हाथरस में दलित युवती की गैंगरेप और नृशंसता के बाद हुई मौत प्रदेश की कानून व्यवस्था और योगी सरकार पर कलंक : अजय कुमार लल्लू
जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आज वर्चुअल प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए जनपद हाथरस में दलित बेटी के साथ गैंगरेप एवं दरिन्दगी के बाद आज जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष में जंग हार गयी। आज का दिन बहुत दुःखद है जब यूपी की एक और दलित बेटी हैवानियत का शिकार होकर जिन्दगी की जंग हार गयी। कांग्रेस पार्टी संवेदना व्यक्त करती है और पीड़ित परिजनों के साथ खड़ी है।
लल्लू ने कहा कि आज यूपी में अपराध सिर चढ़कर बोल रहा है। जंगलराज एवं गुण्डाराज कायम हो चुका है, यह अधिकारी, अपराधी और सरकार के गठजोड़ का भयावह परिणाम है।
उन्होंने उप्र में हाल में हुए महिलाओं के प्रति गैंगरेप, बलात्कार एवं हत्या की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि 15अगस्त को लखीमपुर में 13 वर्षीय दलित नाबालिक बच्ची के साथ गैंगरेप और हत्या-जीभ तक काट दी गयी, इसी दिन लखनऊ के गुडम्बा में किशोरी से गैंगरेप के बाद तेजाब फेंका और मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर में गैंगरेप के बाद सिगरेट से दागा गया।
16 अगस्त को लखीमपुर के ईसानगर में गैंगरेप और हत्या, 17 अगस्त को गोरखपुर में दलित बेटी के साथ गैंगरेप और बर्बर हत्या, 26 अगस्त को लखीमपुर में आनलाइन फार्म भरने जा रही बेटी का रेप के बाद नृशंस हत्या, 29 अगस्त को मथुरा में चलती बस में रेप एवं कौशाम्बी में गैंगरेप, 1 सितम्बर को मथुरा में 8 साल की बच्ची के साथ रेप के बाद हत्या, 02 सितम्बर को लखनऊ में 5 साल की बच्ची के साथ रेप और हत्या, 3 सितम्बर को बरेली के सर्वोदय नगर में 11वीं की नाबालिग छात्रों के साथ गैंगरेप, 4 सितम्बर को कौशाम्बी में नाबालिग के साथ रेप व हत्या, इसी दिन लखीमपुर में 3 साल की बच्ची के साथ रेप और हत्या तथा अयोध्या में बस में रेप और 14 सितम्बर को हाथरस में घटी। इस वीभत्स घटना में एक बेटी को न्याय दिलाने के बाद 8 दिनों तक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई और मामले को छिपाने का काम किया।
किसके दबाव में 8 दिन तक गैंगरेप की धारा नहीं जोड़ी गई? पीड़िता पर बयान बदलने के लिए किसने दबाव बनाया? एयर एंबुलेंस सिर्फ बड़े लोगों के लिए क्यों? सरकार के अफ़सर ने किसको बचाने के लिए घटना को 'फेक' बताया? आरोपी एक जाति विशेष वर्ग के है इसलिए यह सब हुआ? सीएम को जवाब देना होगा।
— Ajay Kumar Lallu (@AjayLalluINC) September 29, 2020
योगी सरकार बताये कि वह किसको बचाना चाहती है। अजय कुमार लल्लू ने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि महिलाओं पर होने वाले अपराधों में 20 प्रतिशत का इजाफा हो रहा है और लगभग 11 बलात्कार की घटनाएं औसतन प्रतिदिन हो रही हैं। उन्होंने महामहिम राज्यपाल से सीधा प्रश्न करते हुए कहा कि वह यूपी की कानून की दुव्र्यवस्था पर चुप क्यों हैं? आखिर महिलाओं पर लगातार हो रहे अत्याचार पर उनका एक भी बयान क्यों नहीं आया? उनकी चुप्पी का राज क्या है? वह बतायें कि प्रदेश में कोई महिला सुरक्षित नहीं है ऐसे में वह किसके साथ खड़ी हैं-अन्यायी सरकार के साथ या प्रदेश की जनता के साथ।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सदन में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का वादा किया था, उस वादे का क्या हुआ? उन्होने कहा कि यह वीभत्स काण्ड योगी सरकार की अपराधी, अधिकारी और सरकार के गठजोड़ का परिणाम है ऐसे में इस पूरे प्रकरण की फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर दोषियों को अविलम्ब सजा दिलाये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी जी ने पीड़ित परिवारजनों से फोन पर बात की है, वह शीघ्र ही उनके घर भी जायेंगी।
वर्चुअल प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 8 दिनों तक पीड़िता की एफआईआर दर्ज नहीं की गयी और पीड़िता को समुचित इलाज के लिए एयरलिफ्ट करके एम्स भी नहीं ले जाया गया, जो सरकार की संवेदनहीनता दर्शाती है।
सरकार अपराधियों को लगातार बचाती रही और सरकार आधिकारिक तौर पर घटना को फर्जी बताती रही। मुख्यमंत्री जी के सूचना सलाहकार घटना को लगातार फेक न्यूज साबित करने में जुटे रहे। उन्होंने योगी आदित्यनाथ से पूछा कि आखिर इस घटना पर वे चुप क्यों हैं? बात-बात पर ट्वीट करने वाले उत्तर प्रदेश के सांसद एवं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी इस वीभत्स एवं दुःखद घटना पर मौन क्यों हैं?
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा 'मोना' ने प्रेसवार्ता में इस घटना पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार का दोहरा चेहरा बेनकाब हो गया है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली इस सरकार के तीन सालों में अन्याय चरम पर पहुंच गया है और निर्भया काण्ड की पुनरावृत्ति हुई है।
उन्होंने कहा कि वह इस घटना को लेकर सड़क से सदन तक लड़ेंगी और पीड़िता को न्याय दिलायेंगी। यह योगी सरकार को जनता द्वारा दिये गये व्यापक जनमत का अपमान है। योगी सरकार द्वारा स्वयं प्रेसविज्ञप्ति जारी कर पीड़िता के मेडिकल रिपोर्ट में कोई गंभीर चोट न होना बताया जाना सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।