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राजनीति

मोदी याद रखें, बिलकिस बानो केवल मुसलमानों का नहीं भारत की तमाम महिलाओं का मसला है : ओवैसी

Janjwar Desk
30 Oct 2022 6:53 AM GMT
मोदी याद रखें, बिलकिस बानो केवल मुसलमानों का नहीं भारत की तमाम महिलाओं का मसला है : ओवैसी
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मोदी याद रखें, बिलकिस बानो केवल मुसलमानों का नहीं भारत की तमाम महिलाओं का मसला है : ओवैसी

Gujrat Chunav 2022 : देश की जनता भूली नहीं है। बिलकिस बानो के साथ दो दशक पहले गुजरात के रंधिकपुर में क्या हुआ था और 15 अगस्त को भाजपा सरकार ने क्या किया।

Gujrat Chunav 2022 : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ( AIMIM Asaduddin Owaisi ) गुजरात ( Gujrat ) के चुनावी मैदान में ताल ठोककर उतर चुके हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में मोदी-शाह सहित भाजपा ( BJP ) को निशाने पर भी ले रहे हैं। ताजा ट्विट में उन्होंने गैंगरेप की पीड़िता बिलकिस बानो ( Bilkis Bano Gang rape case ) का मुद्दा उठाते हुए मोदी सरकार ( Modi government ) को आगाह किया है कि जनता सब जानती है। जनता कुछ भूली नहीं है।

जनता भूली नहीं है, दो दशक पहले क्या हुआ था


बिलकिस बानो ( Bilkis bano ) गैंगरेप मामले को जोरदार तरीके से उठाते हुए उन्होंने कहा कि देश की जनता भूली नहीं है। बिलकिस बानो के साथ दो दशक पहले गुजरात के रंधिकपुर में क्या हुआ था और 15 अगस्त को भाजपा सरकार ( Narendra Modi) ने क्या किया। उन्होंने मोदी सरकार को आगाह करते हुए कहा कि बिलकिस बानो केवल मुसलमानों का नहीं, बल्कि भारत की तमाम महिलाओं का मसला है। इसका जवाब तो मोदी सरकार को देना होगा।

एक दिन पहले गुजरात के बनासकांठा जिले के वडगाम में एक चुनावी ( Gujrat Chunav 2022 ) जनसभा को संबोधित करते हुए एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि समान नागरिक संहिता अनिवार्य नहीं स्वैच्छिक होनी चाहिए। वोट पाने के लिए चुनाव से पहले ऐसे मुद्दों को उठाने की भाजपा की पुरानी आदत है।

लोग जानते हैं कि गुजरात सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू नहीं कर सकती है। फिर भी वो लोगों से समान नागरिक संहिता को लागू करने का वादा कर रही है। मैं पूछता हूं समान नागरिक संहिता लागू करने का अधिकार किसके पास है।

ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ( Narendra Modi ) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लागू करने का अधिकार राज्यों के पास नहीं है। यह अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है।

हिंदुत्व के एजेंडे पर भाजपा

भाजपा यह सब केवल चुनावी लाभ के लिए कर रही है। भाजपा गुजरात चुनाव में हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ना चाहती है। इससे पहले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान भाजपा ऐसा कर चुकी है। उत्तराखंड चुनाव से ठीक पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने की घोषणा की थी। उसी तर्ज पर गुजरात की भूपेंद्र पटेल सरकार भी चल पड़ी है। उत्तराखंड के बाद गुजरात (Gujarat Vidhan Sabha Chunav 2022) दूसरा राज्य है जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड के मसले पर समिति का गठन किया है।

बता दें कि गुजरात सरकार 29 अक्टूबर को ऐलान किया था कि वह समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक समिति का गठन कर रही है। खुद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक में इस समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। माना जा रहा है कि गुजरात सरकार के वर्तमान कार्यकाल का यह आखिरी फैसला है। ऐसा इसलिए कि गुजरात में बहुत जलद चुनाव आयोग अपने कार्यक्रमों की घोषणा करने वाली है।

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