असम में मंत्री ने दी पत्रकार को 'गायब' करने की 'धमकी', कांग्रेस ने की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग
जनज्वार ब्यूरो/गुवाहाटी। असम सरकार के एक मंत्री ने अलग अलग समाचार चैनलों के दो पत्रकारों को ''गायब'' करने की कथित तौर पर धमकी दी है जिन्होंने मंत्री की पत्नी के विवादास्पद चुनावी भाषण की रिपोर्टिंग की थी। इसके तुरंत बाद कांग्रेस ने मांग की कि विधानसभा चुनाव के लिये उनकी उम्मीदवारी रद्द की जाए।
पुलिस के अनुसार उनमें से एक पत्रकार ने मोरीगांव जिले के जागीरोड थाने में प्रदेश के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री पीयूष हजारिका के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है लेकिन अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है।
असम के समाचार चैनल प्रतिदिन टाइम ने एक ऑडियो क्लिप प्रसारित किया था, जिसमें हजारिका को पत्रकार नजरूल इस्लाम से बातचीत करते सुना जा सकता है। इस बातचीत के दौरान मंत्री ने नजरूल और एक अन्य पत्रकार तुलसी को उनके घरों से घसीट कर बाहर निकालने और ''गायब '' करने की धमकी दी।
बीजेपी उम्मीदवार ने फोन पर बातचीत में कहा कि वह दुखी हैं क्योकि उन लोगों ने उनकी पत्नी आइमी बरूवा के विवादास्पद बयान की रिपोर्टिंग की, जो उन्होंने एक चुनावी सभा के दौरान दिया था। यह बातचीत अब वायरल हो रही है। इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को एक ज्ञापन दिया और मंत्री की उम्मीदवारी रद्द करने तथा उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की।
एक वायरल वीडियो में आइमी बरुवा को सभा में यह कहते हुए देखा गया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को स्वीकार नहीं करने वालों को देश से बाहर निकाल दिया जाएगा।
सीएए का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई, जो 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में आए थे, को धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
राज्य में 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे और पांच लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। प्रदर्शनकारियों ने कानून को अपनी सांस्कृतिक पहचान और आजीविका के लिए खतरे के रूप में देखा।
कॉल के दौरान, भाजपा उम्मीदवार ने कहा कि इस्लाम को उनकी पत्नी की खबर दिखाने के लिए परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाना चाहिए और चैनल उसे बचा नहीं सकता। गौहाटी प्रेस क्लब (जीपीसी) ने भी "कड़े शब्दों में डराने की कार्रवाई" की निंदा की और कहा कि एक जनप्रतिनिधि को पत्रकार को गंभीर परिणाम की धमकी देना बहुत असहनीय है।
जीपीसी ने यह भी मांग की कि चुनाव आयोग और राज्य सरकार द्वारा संबंधित पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।