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उत्तराखंड में बाग-बगीचे तक तबाह कर डाले खनन माफिया ने
स्टोन क्रशरों के वजूद में आने के बाद से खनन माफियाओं ने कोसी नदी से निकलने वाले उपखनिज स्टाक के नाम पर रामनगर क्षेत्र के कई बाग-बगीचों में उपखनिज का स्टाक कर उन्हें तबाह कर दिया है, मगर सबकुछ जानने—समझने के बाद भी शासन—प्रशासन बना हुआ है बेखबर...
रामनगर से सलीम मलिक की रिपोर्ट
जनज्वार। कभी लीची के लजीज स्वाद के लिये मशहूर रहे रामनगर की फल पट्टी पर भू-माफिया के बाद अब खनन माफियाओं की नजर लग गई है। खनन माफियाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम बाग-बगीचों को उपखनिज स्टाक का अड्डा बनाकर बगीचों को भी बर्बाद करना शुरू कर दिया है।
खनन माफियाओं के इस नये कारनामे से एक ओर जहां बची-खुची फल पट्टी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है, तो दूसरी ओर दिन रात के खनन कारोबार से कृषि योग्य भूमि की उर्वरा क्षमता कम होती जा रही है। प्रशासन इस पर रोक लगाने की बात तो कहता है, लेकिन उसकी यह कार्यवाही जमीनी स्तर पर न उतरने के कारण इसके कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि रामनगर का ग्रामीण क्षेत्र कभी अपने फलों के लिये दूर-दूर तक जाना जाता था। रसीले फलों का स्वाद कायम रहे, इसके लिये राज्य सरकार ने इस क्षेत्र के फलदार पेड़ों को संरक्षित करने के लिये पूरे इलाके को फल-पट्टी घोषित कर पेड़ काटने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद तेजी से हुये पलायन के कारण पर्वतीय क्षेत्र से आने वाली आबादी की रिहाईश की जरुरत पूरी करने के लिये क्षेत्र में उभरे भू-माफियाओं ने प्रशासन से सांठ-गांठ करके फलदार हरे पेड़ों पर आरी चलाकर फल-पट्टी के एक बहुत बड़े हिस्सों को समाप्त करके वहां पर कंक्रीट के जंगल खड़े कर दिये थे।
बीते बीस सालों में हजारों फलदार पेड़ नई आवासीय कालोनियो की भेंट चढ़ने के बाद फल-पट्टी को बर्बाद करने का एक नया फार्मूला खनन व्यवसाय से निकल आया। इलाके में कई स्टोन क्रशरों के वजूद में आने के बाद से खनन माफियाओं ने कोसी नदी से निकलने वाले उपखनिज स्टाक के नाम पर क्षेत्र के कई बाग-बगीचों में उपखनिज का स्टाक करना शुरू कर दिया है।
कोसी नदी से निकला यह उपखनिज बाग-बगीचों के लिये इतना घातक साबित हो रहा है कि फलों के जिस बगीचे में उपखनिज का स्टाक किया जा रहा है, वहां के फलदार पेड़ पूरी तरह से खनन सामग्री की चपेट में आकर बीमार होकर सूखने की स्थिति में पहुंच जा रहे हैं। ऐसे में पेड़ के सूखते ही मौके की तलाश में बैठे खनन माफिया इन पेड़ो को काटकर ठिकाने लगा दे रहे हैं।
मोटी आय का साधन बना खनन स्टाक का कारोबार बड़ी संख्या में बेरोजगार युवाओं को प्रभावित कर रहा है, जिसके चलते शहर व ग्रामीण क्षेत्रो में इन दिनों उपखनिज के भंडारण का कारोबार जोरों पर चल रहा है, लेकिन कोढ़ में खाज वाली स्थिति यह है कि इलाके में वैध उपखनिज भण्डारण की जगह अवैध भण्डारण भी धड़ल्ले से हो रहा है।
वैध भण्डारण पर तो प्रशासन का फेरा आदि लगने के कारण यहां पर भले ही दिखावे के कारण हो, लेकिन कुछ नियमों का पालन कर लिया जाता है जो उपखनिज के गैरकानूनी अवैध भण्डारण प्रशासन के रिकार्ड में ही नहीं है, वहां पर हालत बेहद खराब हो चुके हैं।
स्थानीय लोगों की मानें तो अवैध खनन स्टाक के कारोबार में राजनीति से जुड़े छुटभैयों के कारण प्रशासन इन पर कोई कठोर कार्यवाही करने में अक्षम साबित हो रहा है। इस बाबत जब एसडीएम हरगिरि गोस्वामी का ध्यान दिलाया गया तो उन्होंने कहा, इलाके में उपखनिज के कई अवैध स्टाक की सूचना मिली है। जल्द ही इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी। इसके अलावा जिन रास्तों से खनन वाहन गुजर रहे हैं, वहां की सड़कों पर वाहन स्वामियों द्वारा नियमित पानी का छिड़काव सुनिश्चित करवाते हुये वाहन की स्पीड पर भी अंकुश लगवाया जायेगा, जिससे दुर्घटनाओं पर रोकथाम लगाई जा सके।
हालांकि इन उपखनिज स्टाक पर दिन भर में कई ट्रैक्टर-ट्रालियों और डम्परों के माध्यम से खुलेआम नदियों का सीना चीरकर उपखनिज सामग्री लाकर स्टाक की जा रही है, लेकिन प्रशासन कभी कोई कार्यवाही नहीं करता। आलम यह है शहर व ग्रामीण इलाकों के साथ ही शहर से सटे विभिन्न स्थानों पर चोरी-छिपे उपखनिज स्टाक किया जा रहा है, लेकिन यह सब जानते हुए भी प्रशासन इन पर हाथ डालने को तैयार नहीं है।
प्रशासन की नाक के नीचे हो रहे इस अवैध कारोबार से सरकार को न केवल रोजाना लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि उपखनिज के यह स्टाक आसपास की आबादी के स्वास्थ्य के लिये खतरा बन चुके हैं।
रामनगर के कालूसिद्ध, जस्सागांजा, चिल्किया, उदयपुरी, तेलीपुरा रोड में दर्जन से भी ज्यादा अवैध भण्डारण केन्द्र खुले हुए हैं, जबकि इन्हीं क्षेत्रों में श्वांस रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। कहने को सरकार की ओर से कोसी नदी को चुगान के लिए खोला गया है, इसके बावजूद नगर के अंदर अवैध तरीके से संचालित होने वाले उपखनिज भण्डारणों के पहाड़ खड़े देखकर समझ आता है कि चुगान की आड़ में नदी में क्या खेल खेला जाता होगा।
सड़क से निकलने वाले लोग होते हैं परेशान
कोसी नदी से वैध-अवैध उपखनिज लेकर निकलने वाले खनन सामग्री से लदे हुए इन वाहनों की तेज रफ्तार के कारण सड़क पर चलने वाले राहगीरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पुलिस, प्रशासन और परिवहन विभाग की आंखों में धूल झोंकने के चक्कर में ये वाहन तेज गति से चलते हैं, जिसका खामियाजा सड़क पर गुजरने वाले लोगों को दुर्घटना के रूप में उठाना पड़ता है। जिन गांवों से इन वाहनों की निकासी होती है, वहां के ग्रामीणों का रात-दिन का सुख-चैन तक छीन गया है। आये दिन छोटे-छोटे बच्चो के साथ दुर्घटना की सम्भावनाएं बनी रहती हैं, लेकिन प्रशासन इन पर कोई रोक लगाना तो दूर इनकी ‘रफ्तार’ तक कम नहीं करवा सका है।