अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का एक साथ चुनाव लड़ने पर फिर फंसा पेंच, चाचा ने बनाई मैनपुरी रैली से दूरी
चुनाव आयोग ने प्रसपा का चुनाव चिन्ह चाबी ही उससे छीन ली है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ( UP Election 2022 ) में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) और चाचा शिवपाल यादव ( Shivpal Yadav ) का एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर सस्पेंस बरकरार है। ताजा सूचना यह है कि सीट शेयरिंग को लेकर चाचा-भतीजा के बीच पेंच फंस गया है। मन मुताबिक संख्या सीट न मिलने की संभावना को देखते हुए आज चाचा शिवपाल यादव ने सपा के गढ़ मैनपुरी ( Mainpuri Rally ) में अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा रैली में शामिल नहीं होंगे।
ताजा अपडेट के मुताबिक अखिलेश यादव चाचा शिवपाल की पार्टी को 403 में से केवल 3 से 4 सीटें देना चाहते हैं। जबकि चचा पहले 100 सीट मांग रहे हैं। 3 से 4 सीटों पर पर चाचा कतई समझौता ( Electoral alliance ) नहीं करने के मूड में हैं। ऐसा करने पर उनका कद गठबंधन में रालोद नेता जयंत चौधरी से भी छोटा हो जाएगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने मैनपुरी रैली से दूरी बना ली है। इससे पहले चर्चा यह थी कि वो आज की रैली में अखिलेश यादव के साथ मंच साझा कर सकते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए कहा जा रहा है कि दोनों के बीच चुनावी गठबंधन का पेंच एक बार फिर फंस गया है।
अखिलश यादव ने की थी शिवपाल यादव से मुलाकात
16 दिसंबर को चुनावी गठबंधन को लेकर अखिलेश यादव ( Akhilesh yadav ) अपने चाचा शिवपाल यादव ( Shivpal yadav ) से लखनऊ स्थित उनके आवास पर पहुंचे थे। दोनों के बीच करीब 45 मिनट लंबी चली मुलाकात के बाद समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन लगभग तय मानकर चला जा रहा था। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करके बताया कि दोनों ही पार्टियों के बीच गठबंधन तय हो गया है। वहीं प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है।
दोनों की मुलाकात से पहले ही सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव शिवपाल के घर में मौजूद थे। मुलाकात के बावजूद यह साफ नहीं हो पाया है कि दोनों के बीच कितनी सीटों पर रजामंदी बनी है लेकिन अब साफ है कि बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव साथ होंगे। शिवपाल यादव की तरफ से कई बार गठबंधन और विलय की पेशकश की जाती रही लेकिन अखिलेश की तरफ से इस पर हमेशा चुप्पी रही। अब फिर सीटों को लेकर मामला वहीं पर जाकर अटक् गया है। ऐसे में बात बिगड़ने पर शिवपाल यादव अकेले चुनाव लड़ सकते है।
2016 से ही दोनों के बीच है सियासी मतभेद
बता दें कि 2016 के अंत में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा तथा कैबिनेट मंत्री शिवपाल के बीच सत्ता और संगठन पर वर्चस्व की जंग शुरू हो गई थी और विधानसभा चुनाव से ऐन पहले एक जनवरी 2017 को अखिलेश को सपा अध्यक्ष बना दिया गया था। बाद में शिवपाल ने सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया था।