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चुनावी पड़ताल 2019

कोयला नगरी झरिया में देवरानी-जेठानी की चुनावी जंग में कौन मारेगा बाजी

Prema Negi
15 Dec 2019 1:53 PM GMT
कोयला नगरी झरिया में देवरानी-जेठानी की चुनावी जंग में कौन मारेगा बाजी
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पिछली बार दो चचेरे भाई झरिया सीट पर पूरे दमखम से लड़े थे और सिंह मैंशन के संजीव सिंह को रघुकुल के नीरज सिंह से मिली थी कड़ी चुनौती, लेकिन बाजी संजीव के ही हाथ लगी, बाद में नीरज सिंह को गोलियों से कर दिया गया था छलनी...

अनिमेष बागची

जनज्वार। झारखंड में चौथे चरण में कुल पंद्रह सीटों पर कल 16 दिसंबर को मतदान होने हैं। इसमें धनबाद की सभी छह सीटें भी शामिल हैं। धनबाद जिले की सीटों पर हार-जीत का परिणाम सूबे के लोगों के जेहन में लंबे समय तक बना रहता है। झरिया सीट पर तो पूरे देश की नजर रहती है। झरिया कोयला नगरी के तौर पर विख्यात रहा है।

रसरी तौर पर इस विधानसभा सीट पर नजर दौड़ायी जाये, तो भले ही सियासतदान आपसी बातचीत में यहां के विस्थापन, रोजगार और डिग्री काॅलेज जैसे मसलों पर बातचीत करते नजर आते हैं, लेकिन मसल पावर की नुमाईश के बिना यहां से जीत दूर की कौड़ी है, यह बात मानने वाले लोगों की यहां कोई कमी नहीं दिखती।

सल पावर की नुमाईश यहां के उम्मीदवारों के लिए कोई नहीं बात है। पावरफुल सिंह मैंशन के उम्मीदवार इस इलाके में दशकों से अपना वर्चस्व कायम किये हुए है। बीच-बीच में उनको चुनौती भी मिलती रही है, लेकिन सिंह मैंशन का वर्चस्व कभी भी बदस्तूर कायम है।

पिछली बार दो चचेरे भाई इस सीट पर पूरे दमखम से लड़े थे और सिंह मैंशन के संजीव सिंह को रघुकुल के नीरज सिंह से कड़ी चुनौती भी मिली थी, लेकिन बाजी संजीव के ही हाथ लगी। बाद में नीरज सिंह को गोलियों से छलनी कर दिया गया।

घटना को दोनों के दरम्यान राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की घटना से भी जोड़कर देखा गया। हत्या के इस मामले में संजीव फिलहाल जेल में हैं। भाजपा ने इस बार उनकी जगह पर उनकी पत्नी रागिनी सिंह को टिकट दिया है। कांग्रेस ने भी नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह को टिकट देकर जेठानी और देवरानी के संघर्ष को इस सीट पर रोमांचकारी बना दिया है।

रिया की तरह ही बाघमारा सीट पर भी मसल पावर का ही जोर दिख रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा में शामिल हुए ढुल्लु महतो इस बार तीसरी दफे जीतने की कोशिश में हैं। विपक्षी दलों ने भी इस बार उनको घेरने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रखी है और कथित माफिया राज के खिलाफ झंडा बुलंद किये हुए है। कांग्रेस ने महागठबंधन प्रत्याशी के तौर पर जलेश्वर महतो को यहां उतारा है। दूसरी ओर जदयू और झाविमो भी मोर्चा संभाले हुए है।

निरसा सीट पर इस दफे अपर्णा सेन गुप्ता भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। पिछली बार यहां से मासस के अरुप चटर्जी ने काफी कम अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के प्रत्याषी गणेष मिश्र को परास्त करने में सफलता हासिल की थी। इस बार भी वे इस सीट पर लाल ध्वज फहराने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।

भी फाॅरवर्ड ब्लाॅक में रही अपर्णा सेन गुप्ता ने इस बार भाजपा का दामन थामा है। अपर्णा वर्षों पहले मधु कोड़ा की सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। निरसा की सीट को हमेशा से ही वाम प्रभुत्व वाला सीट माना जाता रहा है। बंगाल की सीमा से सटी इस सीट पर बंगला भाषियों की अच्छी-खासी तादाद है। भाजपा यहां से कभी भी जीत दर्ज करने में कामयाब नहीं हो पायी है।

जमाने में यह क्षेत्र इंडस्ट्रियल हब के तौर पर मशहूर हुआ करता था। अब यहां इनकी हालत खस्ता है। ऐसे में राजनीतिक दल इसे भी मुद्दा बनाने में लगे हैं। यहां से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अशोक मंडल को उतारा है। मंडल का भी इलाके में काफी प्रभाव रहा है। निरसा की तरह ही सिंदरी इलाके की पहचान भी उद्योगों के क्षेत्र के तौर पर रही है।

हां भी किसी जमाने में लाल ध्वज निर्णायक भूमिका में रहा है। मुख्य मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा के फूलचंद मंडल, मासस के आनंद महतो, भाजपा के इंद्रजीत महतो और आजसू के सदानंद महतो के दरम्यान है। प्रतिष्ठित धनबाद सीट पर मुख्य मुकाबला इस बार भी चिर प्रतिद्वंद्वी भाजपा के राज सिन्हा और कांग्रेस के मन्नान मलिक के बीच नजर आ रहा है।

स चरण के चुनाव में कुल 221 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। भाजपा से अलग राह पकड़ने के बाद आजसू टुंडी, चंदकियारी और देवघर जैसी सीटों पर कड़ी टक्कर देती नजर आ रही है। रघुवर सरकार के दो मंत्री राज पलिवार और अमर कुमार बाउरी को भी काफी तगड़ी टक्कर मिल रही है। चंदनकियारी में अमर बाउरी का मुकाबला आजसू के उमाकांत रजक के अलावा झामुमो के विजय रजवार और झाविमो के रोहित दास से है। ऐसे में उनके मुकाबले को काफी कठिन माना जा रहा है।

सी तरह राज पलिवार को मधुपुर में चुनौती मिल रही है। मुस्लिमों की बहुलता वाले इस विधानसभा क्षेत्र में झामुमो के पुराने खिलाड़ी हाजी हुसैन अंसारी और झाविमो के युवा नेता सहिम खान मैदान में हैं। ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम भी अपने प्रत्याशी मोहम्मद इकबाल के माध्यम से चुनौती पेश कर रही है।

के राजनेताओं में माकपा माले के विनोद सिंह की एक अलग ही पहचान रही है। वे अपने पिता दिवंगत महेंद्र सिंह के पद्चिह्नों पर चलते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र में एक प्रमुख नेता के तौर पर स्थापित हुए हैं।

हालांकि माले के गढ़ के तौर पर विख्यात इस क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनाव में उनको भाजपा के नागेंद्र महतो पटखनी दे चुके हैं। इस बार भी दोनों प्रतिद्वंद्वी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इस बार यहां झाविमो और आजसू के प्रत्याशी भी इन दोनों की तगड़ी घेराबंदी कर अपना रास्ता निकालने की जुगत में हैं।

स चुनाव में देवघर, गांडेय और झरिया में एक ही परिवार के बीच प्रत्याशियों की लड़ाई ने मुकाबलों को दिलचस्प बना दिया है। देवघर में राजद के सुरेश पासवान को उनका भतीजा संतोश पासवान टक्कर दे रहा है। वहीं गांडेय में भाजपा के उम्मीदवार जयप्रकाश वर्मा को झाविमो के दिलीप वर्मा से चुनौती मिल रही है।

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