद आदिवासियों ने पीने के लिए पानी मांगा तो पुलिसकर्मियों ने पेशाब पीने को किया मजबूर
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हिरासत में बंद 5 आदिवासी युवाओं की जमकर पिटाई करने के बाद पानी मांगने पर पुलिस ने किया पेशाब पीने को मजबूर, थाना प्रभारी समेत 4 पुलिसकर्मी हुए निलंबित...

जनज्वार। देश में मॉब लिंचिंग, दलित-आदिवासी उत्पीड़न, धर्म-संप्रदाय के नाम पर होने वाली हिंसा की खबरें दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। पुलिस उत्पीड़न की खबरें भी अखबारों की सुर्खियां बनी रहती हैं। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जनपद के नानपुर पुलिस स्टेशन से सामने आया हैं।

हां के प्रभारी समेत चार पुलिसकर्मियों पर हिरासत में बंद 5 आदिवासी युवकों को प्रताड़ित करने और उन्हें पानी मांगने मांगने पर पेशाब पीने के लिए मजबूर करने का एक मामला सामने आया है।

जानकारी के मुताबिक अब इस मामले में संलिप्त थाना प्रभारी सहित चारों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, अलीराजपुर पुलिस अधीक्षक विपुल श्रीवास्तव का कहना है कि तीन दिन पहले हिरासत में लिए गए 5 आदिवासी युवकों की पुलिसकर्मियों द्वारा पिटाई के प्रथम दृष्टया लगाए गए आरोप सही पाए गए हैं। जांच में पांचों आदिवासी युवाओं के शरीर पर चोट के निशान भी पाये गये हैं।

पुलिस स्टेशन के कर्मचारियों द्वारा हिरासत में बंद आदिवासी युवाओं के साथ की गयी यह घिनौनी और जघन्य हरकत सामने आने के बाद उन्हें इलाज के लिए अलीराजपुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

जानकारी के मुताबिक इन पांचों आदिवासी युवाओं को कथित तौर पर एक पुलिस अधिकारी पर हमला करने के जुर्म में हिरासत में रखा गया था। इन आदिवासी युवाओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 353 (लोकसेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) के तहत मामला दर्ज किया गया था। अब एक स्थानीय अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया है।

हा जा रहा है कि पुलिसकर्मी के साथ की गई मारपीट से पुलिस खार खाये हुए थी, इसलिए उसने इनको पहले तो खूब मारा-पीटा और बाद में पानी मांगने पर पेशाब पीने को मजबूर किया।

हीं पुलिस ने दावा किया है कि पांचों आदिवासी युवकों का एक अन्य युवक के साथ झगड़ा हुआ था। एक अन्य युवक के साथ इन पांचों का विवाद इसलिए हुआ था क्योंकि उस युवक ने इन पांचों में से एक की बहन को कथित तौर प्रताड़ित किया था। वे पांचों आदिवासी युवा जब बहन को प्रताड़ित करने वाले युवक के पीछे थे, तभी उसने पुलिस की गाड़ी को रोककर मदद मांगी। पुलिस ने युवक को पांचों से बचाया और जब उनसे इस संबंध में पूछताछ की तो बकौल पुलिस पांचों युवकों ने कथित तौर पर एक पुलिस अधिकारी की पिटाई कर दी।

लीराजपुर पुलिस अधीक्षक विपुल श्रीवास्तव का कहना है कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच-पड़ताल जारी है। इसे जल्दी से पूरा कर दोषी पाये जाने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

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