पंजाब: कांग्रेस में घर की कलह पड़ी भारी, सर्वे में आम आदमी पार्टी पड़ी सब पर भारी
जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। पंजाब में सी वोटर्स सर्वे में कांग्रेस खेमे के लिए कम से कम अच्छा नहीं कहा जा सकता। इस सर्वे में कांग्रेस को 38-46 सीटें दी गई है। हालांकि कांग्रेस की निकट प्रतिद्वंद्वी पार्टी अकाली दल को 16-24 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर दिखाया गया है। पहले नंबर पर आम आदमी पार्टी को 51-57 सीटें इस सर्वे में दी गई है।
अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनावों से पहले सी वोटर-एबीपी के एक सर्वेक्षण में पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की गई है। इसमें कांग्रेस सरकार हारने की संभावना व्यक्त की गई है।
सी वोटर के अनुमानों में कहा गया है कि आप 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में 51-57 सीटें जीत सकती है। आप को 35.1 फीसदी, कांग्रेस को 28.8 फीसदी और शिअद को 21.8 फीसदी वोट शेयर का अनुमान है। कांग्रेस ने 2017 में 77 सीटों पर जीत हासिल की थी। शिअद ने 15 सीटें, आप ने 20, भाजपा ने तीन और अन्य ने दो सीटें जीती थीं।
सर्वे पर बातचीत करते हुए पंजाब राजनीति पर पकड़ रखने वाले डॉक्टर सुखविंदर सिंह ने कहा," पंजाब का मतदान अकाली दल से त्रस्त है, अब कांग्रेस ने भी ऐसा कुछ नहीं किया कि मतदाता को अपने साथ जोड़ कर रख पाए। पजाब का वोटर्स अब बदलाव चाह रहा है, आप को बढ़त वोटर्स के बदले रूझान का प्रतीक है " कांग्रेस की आपसी कलह, खासतौर पर सिद्धू जिस तरह से कैप्टन के प्रति हमलावर हो रहे हैं, इससे भी कांग्रेस की हालत खराब हुई है। डॉक्टर सिंह ने कहा कि यह सिर्फ सर्वे हैं,इसके परिणाम बदल भी सकते हैं। कांग्रेस के पास वापसी का मौका हैै।
जिस तरह से आम आदमी पार्टी को मजबूत दिखाया गया है, निश्चित ही यह पंजाब के वोटर के बदले रुझान को दिखाता है। जब मतदाता मतदान के लिए जाएगा तो वह यह भी देखता है कि आम आदमी पार्टी का सीएम फेस कौन है? सीएम फेस आप की सबसे बड़ी चुनौती है। जिससे अभी तक पार्टी उभर नहीं पा रही है। भगवंत मान पर पार्टी दांव लगाना नहीं चाह रही है। वह दो बार के सांसद है। इन दिनों वह भी कुछ कुछ बागी तेवर अपना रहे हैं।
डॉक्टर सिंह ने बताया कि पिछली बार भी आम आदमी पार्टी के पक्ष में अच्छी खासी लहर थी। दिक्कत तब आनी शुरू हुई जब सीएम फेस आप नहीं दे पाई। तब मतदाता कांग्रेस की ओर रुख कर गया था।
जहां तक अकाली दल की बात है, जब से पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल अस्वस्थ होने के बाद सियासी गतिविधियों से दूर हुए हैं,तभी से पार्टी लगातार अपने मतदाता को खोती जा रही है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल की कार्यप्रणाली से बहुत से सीनियर पार्टी लीडर खुश नहीं है। पार्टी चंद हाथों तक सिमट के रह गई है। इसलिए अकाली दल इस बार भी पिछली बार की तरह बड़ी लूजर नजर आ रही है।
पंजाब में ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता व राजनीतिक चिंतक इंद्रप्रीत सिंह रंधावा ने बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में किसानों आंदोलन का चुनावी नतीजों पर असर पड़ने की संभावना है। अब यह देखने लायक बात होगी कि किसान किस पार्टी की ओर जाते हैं। जिस तरह से कैप्टन ने गन्ना उत्पादक किसानों को रेट ज्यादा घोषित कर राहत दी है,इससे कांग्रेस का गांव में ग्राफ बढ़ा है। फिर भी तीन कृषि कानूनों पर किसान क्या रूख अपनाते हैं, यह देखना बड़ी बात होगी। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि किसान जत्थेबंदियों किसके साथ जाती है। अभी तक किसान नेताओं का बड़ा तबका आम आदमी पार्टी के साथ जाता दिखाई दे रहा है।
सोशल साइंस के प्रोफेसर और पंजाब किसान आत्महत्या क्यों कारण और निवारण रिसर्च के लेखक सुखबीर सिंह हरमन ने बताया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे मतदाता उनके साथ जुड़े रहे सके। पिछली बार वह राजनीतिक रणनीतिकार पीके की रणनीति पर काम कर रहे थे। युवाओं को मोबाइल और रोजगार जैसे वादों से यूथ वोटर कांग्रेस की ओर आया था।
कांग्रेस इन वादों को पूरा ही नहीं कर पाई। कैप्टन सरकार ने इस दिशा में ऐसा कुछ नहीं किया जिससे मतदाता का विश्वास बना रहे। सुखबीर सिंह हरमन ने बताया कि इसमें दो राय नहीं कि सिद्धू जो बोल रहे हैं, वह सही बोल रहे हैं, बस दिक्कत यह है कि वह गलत जगह बोल रहे हैं। इससे पार्टी को नुकसान हो रहा है। यह मुद्दे यदि सिद्धू पार्टी प्लेटफार्म पर उठाते तो पार्टी का भला हो सकता था।
अब तो स्थिति यह है कि कांग्रेस में ही एक गुट कैप्टन के विरोध में खड़ा हो गया है। विपक्ष तो कुछ बोल नहीं रहा है, ऐसा लग रहा है कि यह गुट ही विपक्ष की भूमिका निभा रहा है। स्थिति तो यह है कि विधानसभा के विशेष सत्र में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर ही यह नौबत आ गई थी कि सिद्धू गुट बागी हो सकता है। इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस पंजाब में किस तरह से काम कर रही है। ऐसे में यदि कांग्रेस को 28.8 फीसदी तक वोट आ रही है तो यह कांग्रेस का प्रदर्शन ठीक ही बोला जा सकता है।
बहरहाल अभी वक्त है। हारी बाजी को कैप्टन बदलना जानते हैं।... और इसलिए ही वह कैप्टन है।