कौन है वो 8 साल की बच्ची, जिसने मोदी के #SheInspiresUs अभियान पर कालिख पोत दी
मणिपुर की 8 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम की तुलना स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग से भी होती है. पर्यावरण को लेकर मोदी सरकार की अनदेखी से नाराज लिसिप्रिया ने सांसदों को 'गूंगा, बहरा और अंधा' तक कह दिया...
जनज्वार। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर अपना ट्विटर हैंडल महिलाओं को समर्पित कर दिया है. इसी क्रम में वो मणिपुर की 8 वर्षीय पर्यावरण अधिकार कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम को भी जोड़ना चाहते थे. @mygovindia ने ट्वीट कर लिसिप्रिया को इस मुहिम से जुड़ने की अपील की थी. ट्वीट में कहा गया था, “लिसिप्रिया एक पर्यावरण कार्यकर्ता हैं. साल 2019 में उन्हें डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम चिल्ड्रेन अवॉर्ड, विश्व बाल शांति पुरस्कार व भारत शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. क्या आप उन जैसी किसी को जानते हैं? #SheInspiresUs हैशटैग के साथ हमें बताइए.”
लेकिन मोदी को इसका जैसा जवाब मिला, उसकी उम्मीद प्रधानमंत्री कार्यालय में शायद ही किसी ने की होगी. लिसिप्रिया ने ट्विटर पर इसका जवाब दिया, "प्रिय नरेंद्र मोदी जी. अगर आप मेरी आवाज़ नहीं सुनेंगे तो कृपया मुझे सेलिब्रेट मत कीजिए. अपनी पहल #SheInspiresUs के तहत मुझे कई प्रेरणादायी महिलाओं में शामिल करने के लिए शुक्रिया. कई बार सोचने के बाद मैंने यह सम्मान ठुकराने का फ़ैसला किया है. जय हिंद!"
Dear @narendramodi Ji,
Please don’t celebrate me if you are not going to listen my voice.
Thank you for selecting me amongst the inspiring women of the country under your initiative #SheInspiresUs. After thinking many times, I decided to turns down this honour. 🙏🏻
Jai Hind! pic.twitter.com/pjgi0TUdWa
— Licypriya Kangujam (@LicypriyaK) March 6, 2020
लेकिन, लिसिप्रिया यही नहीं रुकीं बल्कि उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए. उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों और नीयत पर कई ऐसे कड़वे सवाल उठाए, जिससे उनके प्रशंसक लिसिप्रिया से नाराज़ होने लग गए. उन्होंने लिखा, "प्रिय नेताओं और राजनीतिक पार्टियों, मुझे इसके लिए तारीफ़ नहीं चाहिए. इसके बजाय अपने सांसदों से कहिए कि मौजूदा संसद सत्र में मेरी आवाज़ उठाएं. मुझे अपने राजनीतिक लक्ष्य और प्रोपेगैंडा साधने के लिए कभी इस्तेमाल मत कीजिएगा. मैं आपके पक्ष में नहीं हूं."
Dear brothers/ sisters/ Sir/ Madam,
Stop all propaganda to bully me. I’m not against anyone. I just wants system change, not climate change.
I don’t expect anything from anyone except I want our leaders to listen my voice.
I believe my rejection will helps to listen my voice.
— Licypriya Kangujam (@LicypriyaK) March 7, 2020
लिसिप्रिया ने #ClimateCrisis हैशटैग के साथ एक अन्य ट्वीट में लिखा, "आपके सांसद न सिर्फ़ गूंगे बल्कि बहरे और अंधे भी हैं. ये पूरी असफलता है. अभी कार्रवाई कीजिए." लिसिप्रिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सासंदों से जलवायु परिवर्तन क़ानून बनाए जाने की मांग कर रही हैं.
And also,
Dear politicians & political parties,
I don’t need appreciation for this. Instead ask your MPs to rise my voice at the ongoing Parliament session. Never attempt to use me for your political gains and propagandas. don’t appreciate it. I’m not in your favour.
— Licypriya Kangujam (@LicypriyaK) March 7, 2020
लिसिप्रिया के ऐसे कड़े रुख पर सोशल मीडिया में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कुछ लोग उनके 'बोल्ड' जवाब के लिए उनकी तारीफ़ कर रहे हैं तो कुछ कहरहे हैं कि उन्हें गुमराह किया गया है. कुछ लोग इस बात पर भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या ये ट्वीट वाक़ई उन्होंने ही किए हैं? क्योंकि जो बातें उन्होंने लिखी हैं, उनकी उम्र उस लिहाज से बहुत कम है. लिसिप्रिया के ट्विटर हैंडल पर स्पष्ट लिखा है कि उनका अकाउंट गार्डियन (अभिभावक) के द्वारा मैनेज किया जाता है. कुछ लोग लिसिप्रिया को ये कहते हुए ट्रोल कर रहे हैं कि उन्होंने भारत सरकार के प्रस्ताव का अपमान किया है.
उन्होंने अगले ट्वीट में लिखा, "प्रिय भाइयों, बहनों, मैडम. मुझे बुली करना और अपना प्रोपोगेंडा बंद कीजिए. मैं किसी के ख़िलाफ़ नहीं हूं. मैं सिस्टम में चेंज चाहती हूं न कि कि क्लाइमेट में चेंज. मैं किसी से कोई उम्मीद नहीं रखती. मैं सिर्फ़ ये चाहती हूं कि हमारे नेता मेरी आवाज़ सुनें. मुझे यक़ीन है कि मेरी अस्वीकृति मेरी आवाज़ को सुने जाने में मदद करेगी."
,लिसिप्रिया की तुलना अक्सर स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग से की जाती है. हालांकि लिसिप्रिया को ये तुलना नहीं पसंद है. वो ज़ोर देकर कहती हैं कि उनकी अपनी पहचान है. ट्वीटर पर सबसे ऊपर उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए लिखा है कि ये तुलना फौरन बंद होनी चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले ट्वीट करके कहा था कि वो अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर वो अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स उन महिलाओं को समर्पित करेंगे जिनका जीवन और काम सबको प्रेरित करता है.
Dear Media,
Stop calling me “Greta of India”. I am not doing my activism to looks like Greta Thunberg. Yes, she is one of our Inspiration & great influencer. We have common goal but I have my own identity, story. I began my movement since July 2018 even before Greta was started. pic.twitter.com/3UEqCVWYM8
— Licypriya Kangujam (@LicypriyaK) January 27, 2020
उन्होंने ट्वीट किया था, "इस महिला दिवस पर मैं अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट उन महिलाओं को समर्पित करूंगा जिनकी ज़िंदगी और काम हम सभी को प्रेरित करता है. यह लाखों लोगों को प्रेरित करने का काम करेगा." प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा था, "क्या आप ऐसी महिला हैं या क्या ऐसी किसी प्रेरित करने वाली महिला के बारे में जानते हैं? #SheInspiresUs का इस्तेमाल कर ऐसी कहानियां साझा करें."