कैप्टन अमरिंदर चले भाजपा की राह, धार्मिक ग्रंथों के अनादर पर बनाएंगे उम्रकैद का कानून
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मांगा जवाब, पूछा क्या यही है कांग्रेस के सेकुलर राजनीति का रोड मैप
पढ़िए इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश को
पंजाब में धार्मिक ग्रंथों का अनादर करना बड़ा अपराध माना जायेगा। कांग्रेसी मंत्रिमंडल ने इस आशय के कानून का मसविदा मंजूर कर लिया है।
(यह अपराध 'माब लिंचिग' जैसा नहीं होगा, जिसमें फौरन जमानत मिल जाती है) धार्मिक ग्रंथों का अनादर वालों को उम्रकैद की सजा हो सकती है! इस पर मेरे दो सवाल हैं: 1. क्या भारत के संविधान में धार्मिक ग्रंथों की कोई सूची है? किसे धार्मिक ग्रंथ माना जायेगा और किसे काव्य या कथा साहित्य?
क्या नया कानून धार्मिक ग्रंथों की सूची पेश करेगा या इसे याचिका दायर करने वालों और अदालतों की इच्छा पर छोड़ देगा?
'मनुस्मृति' को किस श्रेणी में रखेंगे? अगर वह धार्मिक ग्रंथ माना जायेगा तो उम्रकैद में भेजे जाने वालों में मेरा भी नाम दर्ज कर लें!
2. 'अनादर' का क्या अर्थ है? इस कानून में 'अनादर' को किस तरह परिभाषित किया गया है? क्या किसी कथित ग्रंथ, जो सदियों या बरसों पहले लिखा गया और जिसकी ढेर सारी बातें आज के समाज में बेमतलब हैं, की आलोचना करना अनादर माना जायेगा?
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, आप दोनों से अपेक्षा है, इन दोनों सवालों पर देश के नागरिकों का ज्ञान बढ़ाएं! जानता हूं, आप लोग बहुत व्यस्त लोग हैं। और मैं हिंदी में लिख रहा हूं, हिंदी का साधारण सा पत्रकार हूं। हो सकता है, मुझे जवाब देना आपको स्तरीय न लगे! बेशक, अपनी राज्य सरकार या पार्टी के किसी हिंदी भाषी प्रवक्ता से ही जवाब भिजवायें!
लोगों को इन सवालों का जवाब जरूर चाहिए क्योंकि आपकी पार्टी देश में वैकल्पिक सरकार(जो सेक्युलर लोकतांत्रिक और धार्मिक सामाजिक मामलों में सहिष्णु होगी) देने की बात कर रही है!