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आंदोलन

योगेंद्र यादव बोले केंद्र और हरियाणा की सरकारें घोर किसान विरोधी

Prema Negi
15 Nov 2018 4:53 PM GMT
योगेंद्र यादव बोले केंद्र और हरियाणा की सरकारें घोर किसान विरोधी
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योगेंद्र यादव ने किया आह्वान आंदोलन में हरियाणा के किसानों की व्यापक भागीदारी ही इस आंदोलन की सफलता की गारंटी देगा....

ज़िन्द। 29 और 30 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक किसान मुक्ति मार्च के मद्देनजर आज 15 नवंबर को सोनीपत में स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने पत्रकारों और पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि 'आंदोलन में हरियाणा के किसानों की व्यापक भागीदारी ही इस आंदोलन की सफलता की गारंटी देगा। मैं इसीलिए सबसे पहले हरियाणा में आया हूं, जिससे वे दिल्ली में हो रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन और मार्च के मेजबान बन सकें, पहले भागीदार बन सकें।'

हरियाणा के ज़िन्द जिले की जाट धर्मशाला में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि 29-30 का दिल्ली किसान आंदोलन ऐतिहासिक साबित होने वाला है। ऐसे में मैं चाहता हूं कि आंदोलनों में अगुवा रहने वाला ज़िन्द का किसान देश की सबसे किसान विरोधी सरकार को झकझोर कर रख दे।

गौरतलब है कि किसानों के लिए देश की सबसे बड़ी किसान विरोधी साबित हो रही केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ देशभर के किसान 'भारतीय किसान समन्वय समिति' के बैनर तले दिल्ली में 29 और 30 नवंबर को प्रचंड प्रदर्शन करने जा रहे हैं। इस प्रदर्शन में हरियाणा के किसानों की भागीदारी व्यापक स्तर पर हो, इसके लिए स्वराज इंडिया अध्यक्ष और किसान नेता योगेंद्र यादव ने आज से तीन दिन की हरियाणा यात्रा शुरू की है। इस यात्रा में वे सोनीपत, जिंद, हिसार, अंबाला, सिरसा, रेवाड़ी, गुड़गांव समेत राज्य के ज्यादातर जिलों का दौरा करेंगे।

'अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति' के बैनर तले इस बार किसान मुक्ति मार्च में देशभर के 200 से अधिक किसान संगठन शामिल हो रहे हैं। ये सभी किसान संगठन पहली बार इतनी व्यापकता के साथ एक मंच पर आए हैं। बकौल योगेंद्र यादव हमारे इस आंदोलन की दो मुख्य मांगें हैं। पहली है किसान को फसल का पूरा दाम यानी संपूर्ण लागत का डेढ़ गुना दाम मिले और दूसरी मांग किसान को पूर्ण रूप से कर्ज मुक्त किया जाए।

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने इन दोनों मांगों के बारे में बताया कि यह हमारी कोई अलग मांग नहीं है, बल्कि सरकारों का पहले का ही वायदा है, जिसे कभी पूरा नहीं किया गया। आपको याद होगा कि मोदी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वायदा किया था, पर 2007 में आ चुके स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को किसी ने नहीं लागू किया, जिससे किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम मिल सके।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में किसान सरकार का देनदार नहीं लेनदार है। सरकार का कर्ज उस पर नहीं, उसका सरकार पर बकाया है। पूरे देश के किसानों पर कुल 14 लाख करोड़ रुपया बकाया है, जबकि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू कर दिया गया होता तो किसानों का 20 लाख करोड़ का सरकार पर बकाया होता।

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव ने किसान मुक्ति मार्च की शुरुआत होने के बारे में बताया कि इस आंदोलन की नींव मंदसौर की 6 जून को मारे गए 6 किसानों के शहादत के बाद पड़ी। अब इस आंदोलन में 200 से अधिक किसान संगठन एक साथ आये हैं।

स्वराज इंडिया अध्यक्ष और जय किसान आंदोलन के सह संयोजक योगेंद्र यादव ने हरियाणा के ज़िन्द में किसानों से मुलाकात के बाद पत्रकारों से भी किसान मुक्ति मार्च के पूरे मकसद पर विस्तार से बातचीत की उन्होंने बताया कि 'दिल्ली चलो' के केंद्रीय नारे के साथ होने जा रहा दो दिवसीय किसान मुक्ति मार्च इस मायने में ऐतिहासिक है कि पहली बार देशभर के 200 से अधिक किसान संगठन एक साथ, एक बैनर और मुद्दे पर एकजुट हुए हैं। किसानों की यह एकता पूरे किसान आंदोलन को नई दिशा तो देगी ही, इसके साथ सरकार को अपनी समस्या के सीधा उपाय भी सुझाएगी।

उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में आगे कहा कि किसान संसद में किसानों ने दो विधेयक पारित किए हैं। किसान संसद द्वारा पारित दोनों बिलों को पिछले साल संसद में केरल से सांसद राजू शेट्टी ने पेश भी किया। इस बिल को देश की 21 पाार्टियों ने समर्थन किया है और वायदा किया है कि इसे वे संसद में पेश भी करें।

पत्रकार वार्ता में स्वराज इंडिया के राज्य कार्यकारिणी सदस्य गुरमेल सिंह, इंदिरा दहिया और स्वराज इंडिया के प्रदेश महासचिव दीपक लांबा भी मौजूद रहे।

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