Amit Shah ने की राम मंदिर, धारा 370 के बाद कॉमन सिविल कोड लागू करने की बात तो कमलनाथ ने पलटकर दिया ये जवाब
BJP vs Congress : मोदी सरकार ने देशभर में सीएए, राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति के बाद अब समान नागरिक संहिता ( Common Civil Code ) लागू करने के संकेत दिए हैं। इस बात की पुष्टि उस समय हो गई जब दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Amit shah ) ने भोपाल में भाजपा ( BJp ) कोर कमेटी की बैठक में ये कहा कि सीएए ( CAA), राममंदिर ( Ram Mandir ), धारा-370 ( Article 370 ) और ट्रिपल तलाक ( Triple Talaq) जैसे मुद्दों पर अमल हो गया है। अब समान नागरिक संहिता ( Common Civil Code ) को लागू करने की बारी है। इस मुद्दे पर बहुत जल्द हम अमल कर सकते हैं। उनके इस बयान को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ( kamalnath ) ने पलटवार करते हुए कहा है कि मोदी सरकार ( Modi government ) को इसको लेकर आगे आने दें हम देख लेंगे।
शाह ने क्या कहा था
भोपाल में भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पार्टी के नेताओं को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि केंद्र सरकार ने धारा 370, राम जन्मभूमि, तीन तलाक और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) जैसे अधिकांश मुद्दों को हल कर दिया है। कॉमन सिविल कोड जैसे कुछ मुद्दे बचे हैं। उन्हें भी आने वाले वर्षों में हल कर दिया जाएगा। गृहमंत्री ने कहा कि कॉमन सिविल कोड का प्रयोग पहले उत्तराखंड में किया जाएगा। वहां अमल में लाने के बाद हालात का जायजा लेंगे और फिर पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा। यह लोकसभा चुनावों से पहले करने की कोशिश की जा रही है। राम मंदिर, धारा 370 और कॉमन सिविल कोड भाजपा ( BJP ) के तीन मुख्य मुद्दे रहे हैं। राम मंदिर बनाने और धारा 370 को हटाने के मुद्दे हल चुके हैं। ऐसे में कॉमन सिविल कोड ( Common Civil Code ) ही एकमात्र ऐसा मुद्दा है, जो भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में लंबित है। इसे लागू करने का दबाव संघ भी बना रहा है।
कमलनाथ का पलटवार, जब आएगा तो देखेंगे
भोपाल में अमित शाह ( Amit shah ) का कॉमन सिविल कोड लागू करने को लेकर जारी बयान सामने आने के बाद कमलनाथ ( Kamalnath ) ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि यह सब राजनीति हमारे देश की संस्कृति के विपरीत है। जब ये आएगा तो देखेंगे।
BJP vs Congress : क्या है कॉमन सिविल कोड
दरअसल, कॉमन सिविल कोड ( Common civil Code ) यानी सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून वकालत करता है। इस समय भारत में शादी, तलाक, दत्तक और संपत्तियों के उत्तराधिकार को लेकर अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ लागू है। इसे एकरूपता देते के मकसद से यूसीसी ( UCC ) सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात करता है। संविधान में भी इसे लागू करने की बात कही गई है। अलग-अलग धर्मों के विरोध के चलते राजनीतिक पार्टियां इस पर कुछ करने से बचती रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) भी कई मामलों में देश में कॉमन सिविल कोड ( Common civil code ) की जरूरत बता चुका है।
(जनता की पत्रकारिता करते हुए जनज्वार लगातार निष्पक्ष और निर्भीक रह सका है तो इसका सारा श्रेय जनज्वार के पाठकों और दर्शकों को ही जाता है। हम उन मुद्दों की पड़ताल करते हैं जिनसे मुख्यधारा का मीडिया अक्सर मुँह चुराता दिखाई देता है। हम उन कहानियों को पाठक के सामने ले कर आते हैं जिन्हें खोजने और प्रस्तुत करने में समय लगाना पड़ता है, संसाधन जुटाने पड़ते हैं और साहस दिखाना पड़ता है क्योंकि तथ्यों से अपने पाठकों और व्यापक समाज को रू-ब-रू कराने के लिए हम कटिबद्ध हैं।
हमारे द्वारा उद्घाटित रिपोर्ट्स और कहानियाँ अक्सर बदलाव का सबब बनती रही है। साथ ही सरकार और सरकारी अधिकारियों को मजबूर करती रही हैं कि वे नागरिकों को उन सभी चीजों और सेवाओं को मुहैया करवाएं जिनकी उन्हें दरकार है। लाजिमी है कि इस तरह की जन-पत्रकारिता को जारी रखने के लिए हमें लगातार आपके मूल्यवान समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है।
सहयोग राशि के रूप में आपके द्वारा बढ़ाया गया हर हाथ जनज्वार को अधिक साहस और वित्तीय सामर्थ्य देगा जिसका सीधा परिणाम यह होगा कि आपकी और आपके आस-पास रहने वाले लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करने वाली हर ख़बर और रिपोर्ट को सामने लाने में जनज्वार कभी पीछे नहीं रहेगा, इसलिए आगे आयें और जनज्वार को आर्थिक सहयोग दें।)