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राजनीति

Arun Shourie On RSS : मोदी की आर्मी का हिस्सा बन गए RSS नेता, संघ केवल मुखौटा, भाजपा अब पार्टी नहीं सिर्फ चुनावी मशीन - अरुण शौरी

Janjwar Desk
12 April 2022 2:56 PM GMT
Arun Shourie On RSS : मोदी की आर्मी का हिस्सा बन गए RSS नेता, संघ केवल मुखौटा, भाजपा अब पार्टी नहीं सिर्फ चुनावी मशीन - अरुण शौरी
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Arun Shourie On RSS : शौरी ने कहा कि भाजपा को अंदर से कोई खतरा नहीं है क्योंकि उनके पास एक साधन है जो दूसरों के पास नहीं है और वह है आरएसएस का कैडर, आरएसएस तर्क दे रहा है कि उसके एजेंडे को अंजाम दिया जा रहा है....

Arun Shourie On RSS : पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे अरुण शौरी का कहना है कि आरएसएस नेता (RSS) अब मोदी (Narendra Modi) की आर्मी का हिस्सा बन गए हैं और संघ बस एक मुखौटा बनकर रह गया है। शौरी (Arun Shourie) का कहना है कि भाजपा अब पार्टी नहीं एक चुनावी मशीन है जिसके पास आरएसएस है जो दूसरे दलों के पास नहीं है। अगर विपक्ष एकजुट हो जाए तभी भाजपा को चुनौती दे सकता है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे शौरी ने अंग्रेजी समाचार पत्र द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा कि भाजपा को अंदर से कोई खतरा नहीं है क्योंकि उनके पास एक साधन है जो दूसरों के पास नहीं है और वह है आरएसएस का कैडर। आरएसएस तर्क दे रहा है कि उसके एजेंडे को अंजाम दिया जा रहा है। आरएसएस की टॉप लीडरशिप अब सिर्फ मुखौटा है। संघ के दूसरे क्रम के नेता और कैडरों को मोदी ने सहयोजित कर दिया है और अब ये उनकी आर्मी का हिस्सा हैं। वहीं विपक्षी दलों की बात की जाए तो भाजपा को चुनौती देना मुश्किल है क्योंकि यह चुनाव जीतने की मशीन बन गई है। भाजपा को चुनौती देना तभी संभव होगा जब विपक्ष एकजुट हो।

शौरी से जब सवाल किया गया कि क्या उनको लगता है कि बहुसंख्यकों की असुरक्षा से जुड़ा मुद्दा नहीं उठाने के लिए मीडिया दोषी है और इसी वजह से भाजपा की रणनीति इतनी अच्छी तरह से काम कर रही है? इस पर उन्होंने कहा कि ये बात सही है। किसी ने भी आरएसएस की शुरुआती गतिविधियों पर कभी ध्यान नहीं दिया और आज जो हो रहा है उसमें हमारी अनदेखी का भी योगदान है। हम आज की स्थिति को देखकर हैरान हैं जबकि वे तो वहीं कर रहे हैं जो उन्होंने कहा। आरएसएस हमेशा कहता है कि हम जो कहते हैं वहीं करते हैं। लेकिन हमने उनकी ये बात कभी सुनी ही नहीं। इसके अलावा हमने कभी उन लोगों पर ध्यान नहीं दिया जिनको वे इकट्ठा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आरएसएस 1940 के दशक से साधुओं जैसे समूहों को अपने साथ लाने का काम कर रहा है। ये समाज में एक प्रभावशाली समूह है जिन्हें लोग सुनते हैं और इनकी बातों का लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। वहीं हमने कभी यह कोशिश नहीं की कि हम उन तक पहुंचें और ये सुनिश्चित करें कि वे आरएसएस की विचारधारा को फैलाने का माध्यम न बनें। हमारी अनदेखी के कारण आरएसएस के लिए ऐसे लोगों को अपने पाले में करना आसान हो गया।

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