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शिक्षा

योगी सरकार और एबीवीपी ने मिलकर रची थी छात्रसंघ वार्षिकोत्सव को बर्बाद करने की साजिश

Prema Negi
14 Feb 2019 8:01 AM GMT
योगी सरकार और एबीवीपी ने मिलकर रची थी छात्रसंघ वार्षिकोत्सव को बर्बाद करने की साजिश
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2015 में जब ऋचा सिंह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की छात्रसंघ अध्यक्ष थी तब उन्होंने देश में व्याप्त सांप्रदायिकता के विरोध में योगी आदित्यनाथ को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कैंपस में घुसने नहीं दिया था। उसके बाद से ही लगातार ऋचा सिंह वर्तमान योगी सरकार और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन के निशाने पर रही हैं...

सुशील मानव की रिपोर्ट

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की पहली महिला छात्रसंघ अध्यक्ष रहीं सपा नेता ऋचा सिंह पार्वती हास्पिटल में भर्ती हैं। ऋचा के गर्दन पर लाठी पड़ी और किसी साथी पर उठी लाठी रोकने के कारण कमांडो ने अपनी पूरी ताकत से कुहनी से उनके मुँह पर मारा। वो अस्पताल में काफी दर्द में हैं।

सीटी स्कैन की रिपोर्ट के मुताबिक गर्दन पर पड़ी लाठी के कारण अंदर सूजन है और फिलहाल वो 48 घंटे ऑबजर्वेशन में रहेंगी। जबड़े पर मारे गए घूसे के कारण कुछ भी खाने-पीने में उसे काफी तकलीफ है। फिलहाल डॉक्टरों ने उन्हें बोलने से भी मना किया हुआ है। दर्द में होने के बावजूद ऋचा सिंह ने फोन पर बात की और अपनी पीड़ा और योगी पुलिस की बर्बरता की कहानी साझा की।

ऋचा सिंह ने फोन पर बताया कि 12 फरवरी को छात्रसंघ का वार्षिकोत्सव समापन कार्यक्रम था, जिसमें छात्रसंघ अध्यक्ष ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। अखिलेश यादव जी को अमोसी हवाई अड्डे पर रोक दिया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अखिलेश यादव जी के प्रतीक्षा में इकट्ठा हजारों छात्र इकट्ठे हुए थे। जब हमें पता चला कि पूर्व मुख्यमंत्री जी को नहीं आने दिया जा रहा है तो छात्रों ने इसके विरोध में यूनिवर्सिटी से बालसन चौराहे के गांधी मूर्ति तक प्रतिरोध मार्च निकाला।

छात्र वहीं चौराहे पर धरने पर बैठ गए। इस दौरान हजारों की संख्या में पुलिस और अर्द्ध पुलिसबल ने आकर छात्रों को चारों ओर से घेर लिया। तमाम जनमुद्दों पर मुखरता से अपनी बात रखने वाले सपा सांसद धर्मेंद्र यादव उस वक्त छात्रों के बीच पहुंचे, और जैसे ही उन्होंने गांधीजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण की कोशिश की, ठीक उसी वक्त आरएएफ, ब्लैक कमांडो और यूपी पुलिस ने छात्रों पर ताबड़तोड़ लाठीचार्ज कर दिया।

बकौल ऋचा इसी बीच एबीवीपी के गुंडे होस्टल से निकलकर आये और उन्होंने भी धरने पर बैठे छात्रों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने वाटर कैनन, रबर बुलेट और लाठी डंडों से पीट पीटकर 150 से अधिक छात्रों को लहूलुहान कर दिया। किसी का सिर तोड़ा किसी का पैर। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष को तो विशेष तौर पर निशाना बनाकर मारा गया। एक पुलिस ने उनके सिर पर डंडा मारा और फिर ब्लैक कमांडे के सिपाही ने कोहनी से उनके जबड़े पर पूरे बल से प्रहार किया।

छात्रसंघ के कार्यक्रम को बर्बाद करने की पहले से थी तैयारी

ऋचा सिंह कहती हैं, कार्यक्रम के दो दिन पहले भी छात्रों को टारगेट करके 10 बम फेंके गये थे। कार्यक्रम को न होने देने की पहले से ही तैयारी सरकार और सरकार के संगठन से जुड़ी छात्रसंघ एबीवीपी ने मिलकर कर रखी थी।

बमबाजी के बाद भी अखि‍लेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा था-“शासन-प्रशासन ने हमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जाने से रोकने का षडयंत्र रचा है पर वो हमें छात्रों से मिलने से नहीं रोक सकते।”

इस मुद्दे पर विधानसभा और विधान परिषद में तूल पकड़ने पर बाद में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में बयान देकर कहा- “प्रयागराज में कुंभ चल रहा है। सरकार ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के अनुरोध पर यह कदम उठाया है, क्योंकि इससे कानून और व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती थी।” योगी आदित्यनाथ के बयान से स्पष्ट है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन भी इसमें इनवाल्व था।

जबकि छात्रसंघ अध्यक्ष का कहना है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी से पहले ही NOC ले रखी थी। यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम के लिए डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन से इजाजत लेने की ज़रूरत नहीं होती है। वहीं अखिलेश यादव का कहना है कि उन्होंने 27 दिसंबर 2018 को ही यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के कार्यक्रम में शामिल होने की सूचना भेज दी थी।

बदले लेने के लिये किया गया ऋचा सिंह पर हमला

इससे पहले 2015 में जब ऋचा सिंह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की छात्रसंघ अध्यक्ष थी तब उन्होंने देश में व्याप्त सांप्रदायिकता के विरोध में योगी आदित्यनाथ को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कैंपस में घुसने नहीं दिया था। उस वक्त राज्य में सपा की सरकार थी और अखिलेश यादव सूबे के मुख्यमंत्री थे। उसके बाद से ही अलग अलग कारणों से लगातार ऋचा सिंह वर्तमान यूपी सरकार और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन के निशाने पर रही हैं।

बीते साल सितंबर महीने में ही इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वीसी रतन लाल हांगलू के खिलाफ ऋचा सिंह ने मोर्चा खोला था, जब वीसी का एक दूसरी महिला के साथ अश्लील वाट्सएप चैट और बातचीत की ऑडियो वायरल हुई थी। तब से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रसासन भी ऋचा सिंह और तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष अवनीश यादव से नाराज़ चल रहा था।

विश्वविद्यालय प्रशासन जब सरकार की जुबान में कहता है-“छात्रसंघ का गठन राजनीति के लिए नहीं होता है और सांस्कृतिक गतिविधियों में राजनीतिज्ञों को दूर रहना चाहिए।” तभी उसके और सरकार के मंसूबे उजागर हो जाते हैं। छात्रों पर करवाई गई बर्बरतापूर्ण पुलिसिया कार्रवाई सरकार की जातीय मानसिकता को बयां करता है।

उलटा चोर कोतवाल को डांटे की तर्ज पर सरकार और प्रशासन ने बुधवार को करीब सौ सवा सौ लोग घायल हुए हैं। ऋचा सिंह समेत 56 लोगों के खिलाफ हत्या की कोशिश (धारा 307), सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित करीब 10 अन्य गंभीर धाराओं धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। इन धाराओं में 56 अन्य छात्रों को भी नामजद किया गया है, जबकि 200 अज्ञात छात्रों के खिलाफ़ भी प्रशासन ने एफआईआर दर्ज की है।

ऋचा सिंह कहती हैं, एबीवीपी के लोग लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुए छात्रसंघ अध्यक्ष को बाईपास करके तानाशाही रुख अपनाता रहा है। छात्रों पर सरकार का ये हमला लोकतंत्र की हत्या है। योगी सरकार पर जहरीली शराब का नशा चढ़ा हुआ है।

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