Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

उत्तराखण्ड में फिर एक आत्महत्या, विपक्ष की नेता देंगी क्या फिर मुआवजा

Janjwar Team
12 March 2018 3:41 PM GMT
उत्तराखण्ड में फिर एक आत्महत्या, विपक्ष की नेता देंगी क्या फिर मुआवजा
x

किशन की मौत जीएसटी जैसी भीमकाय नीति से नहीं, बल्कि वन विभाग की उस नीति से हुई है जिसे सत्ता और विपक्ष मिलकर कभी भी सुधार सकते हैं, मगर इसी नीति ने न सिर्फ एक जान ली बल्कि एक परिवार को चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया...

हल्द्वानी से संजय रावत

हल्द्वानी के रामपुर रोड जीतपुर में 8 मार्च को रामपुर फिर एक युवा ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का कारण 5 दशक से बसे परिवार को वन निगम ने बेदखली का नोटिस दे दिया था। घर उजडने के डर से गृहस्वामी ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने वाला किशन 40 वर्ष का था, जो एक निजी बस चालक था। व्यवस्था की मार से असुरक्षा में साए में आए किशन ने फिर ट्रांसपोर्टर प्रकाश पाण्डेय की आत्महत्या के जख्मों को कुरेद दिया है।

जीएसटी से क्षुब्ध प्रकाश पाण्डे को नेता विपक्ष इन्दिरा से सहृदयता दिखाते हुए सवा सात लाख चन्दा जुटाकर आर्थिक मदद पहुँचाई थी। तो क्या इस बार भी सहृदया नेता प्रतिपक्ष का संवेदनशील हृदय किशन को आत्महत्या के लिए फिर से चन्दा जमाकर आर्थिक सहायता पहुंचा उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान करेगा। क्या वे सभी सवेदनशील दानदाता खुलेहाथ से आर्थिक मदद पहुचाएंगे।

चूंकि यहां दोनों आत्मघातियों की मौत की वजह एक ही है और वो है सत्ता पक्ष की नीतियों से झुंझलाहट। जिसके चलते दोनों युवाओं ने असुरक्षा और खीझ में आत्महत्या कर ली। एक ने जीएसटी से हताश होकर आत्महत्या की, तो दूसरे ने बेघर होने की असुरक्षा से, या ये कहें व्यवस्था की जन विरोधी नीतियो के चलते।

संबंधित खबर : नेता विपक्ष ही उत्तराखण्ड में जीएसटी की बनीं तारणहार

वैसे तो विपक्ष का काम है सत्ता की जन विरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध करें। पर नेता प्रतिपक्ष जरा दूसरे मिजाज की हैं। वो सत्ता को गलियाते हुए प्रभावितों और सत्ता की एक साथ मदद कर देती हैं। ये हुनर सबके पास नहीं होता।

खैर, अभी यहाँ बात है कि शासन की जिन नीतियों के चलते दूसरी आत्महत्या हुई है उसे आर्थिक मदद मिलेगी या नहीं। इसका सीधा सा जबाब है नहीं। प्रकाश पाण्डे को आर्थिक मदद इसलिए नहीं दी गयी कि वो युवा व्यवसायी था और सत्ता के दंश को झेल नहीं पाया, बल्कि उसे आर्थिक मदद देने में नेता प्रतिपक्ष ने इसलिए हड़बड़ाहट मचाई थी कि सत्ता को सहयोग देने का मौका और किसी के हाथ न जा सके।

प्रकाश पांडे की मौत ने सीधे जीएसटी जैसी नीति को चैलेंज कर दिया था, जिससे सत्ता पर हर हाल में इस मुद्दे को दबाने का भारी दबाव था। सत्ता का कोई भी महारथी इतना निपुण नहीं था कि इतने बड़े मामले को लेकर जनता का गच्चा खिला जाये। खैर नेता प्रतिपक्ष ने इसमें अपने हुनर दिखा आर्थिक मदद कर सत्ता के प्रति जनआक्रोश पर ठंडा जल प्रवाहित कर सदा के लिए शांत कर दिया।

समझा जा सकता है कि अब किशन की आर्थिक मदद को नेता विपक्ष और वे प्रतिष्ठित नागरिक क्यो आगे नहीं आयेंगे। यहां किशन की मौत जीएसटी जैसी भीमकाय नीति से नहीं, बल्कि वन विभाग की उस नीति से हुई है जिसे सत्ता और विपक्ष मिलकर कभी भी सुधार लेंगे। लेकिन घर उजड़ना और मौत तो मौत ही है महोदया। इसलिए अब आप हर उस आत्महत्या पर याद की जायेंगी, जो सत्ता की जन विरोधी नीतियों के चलते भविष्य में होती रहनी हैं।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध