टिहरी में अगड़ों के सामने बैठकर दलित युवक ने खाया खाना तो बेरहमी से पीटा, इलाज के दौरान हुई मौत
शादी समारोह में शामिल दलित युवक जितेंद्र को सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया, क्योंकि उसने अगड़ों के आगे बैठकर खाना खा लिया था...
जनज्वार। दलितों के साथ होने वाली उत्पीड़न की घटनाएं मोदीराज में चरम पर पहुंच चुकी हैं। उन्हें इंसान नहीं जानवरों से भी बदतर समझा जाता है और जब भी कोई अपने अधिकारों या बराबरी के लिए आवाज उठाता है तो आवाज का गला ही घोंट दिया जाता है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है देवभूमि कही जाने वाली उत्तराखंड के टिहरी में। यहां शादी समारोह में शामिल एक दलित युवक को इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया, क्योंकि उसने अगड़ों के आगे बैठकर खाना खा लिया था। यह तथाकथित ऊंची जाति से संबंध रखने वालों को अपना अपमान लगा और युवक को मार-मारकर लहूलुहान कर दिया, जिस कारण बाद में इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला महाराष्ट्र से भी पिछले दिनों सामने आया है, जहां ईंट भट्टा मालिक ने दलित मजदूर युवक को जबर्दस्ती मानव मल खिला दिया था।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक उत्तराखण्ड स्थित टिहरी जनपद के नैनबाग तहसील के श्रीकोट गांव निवासी कालिया दास के बेटे प्रदीप की 26 अप्रैल को शादी थी। शादी में रात को जब ऊंची जाति से संबंध रखने वाले कुछ लोग खाना खा रहे थे, तभी बसाणगांव पोस्ट श्रीकोट पट्टी इडवाल्सयू टिहरी गढ़वाल निवासी 23 वर्षीय दलित युवक जितेंद्र उन लोगों के सामने ही कुर्सी लगाकर खाना खाने लगा।
दलित युवक को अपने सामने कुर्सी लगाकर खाना उन लोगों को अपनी शान के खिलाफ लगा। अगड़ों ने दलित युवक की कुर्सी पर लात मारी, जिससे जितेंद्र नीचे गिर गया और उसकी हाथ से खाने की थाली उछलकर बाकी लोगों पर गिर गई। खाना जैसे ही बाकी अगड़ों पर गिरा, वैसे ही उन्होंने भी जितेंद्र को पीटना शुरू कर दिया। उसके बाद इन दबंग अगड़े युवा उन्हें पीटते हुए शादी समारोह से दूर ले गए और वहां उसे बुरी तरह पीटा गया।
इस घटना के अगले दिन यानी 27 अप्रैल को दलित युवक जितेंद्र की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई। वह बेहोश हो गया तो परिजन उसे नैनबाग स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए, जहां से डॉक्टरों ने हालत काबू से बाहर होती देख देहरादून के हायर सेंटर में लागू कर दिया गया।
9 दिन तक जिंदगी और मौत के बीच झूलते जितेंद्र ने आखिरकार आज 5 मई को उपचार के दौरान देहरादून के अस्पताल में दम तोड़ दिया। जितेंद्र की मौत के बाद परिजनों ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
दलित युवक की मौत के बाद पुलिस ने परिजनों की शिकायत के आधार पर थाना कैम्पटी में 7 लोगों के खिलाफ धारा 147, 323, 504, 506 आईपीसी व एससी एसटी एक्ट के तहत नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया गया। मामले की जांच शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि दलितों ने 2014 में भाजपा की लोकसभा चुनाव जीत में अहम योगदान दिया था। 5 वर्षों में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में अनुसूचित जाति और जनजातियों के लोगों के साथ मारपीट और लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं से भी साबित होता है कि ये लोग दलित और आदिवासियों को लेकर कितनी विरोधी मानसिकता रखते हैं।