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राजनीति

अखिलेश यादव ने मोदी-शाह की काट के लिए खेला Mamata वाला दांव, अब बाहरी बनाम यूपी का दिया 'नारा'

Janjwar Desk
29 Dec 2021 9:06 AM GMT
अखिलेश यादव ने मोदी-शाह की काट के लिए खेला Mamata वाला दांव, अब बाहरी बनाम यूपी का दिया नारा
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अखिलेश यादव ने मोदी-शाह की काट के लिए खेला ममता वाला 'बाहरी बनाम यूपी' दांव।

भाजपा के ताबड़तोड़ सियासी बॉम्बार्डिंग को देखते हुए अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी वाला दांव चल दिया है। जिस तरह पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने 'बाहरी बनाम बंगाल की बेटी' का नारा देकर बीजेपी को रोकने में सफलता पाई थी, उसी तरह अब सपा भी 'बाहरी बनाम यूपी' के जरिए 'मोदी-शाह' की काट निकालने में जुटी गई है।

लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव ( UP Elections 2022 ) में भाजपा को सियासी मात देने के लिए अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी वाला वाला सियासी कार्ड खेल दिया है। दीदी की तर्ज पर उन्होंने ' बाहरी बनाम यूपी' ( Outsider vs UP ) के मुद्दे को चुनावी जनसभाओं में उछालना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि आगामी दिनों में सपा इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा जोर देगी।

दरअसल, इस बार उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा ( BJP ) और सपा ( SP ) के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद है। दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे को घेरने में लगे हैं। इत्र कारोबारी पीयूष जैन का पिछले कुछ दिनों से सियासी होड़ की वजह से चरम पर है। इस मामले में अखिलेश ( Akhilesh Yadav ) के दावों के बावजूद भाजपा की ओर से सपा का घेरने का ताबड़तोड़ सिलसिला जारी है।

बाहरी बनाम यूपी का दांव

अब तो भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ( Amit Shah ) ने भी यूपी में ताबड़तोड़ रैलियों में सपा पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं भाजपा जल्द ही केंद्रीय मंत्रियों, बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य बड़े नेताओं को मैदान में उतार सकती है। भाजपा के ताबड़तोड़ सियासी बॉम्बार्डिंग को देखते हुए अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी वाला दांव चल दिया है। जिस तरह पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने 'बाहरी बनाम बंगाल की बेटी' का नारा देकर बीजेपी को रोकने में सफलता पाई थी, उसी तरह अब सपा भी 'बाहरी बनाम यूपी' के जरिए 'मोदी-शाह' की काट निकालने में जुटी है।

ऐसा कर समाजवादी पार्टी बीजेपी के यूपी सहित राष्ट्रीय स्तर के मजबूत कैडर का तोड़ निकलना चाहती है। दरअसल, भाजपा में यूपी में अपना काडर तो मजबूत है ही, पार्टी की कश्मीर से गोवा तक के बड़े नेताओं को दूसरे राज्यों में प्रचार के लिए भेजती है। ऐसे में 'बड़ी फौज' का मुकाबला करना क्षेत्रीय दलों के लिए कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पीएम मोदी ( PM Modi ) , अमित शाह, राजनाथ सिंह जैसे बड़े नेताओं के सहारे पार्टी के प्रति समर्थन बढ़ाने में कामयाब होती है।

इन पहलुओं को देखते हुए ही बंगाल में जब बीजेपी ने ऐसा किया तो तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बाहरी बनाम 'बंगाल की बेटी' का नारा बुलंद किया था। यही नहीं, कई मौकों पर तो उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली से चुनाव प्रचार के लिए आने वाले नेताओं पर रोक लगनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने कोरोना के प्रसार का भी हवाला दिया था।

तो अब यूपी में होगा खेला होबे

पश्चिम बंगाल में टीएमसी को प्रचंड बहुमत दिलाने वाले 'खेला होबे' की सफलता के बाद समाजवादी पार्टी भी इस नारे को अपनाने में देर कर सियायी चूक नहीं करना चाहती है। 'यूपी में खेला होई' के नारे और पोस्टरों ने साफ कर दिया था कि समाजवादी पार्टी ममता के उन मंत्रों को आजमा सकते हैं, जिनके सहारे दीदी ने बीजेपी का मुकाबला किया। अब एक और कदम बढ़ाते हुए अखिलेश यादव ने अमित शाह को 'बाहरी खिलाड़ी' ( Outsider vs UP ) बताने की कोशिश शुरू कर दी है।

यूपी वाले भाजपा को सियासी स्टेडियम से बाहर फेंकने के तैयार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत से बीजेपी का चौका लगने का दावा करने वाले अमित शाह को जवाब देते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि चौका लगाने की बात करने वालों की गेंद यूपी वाले स्टेडियम से बाहर फेंकने को तैयार बैठे हैं। उनको खेलने के लिए 11 लोग भी नहीं मिलेंगे। बाहर के नॉन-प्लेयिंग खिलाड़ियों से मैच नहीं खेले जाते हैं। जनता कह रही है, वो बस इतना बता दें कि मैच 'हाथरस' में खेलना चाहते हैं या 'लखीमपुर' में?

योगी को निशाने पर लेने की नीति

इस रणनीति के तहत अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कमजोर करने की है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अखिलेश ऐसा सोची-समझी रणनीति के तहत कर रहे हैं। वह जानते हैं कि मोदी की लोकप्रियता अब भी कायम है। दूसरे जिन राज्यों में मोदी के चेहरे पर चुनाव हुआ वहां बीजेपी को अधिक फायदा हुआ। इसलिए, अखिलेश चाहते हैं कि यूपी चुनाव में मैच योगी सरकार के कामकाज के ईर्द-गिर्द ही रहे।

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