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पहले बूथ लूटा जाता था अब पुलवामा के नाम पर पूरे देश के वोट लूटना चाहते हैं : योगेंद्र यादव
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योगेंद्र यादव ने कहा मीडिया के जरिए हमारे जवानों की वीरता का इस्तेमाल करके जनता की भावनाओं से खेलकर पूरे देश का चुनाव हाइजैक करने की कोशिश की जा रही है...
जनज्वार। स्वराज पार्टी के अध्यक्ष और किसान नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि जंग की ओट में सत्तासीन सरकार वोट का खेल खेलकर आम जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। यह बात उन्होंने देशवासियों के नाम जारी एक वीडियो में कही है।
योगेंद्र यादव कहते हैं, एक जमाने में हम बूथ कैपचरिंग की बात सुना करते थे, नेता किसी इलाके विशेष में लाठी—बंदूक से वोट कैप्चर यानी चुनाव की चोरी कर लेते थे। मगर आज चोरी नहीं डकैती हो रही है। एक बूथ, एक विधानसभा का नहीं पूरे देश के चुनाव का हरण—हाइजैकिंग हो रही है। कहा जा रहा था कि ईवीएम से चुनाव जीते जा रहे हैं, मगर आज नई तरह की ईवीएम आ गई है। मोदी का नाम लिए बिना उन पर हमला करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा, ई मतलब इमोशन, वी मींस वीरता, एम मतलब मीडिया। यानी मीडिया के जरिए हमारे सैनिकों की वीरता का इस्तेमाल करते हुए जनता के इमोशंस से खेला जा रहा है, ताकि चुनाव पर कब्जा किया जा सके।
योगेंद्र यादव ने भाजपा पर बिना नाम लिए हमला करते हुए कहा, 2 हफ्ते पहले तक लगता था कि इस देश के इतिहास में पहली बार ऐसा चुनाव होगा जो खेती, गांव, किसान, युवा, बेरोजगारी जैसे असल सवालों पर लड़ा जाएगा। मगर आज देखिए क्या हो रहा है कोई यूनिफॉर्म पहनकर कह रहा है हमने इतने आतंकवादी मार दिए, कोई बड़े—बड़े दावे कर रहा है कि ये कर देंगे—वो कर देंगे, दूसरा पूछ रहा है मारा कि नहीं मारा।
योगेंद्र यादव कहते हैं, मैं पूछना चाहता हूं आप जंग लड़ रहे हैं, चुनाव लड़ रहे हैं या जंग की ओट में वोट मांग रहे हैं। अगर जंग लड़ रहे हैं तो पूरा देश आपके साथ है, इस देश में इस मुद्दे पर कोई दो पार्टियां नहीं हैं। अगर चुनाव लड़ रहे हैं तो हर पार्टी का अपना मत है, सबके अपने रास्ते हैं। अगर जंग की आड़ में चुनाव लड़ रहे हैं तो यह सीधे—सीधे देशद्रोह है। जवानों के खून का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए करने से बड़ी कोई गद्दारी नहीं हो सकती देश के साथ।
योगेंद्र यादव कहते हैं, जिस भी आतंकी सरगना ने पुलवामा हमले की घृणित योजना बनाई होगी तो सोचा होगा कि मेरा कोई बाल भी बांका नहीं कर पाएगा क्योंकि हम बॉर्डर के उस पार हैं। मगर इनके नेता एक दूसरे की गर्दन पकड़ेंगे, आपस में कुश्ती करेंगे, और इनका पूरा पब्लिक का डिस्कशन, डेमोक्रेसी डिरेल हो जाएगी।
मगर इसके उलट सेना ने जाबांजी दिखाते हुए बॉर्डर के उस पार जा अपना काम कर दिया, वहीं हमारे नेता एक दूसरे का गिरेबान पकड़ रहे हैं कि इतने मरे या नहीं मरे। ये आर्मी की यूनिफॉर्म पहन किसका एजेंडा पूरा करने निकल रहे हैं, बाकी सारे मुद्दों को छोड़ चुनाव में सिर्फ जब बालाकोट, पुलवामा की बहस हावी की जाती है तो आखिर किसका एजेंडा पूरा होता है।