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उत्तराखण्ड के मंत्री महोदय नकल करने से पहले थोड़ी अकल तो लगा लेते!

Janjwar Team
1 March 2018 7:01 PM GMT
उत्तराखण्ड के मंत्री महोदय नकल करने से पहले थोड़ी अकल तो लगा लेते!
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उत्तराखण्ड के खेल मंत्री की बीसीसीआई को भेजी चिट्ठी ने कराई किरकिरी, बीसीसीआई ने नहीं भेजी राज्य लिए कोई एफिलेशन कमेटी, मगर अरविंद पाण्डे ने दिया एफिलेशन कमेटी भेजने के लिए धन्यवाद, पुडुचेरी की चिट्ठी हू—ब—हू नकर करने के चक्कर में कर बैठे ये गलती...

जनज्वार, देहरादून। उत्तराखण्ड के खेल मंत्री अरविंद पाण्डे किसी ने किसी वजह से सुर्खियों में रहते हैं। वो अलग बात है कि अक्सर उनका नाम सरकार की फजीहत कराने के तौर पर ही सुर्खियों में आता है।

देहरादून में रणजी मैच के नाम पर सरकार की जमकर किरकिरी कराने के बाद अब खेल मंत्री जी ने दोबारा फजीहत कराने की तैयारी कर ली है। ताजा मामला उत्तराखण्ड क्रिकेट को बीसीसीआई से मान्यता दिलाने के लिये बीसीसीआई को लिखी चिट्ठी का है।

पाण्डे जी और उनके काबिल अफसरों ने अपनी काबिलियत का नमूना पेश करते हुए, किसी दूसरे राज्य द्वारा बीसीसीआई को लिखी चिट्ठी को हू-बू-हू कॉपी कर डाला है। वहीं उत्तराखण्ड की प्रस्तावित राजधानी देहरादून को बताकर नया सियासी व राजनीतिक बवाल खड़ा करने की भूमिका तैयार कर दी है।

उत्तराखण्ड क्रिकेट की मान्यता का मामला प्रदेश के उद्भव के समय से ही लंबित है। प्रदेश सरकार की उदासीनता और सूबे में कार्यरत क्रिकेट एसोसिएशनों की आपसी जंग के चलते मान्यता बरसों से लंबित है। इस मामले में राजनीति तो जमकर हो ही रही है, वहीं कई प्रभावशाली मीडिया दिग्गज भी पर्दे पीछे से अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस सारी राजनीति, खींचतान और आपसी वर्चस्व की लड़ाई का खामियाजा उत्तराखण्ड के खिलाड़ी व खेलप्रेमी भुगत रहे हैं।

उत्तराखण्ड में बीजेपी सरकार बनने के बाद से मान्यता प्रकरण में खेल मंत्री अरविंद पाण्डे काफी सक्रिय दिख रहे हैं। अति सक्रियता के चलते पाण्डे जी गलती पर गलतियां करते जा रहे हैं। पिछले साल देहरादून में रणजी मैच के आयोजन के जोर-शोर से प्रचार के बाद मैंच कैंसिल हो जाने पर पूरे प्रदेश की भद्द पाण्डे जी पिटवा चुके हैं।

ताजातरीन मामला बीसीसीआई को पत्र लिखने का है। असल में खेल मंत्री ने बीसीसीआई को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि उत्तराखण्ड क्रिकेट को मान्यता प्रदान की जाए। पाण्डे जी ने अपने पत्र में उत्तराखण्ड क्रिकेट को मान्यता देने की कई खास कारणों का जिक्र भी किया है।

पुडुचेरी की बीसीसीआई को भेजी गई चिट्ठी और उत्तराखण्ड के खेल मंत्री द्वारा बीसीसीआई को लिखी गई चिट्ठी की समानताएं देखें

अति उत्साह में पाण्डे जी और उनके काबिल अफसरों ने पुडुचेरी प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा पिछले साल बीसीसीआई को लिखी चिट्ठी को हू-ब-हू अपने लैटर पैड पर उतार दिया। पत्र में पाण्डे जी ने बीसीसीआई को गलत व तथ्यहीन सूचनाएं देने के साथ ही साथ अपनी एक करीबी एसोसिएशन का मजबूती से ‘फेवर’ किया है।

बताते चलें कि, पिछले साल मई में पुडुचेरी के मुख्यमंत्री ने बीसीसीआई को एक पत्र लिखकर राज्य क्रिकेट को मान्यता प्रदान करने का आग्रह किया था। जरूरी कार्यवाही के बाद बीसीसीआई ने पुडुचेरी को मान्यता प्रदान कर दी। उत्तराखण्ड के खेल मंत्री अरविंद पाण्डे ने उस चिट्ठी का मजमून हूबूहू छापकर बीसीसीआई को भेज दिया है।

यहां ये बात गौर करने वाली है कि पुडुचेरी क्रिकेट को मान्यता प्रदान करने के लिए बीसीसीआई को चिट्ठी वहां के मुख्यमंत्री ने लिखी थी। लेकिन अपने पाण्डे जी ने मुख्यमंत्री को दरकिनार कर अपने लैटर पैड पर चिट्ठी बीसीसीआई को चिट्ठी भेजकर मुख्यमंत्री को ‘ओवरलुक’ किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत स्वयं इस मामले में सीधे तौर पर जुड़े हैं। मुख्यमंत्री रावत ने 15 अक्टूबर 2017 को मामले का सर्वमान्य हल निकालने के लिए क्रिकेट एसोसिएशनों की बैठक बुलाई थी। उस समय भी पाण्डे जी और एक क्रिकेट एसोसिएशन की वजह से मीटिंग बेनतीजा साबित हुई थी।

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड क्रिकेट को मान्यता दिलाने के लिए उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन (यूसीए) ने पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की ‘कमेटी आॅफ एडमिनिस्ट्रेटर’ को मामला सौंप दिया था।

कमेटी आॅफ एडमिनिस्ट्रेटर इस मामले का देख रही है। इस मामले में बीती 12 जनवरी व 23 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में तारीख पर सुनवाई हो चुकी है। मामला अभी देश की शीर्ष अदालत में लंबित है।

22 नंवबर को सुप्रीम कोर्ट में केस दाखिल होने के बाद खेल मंत्री ने 28 दिसंबर 2017 और 5 जनवरी 2018 को क्रिकेट एसोसिएशनों की मीटिंग बुलाई थी जो सीधे तौर पर अदालत की अवमानना का मामला है। पर इन सबसे बेपरवाह पाण्डे जी नियम कानून को ताक पर रखकर अपनी पसंदीदा क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीसीआई से मान्यता दिलाने के लिए पसीना बहा रहे हैं।

खेल मंत्री की बैठक में उनकी ‘गुट’ की दो क्रिकेट एसोसिएशनों सीएयू और यूनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन ने ही हिस्सा लिया। बाकी दो एसोसिएशनों ने मामला अदालत में लंबित होने के चलते बैठक में भाग नहीं लिया। इन दोनों क्रिकेट एसोसिएशनों का बैठक में भाग ने लेना पाण्डे जी को नागवार गुजरा।

खेल मंत्री ने बीसीसीआई को जो चिट्ठी लिखी है उसमें उन्होंने बीसीसीआई को एफिलेशन कमेटी भेजने के लिए धन्यवाद दिया गया है। जबकि बीसीसीआई ने उत्तराखण्ड राज्य में हाल-फिलहाल कोई एफिलेशन कमेटी भेजी ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मामला बीसीसीआई की कमेटी आॅफ एडिमिनिस्ट्रेटर को सौंपा है।

जब बीसीसीआई ने कोई एफिलेशन कमेटी भेजी नहीं तो पाण्डे जी बीसीसीआई को किस बात का धन्यवाद दे रहे हैं। ये बात समझ से परे है। असल में पाण्डे जी व उनके अफसरों ने पुडुचेरी की चिट्ठी को कापी किया है। उस चिट्ठी में धन्यवाद दिया गया था, सो अपने पाण्डे जी ने यहां भी काॅपी पेस्ट कर डाला। बताते चलें कि पुडुचेरी में बीसीसीआई ने एफिलेश कमेटी भेजी थी।

पाण्डे जी ने अपनी चिट्ठी में उत्तराखण्ड राज्य से जुड़े एक बेहद संवेदनशील मुद्दे को छेड़ने का काम किया है। उन्होंने अपने पत्र में देहरादून का राज्य की प्रस्तावित राजधानी बताया है। जबकि आठ अगस्त 2000 को गृहमंत्रालय ने यूपी के तत्कालीन मुख्य सचिव को पत्र लिखा था, जिसमें स्पष्ट तौर पर जिक्र किया गया था कि जब तक उत्तराखण्ड की स्थायी राजधानी नहीं बन जाती तब तक देहरादून अस्थायी राजधानी ही रहेगी।

ऐसे में खेल मंत्री देहरादून को प्रस्तावित राजधानी बताकर जनभावनाओं का अपमान कर रहे हैं। स्थायी राजधानी का मुद्दा सीधे तौर पर प्रदेश के लाख प्रदेशवासियों और राजनीति से जुड़ा है। ऐसे में राज्य के खेल मंत्री का गैरजिम्मेदाराना कथन राज्य की शांति में खलल डाल सकता है।

खेल मंत्री ने अपनी चिट्ठी में क्रिकेट एसोसिएशन आॅफ उत्तराखण्ड (सीएयू) का पक्ष लेते हुए उसे राज्य की सबसे पुरानी एसोसिएशन बताया है। वहीं उन्होंने सीएयू का उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) से संबंध साबित करने का प्रयास भी किया है। जबकि मंत्री जी को यह जानकारी होनी चाहिए कि एक राज्य किसी दूसरे राज्य को मान्यता या संबंद्धता नहीं दे सकता है। लेकिन अपने चहेती एसोसिएशन का पक्ष लेने व अपने नाते-रिश्तेदारों को उत्तराखण्ड क्रिकेट में शामिल करने के लिए मंत्री जी को कानून कायदे की धज्जियां उड़ाने में कोई परहेज नहीं है।

खेल मंत्री ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि और यूनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन विलय क्रिकेट एसोसिएशन आॅफ उत्तराखण्ड (सीएयू) में हो गया है। जबकि 26 जनवरी 2015 में यूनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन के उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन (यूसीए) में विलय की घोषणा देहरादून में आयोजित एक प्रेसवार्ता में यूनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष एवं वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने की थी।

इस विलय की विधिक स्थिति की जानकारी तो नहीं है, लेकिन प्रेसवार्ता में इस बाबत घोषणा यूनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन और यूसीए के पदाधिकारियों ने एक छतरी के नीचे आने का दावा किया था।

पिछले दिनों राज्य में कार्यरत चारों क्रिकेट एसोसिएशनों के एक मंच पर आने के प्रयास उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन (यूसीए) की पहल पर शुरू हुए थे। लेकिन यूसीए की कई दफा की कोशिशें कामयाब नहीं हो पाईं। मान्यता का मामला देश की शीर्ष अदालत में लंबित है, ऐसे में पाण्डे जी की तथ्यहीन व नये विवादों को जन्म देने वाली चिट्ठी क्या गुल खिलाएगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल, एक बात से साफ है कि पाण्डे जी नकल में अक्ल लगाने से चूक गए।

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