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राजनीति

ट्रंप के भारत दौरे के बाद दिल्ली के दंगों पर अमेरिकी मीडिया और सांसदों ने क्या कहा ?

Nirmal kant
26 Feb 2020 10:36 AM GMT
ट्रंप के भारत दौरे के बाद दिल्ली के दंगों पर अमेरिकी मीडिया और सांसदों ने क्या कहा ?
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जनज्वार। अमेरिका के मीडिया में राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे पर जितनी चर्चा नहीं की गई है उससे ज्यादा दिल्ली के दंगों पर की है। अमेरिका के प्रमुख अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि नई दिल्ली में दंगे एक विवादास्पद नागरिकता कानून और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़ते विवादों का नतीजा है।

बकि न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने बारत की राजधानी का दौरा किया, उस दौरान कम से कम 11 लोग सांप्रदायिक झड़पों में मारे गए। इस अखबार ने अपनी रिपोर्ट का शीर्षक दिया- युद्द के मैदान में तब्दील हुई दिल्ली की गलियां, हिंदू बनाम मुस्लिम।

सीएनएन ने लिखा कि एक नया कानून जो चुनिंदा देशों से गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता देता है उसको लेकर भारतीय राजधानी में समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसक सांप्रदायिक झड़पों में एक पुलिस अधिकारी समेत कम से कम 21 लोग मारे गए हैं।

फॉक्स न्यूज ने लिखा, भारत ने सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा के लिए रेड कारपेट बिछाया, सैकड़ों चीयरलीडर्स और विशाल रैली के लिए हफ्तों की तैयारी का दौर चला लेकिन सबसे बड़े नागरिकता विवादों में से एक विवाद ने इस देश को जकड़ लिया है।

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दिल्ली की हिंसा पर अमेरिकी कांग्रेस की प्रमिला जयपाल ने कहा, 'भारत में धार्मिक असहिष्णुता का घातक उछाल भयानक है। लोकतंत्र को विभाजन और भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए या धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करने वाले कानूनों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।' उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'दुनिया देख रही है।'

सांसद एलन लोवेन्टल ने कहा यह नैतिक नेतृत्व की एक दुखद विफलता है। हमें भारत में मानवाधिकारों के लिए खतरों के सामने बोलना चाहिए।

डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सीनेटर एलिजाबेथ वारेन ने कहा, 'भारत जैसे लोकतांत्रिक सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। लेकिन हमें धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित हमारे मूल्यों के बारे में सच बोलने में सक्षम होना चाहिए और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा कभी स्वीकार्य नहीं है।'

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सासंद रशीदा तालिब ने कहा, इस हफ्ते ट्रम्प ने भारत का दौरा किया लेकिन वास्तविक कहानी दिल्ली में मुसलमानों को लक्षित करने वाली सांप्रदायिक हिंसा होनी चाहिए। हम चुप नहीं रह सकते क्योंकि मुस्लिम विरोधी हिंसा का यह ज्वार पूरे भारत में जारी है।

मेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने कहा कि यह नई दिल्ली में मुसलमानों को निशाना बनाने वाली घातक भीड़ हिंसा की रिपोर्टों से चिंतित है। इसने मोदी सरकार से भीड़ पर लगाम लगाने और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का आग्रह किया।

ता दें कि दिल्ली में भड़की हिंसा में अबतक 20 लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हैं। इस हिंसा को लेकर गृहमंत्रालय और दिल्ली पुलिस की चौतरफा आलोचना हो रही है।

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