जब सरकारी नौकरी ही नहीं बची तो आरक्षण लेकर क्या करोगे : नितिन गडकरी
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नितिन गडकरी के कहने का मतलब ये कि जब सरकारी नौकरियां बचीं ही नहीं तो आरक्षण लेकर क्या 'अचार' डालोगे...
जनज्वार। जब सरकारी नौकरियां ही खत्म की जा रही हैं तो आरक्षण लेकर क्या अचार डालोगे, हू—ब—हू इन शब्दों में तो मोदी सरकार में मजबूत कहे जाने वाले मंत्री नितिन गडकरी तो नहीं बोले, लेकिन रोजगार सृजन को लेकर उनकी सरकार कितना सक्षम है, उसका सही आकलन उन्होंने यह कह कर दिया है कि आरक्षण का क्या फायदा जब खत्म होती जा रही हैं सरकारी नौकरियां।
मराठा आंदोलन की मांग पर पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक सवाल पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी बोले कि 'आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं। जब नौकरियां ही नहीं हैं, तो आरक्षण लेकर क्या होगा? मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है, लेकिन नौकरियां नहीं हैं। क्योंकि, बैंक में आईटी के कारण नौकरियां कम हुई हैं। सरकारी भर्ती रुकी हुई है। ऐसे में रोज़गार कैसे देंगे?'
नितिन गडकरी ने कहा, ‘एक सोच कहती है कि गरीब गरीब होता है, उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती। उसका कोई भी धर्म हो, मुस्लिम, हिन्दू या मराठा (जाति), सभी समुदायों में एक धड़ा है जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है, खाने के लिए भोजन नहीं है। एक सोच यह भी कहती है कि हमें हर समुदाय के अति गरीब धड़े पर न केवल विचार करना चाहिए बल्कि मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश भी करनी चाहिए।’
अपने इस बयान पर मचे विवाद के बाद हालांकि केंद्रीय मंत्री ने सफाई में ट्वीट किया कि, मुझे कुछ खबरें देखने को मिलीं, जिसमें मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। मैं साफ करना चाहता हूं कि आर्थिक आधार पर आरक्षण में बदलाव को लेकर सरकार की कोई योजना नहीं है।
नितिन गडकरी के नौकरियों के अभाव और देश में रोजगार की किल्लत वाले बयान पर तंज कसते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'बहुत बढ़िया गडकरी जी... हर भारतीय यही सवाल पूछ रहा है। नौकरियां कहां हैं?'