Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

राहुल-अखिलेश के बाद माले ने भी उठाये सुल्तानपुर में मंगेश यादव एनकाउंटर पर सवाल, उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग

Janjwar Desk
9 Sep 2024 5:34 AM GMT
राहुल-अखिलेश के बाद माले ने भी उठाये सुल्तानपुर में मंगेश यादव एनकाउंटर पर सवाल, उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग
x
प्रदेश में 'ठोक दो' की नीति चल रही है। एनकाउंटरों में हत्या को 'उपलब्धि' के रुप में प्रचारित किया जाता है। हिरासती मौतों से लेकर फर्जी एनकाउंटरों में प्रदेश अव्वल बना हुआ है। लोकतंत्र और संविधान को अन्यथा शर्मिंदा करने वाली ये बातें योगी सरकार के लिए गौरव का विषय हैं, जिस पर भाजपा नेतृत्व उसकी पीठ भी थपथपाता है....

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर में हुए चर्चित मंगेश यादव एनकाउंटर मामले में विपक्ष लगातार सत्ताधारी योगी सरकार पर हमलावर है और एनकाउंटर पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। अब भाकपा (माले) ने भी सुल्तानपुर एनकाउंटर की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। पार्टी ने कहा है कि मृतक मंगेश यादव के परिजनों के कथन और मुठभेड़ की पुलिसिया कहानी में जमीन आसमान का फर्क है, लिहाजा सच्चाई का पता लगाने के लिए निष्पक्ष जांच जरुरी है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि प्रदेश में कानून का राज खत्म हो गया है। बुलडोजर राज, पुलिस राज और एनकाउंटर राज मौजूदा सरकार की पहचान से जुड़ गए हैं। संविधान को ताक पर रखकर योगी सरकार न्यायपालिका के फैसले खुद करने लगी है। मुख्यमंत्री योगी की पुलिस ने भी आरोपियों को न्यायालय से दंड दिलाने की जगह खुद ही दंड देने का जिम्मा ले लिया है। ऐसा मुख्यमंत्री द्वारा पुलिस को दी गई खुली छूट के कारण है। प्रदेश में 'ठोक दो' की नीति चल रही है। एनकाउंटरों में हत्या को 'उपलब्धि' के रुप में प्रचारित किया जाता है। हिरासती मौतों से लेकर फर्जी एनकाउंटरों में प्रदेश अव्वल बना हुआ है। लोकतंत्र और संविधान को अन्यथा शर्मिंदा करने वाली ये बातें योगी सरकार के लिए गौरव का विषय हैं, जिस पर भाजपा नेतृत्व उसकी पीठ भी थपथपाता है।

माले नेता ने कहा कि कानून के अनुसार अपराध कितना ही बड़ा क्यों न हो, दंड का निर्धारण न्यायालय को करना होता है, लेकिन यहां सरकार और पुलिस ही सब कुछ कर रही है। सुल्तानपुर एनकाउंटर मामले में मृतक के परिजनों का पुलिस पर स्पष्ट आरोप है कि वह एनकाउंटर से दो दिन पहले पूछताछ के लिए आरोपी मंगेश यादव को पकड़कर ले गई थी और गुरुवार को उसकी हत्या कर एनकाउंटर का रुप दे दिया। यदि इसमें सच्चाई है, तो आरोपी से बड़ा अपराध पुलिस और एसटीएफ ने किया है, जो उसे आत्मरक्षा में मार गिराने का दावा कर रहे हैं। इससे पहले भी कई एनकाउंटरों की पुलिसिया कहानियां जांच में फर्जी साबित हुई हैं और दोषी पुलिसकर्मी अदालतों से दंडित हुए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मौत की मजिस्ट्रेटी जांच सच्चाई जानने के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि इस घटना में योगी सरकार की शक्तिशाली पुलिस शामिल है।

मंगेश यादव एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है, '"बीजेपी शासित राज्यों में ‘कानून और संविधान’ की धज्जियां वही उड़ा रहे हैं, जिनपर उनका पालन कराने की ज़िम्मेदारी है. सुल्तानपर में हुए मंगेश यादव के एनकाउंटर ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बीजेपी ‘रूल ऑफ लॉ’ पर विश्वास ही नहीं करती. मंगेश के परिवार के आंसू पूरे देश से सवाल पूछ रहे हैं - कौन जिएगा और कौन नहीं, इसका फैसला अदालत करेगी या पुलिस?"

वह आगे कहते हैं, 'एसटीएफ जैसी प्रोफेशनल फोर्स को बीजेपी सरकार में ‘आपराधिक गिरोह’ की तरह चलाया जा रहा है, जिस पर केंद्र सरकार की चुप्पी इस ‘ठोको नीति’ पर उनकी स्पष्ट सहमति है। यूपी एसटीएफ के दर्जनों एनकाउंटर सवालों के घेरे में हैं। क्या आज तक उनमें से किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई हुई? आखिर कौन उन्हें बचा रहा है और क्यों? कैमरों के आगे संविधान को माथे से लगाना सिर्फ ढोंग है, जब आपकी सरकारें ही उसकी खुलेआम धज्जियां उड़ा रही हों। उत्तरप्रदेश में हुए सभी संदिग्ध एनकाउण्टर्स की निष्पक्ष जांच कर इंसाफ किया जाना चाहिए।'

गौरतलब है कि मंगेश यादव के परिजनों ने इस मामले में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाये हैं। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने डकैती के एक मामले में पूछताछ के लिए मंगेश को उनके घर से उठाया था और दो दिन बाद उन्हें अवैध हिरासत में लेकर गोली मार दी। परिवार के साथ साथ विपक्ष ने भी मंगेश यादव एनकाउंटर को फर्जी मुठभेड़ करार दिया है। इस मामले में एनकाउंटर करने वाले उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स के नेतृत्वकारी डीके शाही भी सवालों के घेरे में हैं कि उन्होंने चप्पल में एनकाउंटर कैसे कर डाला।

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने अपने एक्स हैंडल पर मंगेश यादव एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए लिखा है, 'लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नक़ली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जात’ देखकर जान ली गयी। जब मुख्य आरोपी ने सरेंडर कर दिया है तो लूट का सारा माल भी पूरा वापस होना चाहिए और सरकार को मुआवज़ा अलग से देना चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाओं का जो मानसिक आघात होता है उससे उबरने में बहुत समय लगता है, जिससे व्यापार की हानि होती है, जिसकी क्षतिपूर्ति सरकार करे।'

अखिलेश आगे कहते हैं, 'नक़ली एनकाउंटर रक्षक को भक्षक बना देते हैं। समाधान नक़ली एनकाउंटर नहीं, असली क़ानून-व्यवस्था है। भाजपा राज अपराधियों का अमृतकाल है। जब तक जनता का दबाव व आक्रोश चरम सीमा पर नहीं पहुँच जाता है, तब तक लूट में हिस्सेदारी का काम चलता रहता है और जब लगता है जनता घेर लेगी तो नक़ली एनकाउंटर का ऊपरी मरहम लगाने का दिखावा होता है। जनता सब समझती है कि कैसे कुछ लोगों को बचाया जाता है और कैसे लोगों को फँसाया जाता है।'

Next Story

विविध