पुणे की विलो मैथर एंड प्लाट पंप्स कंपनी नहीं दे रही कर्मचारियों को दो महीने का वेतन
मीडिया में दुष्प्रचारित कर रहा कंपनी मैनेजमेंट आंदोलनरत कामगार हमारे यहाँ कुछ साल पहले कॉन्ट्रैक्ट पर करते थे काम अब क्यों दे कंपनी इनकी दो माह की सेलरी
पुणे से रामदास तांबे की रिपोर्ट
वैसे तो हमारे देश में सरकारें और पूंजीपति मजदूर हित में तमाम दावे करते हैं, मजदूर दिवस सेलिब्रेट किया जाता है, मगर बात उनके अधिकारों की आती है तो उन्हें उनकी मेहनत, खून—पसीने की कमाई से भी महरूम कर दिया जाता है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है पुणे के पिम्परी चिंचवड़ में। यहां स्थित विलो मैथर प्लाट कंपनी में कामगारों को दो महीनों से वेतन नहीं दिया जा रहा है। इससे गुस्साए कामगारों ने कंपनी के दरवाजे पर ही आंदोलन शुरू कर दिया है।
गौरतलब है कि विलो मैथर एंड प्लाट पंप्स प्राइवेट लिमिटेड चिंचवड़ में आंदोलनरत मजदूर करीब दस साल से कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं। इन सभी कामगारों को इतना ज्यादा समय से न तो स्थाइ किया गया है और न ही समय पर वेतन दिया जाता है। अपनी इन्हीं मांगों को लेकर कामगारों ने आंदोलन छेड़ा हुआ है। जो मजदूर कंपनी के खिलाफ इस आंदोलन में शरीक हैं उन्हें कंपनी प्रबंधन निकाल बाहर करने की तैयारी में जुटा हुआ है, बल्कि एक तरह से उसने उन्हें बाहर निकाल ही दिया है। तभी तो मीडिया से प्रबंधन कह रहा है कि ये कर्मचारी अभी नहीं काफी समय पहले कंपनी में काम करते थे।
आंदोलनरत कामगारों का कहना है, इतने लंबे समय से हम सब इस कंपनी में काम कर रहे थे, कंपनी प्रबंधन ने स्थायी करने के नाम पर हमसे खूब काम लिया भी। मगर जब परमानेंट करने की बारी आई तो कंपनी प्रबंधन ने कुछ ही लोगों को स्थायी किया। बाकी मजदूर पहले की स्थितियों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते रहे। उस पर भी समय पर सेलरी नहीं दी जाती।
यही नहीं कंपनी प्रबंधन ने धीरे धीरे से कामगारों को दी जानेवाली कैंटीन समेत बाकी की सुविधाएं भी बंद कर दीं। इन कॉन्ट्रेक्ट मजदूरों से कंपनी ने दो महीने का काम तो लिया, लेकिन कोई वेतन नहीं दिया गया।
ऐसी स्थिति में मजदूरों के सामने रोजी—रोटी का संकट आ गया है, क्योंकि लगभग दिहाड़ी मजदूर जैसी हालत में काम करने वाले इन मजदूरों के घर का खर्च उसी पैसे से चलता है जो उन्हें कंपनी से हाड़तोड़ मेहनत के बाद मिलता है। अब जब ये कामगार कंपनी प्रबंधन के पास अपने वेतन के बाबत बात करने जाते हैं तो सिक्योरिटी गार्डों को तैनात कर उन्हें अंदर तक नहीं आने दिया जा रहा है। उल्टा सिक्युरिटी गार्ड भी कामगारों के साथ गलत बर्ताव कर रहे हैं।
इस रिपोर्ट के संवाददाता ने जब कंपनी प्रशासन से इस संबंध में बातचीत की तो कंपनी प्रशासन की तरफ से यह कहकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की गई कि आंदोलनरत कामगार हमारे यहाँ कुछ साल पहले कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे थे। लेकिन अभी इस कंपनी में काम नहीं करते, इसलिए उनका वेतन हम उन्हें नहीं दे सकते।
दूसरी तरफ कामगारों को उम्मीद है कि आंदोलन के बाद उनकी मांग कंपनी प्रबंधन द्वारा मान ली जाएगी। साथ ही मजदूर कहते हैं कि कंपनी प्रशासन ने इस मामले में दखल नही दिया और हमारा पैसा हमें नहीं मिला तो हम सभी कामगार अपने परिवार सहित अनशन पर बैठने वाले हैं।