प्रदेश की जनता ने जब योगी को पिछले वर्ष इसी महीने चुना था तो उसे क्या पता था कि सालभर बाद ही उसका सीएम खुद को योगी कहलाना पसंद करेगा, बजाए सीएम के...
जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बल्कि योगी कहलवाना पसंद है। मुझे मुख्यमंत्री के बजाय योगी कहलवाना पसंद है। सवाल है कि जब उन्हें योगी ही बने रहना था तो उत्तर प्रदेश की सत्ता पर बैठने की क्या जरूरत थी।
गौरतलब उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में मिली कड़ी हार के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। खासकर योगी आदित्यनाथ के गढ़ कहे जाने वाले गोरखपुर की हार के लिए योगी सबके निशाने पर हैं। सवाल उठने लगे हैं कि अगर योगी सरकार जनता की नंबर वन पसंद थी तो क्यों इतनी बुरी तरह उपचुनावों में शिकस्त का सामना करना पड़ा।
अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रदेश में हुए उपचुनावों में कड़ी हार मिलने के बाद भी उन्होंने विवादित बयान देना कम नहीं किया है।
राइजिंग इंडिया समिट में लखनऊ में पधारे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि मैं सीएम नहीं बल्कि पहले योगी हूं और योगी कहलाना पसंद करता हूं। हार और जीत हमारे लिए न उल्लास का विषय होता है न अवसाद का।
हालांकि भक्त योगी को उपचुनाव में मिली हार को जनभावनाओं की प्रतिक्रिया न कह उनके नोएडा दौरे से भी जोड़ने लगे हैं। अंधविश्वास व्याप्त है कि प्रदेश का जो भी मुख्यमंत्री नोएडा आता है उसे अगले चुनाव में हार का सामना करना पड़ता है। इस बात पर भी योगी बतौर मुख्यमंत्री पेश नहीं आए, कहा कि योगी के रूप में मैं कहीं भी अशुभ को शुभ करने जाता हूं। मैं उत्तर प्रदेश के अशुभ को शुभ कर रहा हूं।
वहीं गोरखपुर में मिली हार पर भी योगी सरकार की कमियों के बजाय यह कहते नजर आए कि अगर गोरखपुर के लोग मतदान के लिए गए होते तो आज हमें हार का सामना नहीं करना पड़ता। कम वोट प्रतिशत का खामियाजा हमें भुगतना पड़ा।
साथ ही योगी बसपा—सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़नेपर यह कहना नहीं भूले कि कि इस उपचुनाव ने साबित कर दिया है कि किसी में कुव्वत नहीं कि अकेले बीजेपी का सामना कर सके। हमारे कार्यकर्ताओं भी इस अति आत्मविश्वास में थे कि यह तो मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की सीट है इसे तो हमें जीतना ही जीतता है, यही आत्मविश्वास हार के लिए जिम्मेदार रहा।
अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर योगी ने गोरखपुर भाजपा के हाथ से छिन जाने पर ट्वीट किया है, 'गोरखपुर बीजेपी का गढ़ है और रहेगा।' यानी योगी जी भी इस आत्मविश्वास से लबरेज हैं कि जनता फिर से उन्हें ही चुनेगी।