Bihar में बीजेपी को किस बात का डर कि चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने की होने लगी सुगबुगाहट
नई दिल्ली। जेडीयू प्रमुख और सीएम नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) द्वारा भाजपा ( BJP ) का दामन छोड़ बिहार ( Bihar ) में महागठबंधन ( Mahagathbandhan ) का हाथ थामने के बाद से भगवा पार्टी वहां की राजनीति में अलग-थलग पड़ गई थी। इतना ही नहीं, नीतीश कुमार के दिल्ली कूच ने भाजपा ( BJP ) केंद्रीय नेतृत्व को अचानक चौंका दिया। माना जा रहा है कि भाजपा बिहार ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश के असर को भांपते हुए अपनी रणनीति बदल दी है। ताजा रणनीति के तहत भाजपा शीर्ष नेतृत्व ( PM Modi ) ने भी नीतीश को बिहार में पानी पिलाने वाले चिराग पासवान ( Chirag paswan ) को दिल्ली बुलाने का इरादा बना लिया है।
हालांकि, इस बात की किसी ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है लेकिन पटना के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि चिराग पासवान अक्टूबर में केंद्रीय मंत्री बनाए जा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यही माना जाएगा कि नीतीश की इमेज को डेंट करने लिए भाजपा ने अभी से खेल खुरू कर दिया।
तो रामविलास पासवान के चिराग से भाजपा करेगी बिहार में जेडीयू की भरपाई
दरअसल, जिस तेजी से महागठबंधन का हाथ थामते ही सीएम नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) ने पटना से दिल्ली कूच कर गए, उससे साफ है कि वो अपनी अंतिम सियासी पारी खेल हैं। इस अभियान में वो अपने सबसे बड़े सियासी सपनों को पूरा करने के लिए दम-खम के साथ मैदान में उतरे हैं। चूंकि नीतीश के इस चाल से राष्ट्रीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। दिल्ली सियासी गतिविधियों से गुलजार है। इतना ही नहीं नीतीश की इस चाल का असर इतना ही है कि अरविंद केजरीवाल ने भी बिना देर किए पीएम पद की दावेदारी ठोक दी है।
यही वजह है कि भाजपा ( BJP ) ने नीतीश के असर की काट के लिए अपनी चाल चल दी है। इसमें मोदी-शाह की जोड़ी ने एक बार उसी को चुना है, जिसने करीब दो साल पहले नीतीश को बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान पानी पिलाने का काम किया था। अगर पटना के सियासी गलियारों जारी इस चर्चा में दम है तो आप भी मानकर चलिए कि नीतीश को एक बार फिर भाजपा अपने हनुमान Chirag Paswan के सहारे ही पटखनी देने की कोशिश करेगी, लेकिन इस राह में सबसे बड़ी बाधा चिराग की शर्तें हैं, तो क्या मान लिया जाए कि भाजपा ने उन शर्तों को भी मान लिया है।
क्या कहते हैं बिहार भाजपा के नेता
इस मामले में बिहार भाजपा के नेताओं ने कहना है कि यह पूरा मामला केंद्रीय नेतृत्व का है। जेडीयू की भरपाई के लिए भाजपा को कोई न कोई फैसला लेना होगा। इस नुकसान की भरपाई काफी हद तक रामविलास पासवान की पार्टी और उनके बेटे चिराग पासवान ही कर सकते हैं। पुराने सहयोगी होने की वजह से चिराग को एनडीए में आने से कोई परहेज नहीं था लेकिन कुछ शर्तें थीं। भाजपा ने अधिकतर शर्तों को मान लिया है। सबसे बड़ी शर्त चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को एनडीए से बाहर का रास्ता दिखाने की थी। इस पर कम ही संभावना है कि भाजपा नेताओं की मानें तो पशुपति के साथ चार और सांसद हैं। अगर रामविलास का परिवार अलग-अलग होकर लोकसभा में लड़ता है तो एनडीए को ज्यादा फायदा नहीं होगा। भाजपा चिराग को इस पर मना सकती है। चिराग की एक ये भी है कि सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू की एनडीए में एंट्री का दरवाजा हमेशा के लिए बंद करना पड़ेगा। इस पर बात बनी है या नहीं, दोनों तरफ से वरिष्ठ नेता कुछ नहीं बोलने को तैयार नहीं हैं। ताजा घटनाक्रम में बड़ी बात यह है कि चिराग पासवान को गठबंधन में शामिल कराने की पहल भाजपा और केंद्र सरकार की तरफ से ही शुरू की गई है।
वहीं लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रोफेसर विनित सिंह ने भी माना कि चिराग पासवान के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की खबर में पूरा दम है। अभी भादो का महीना और पितृपक्ष चल रहा है। इसके बाद निश्चित तौर पर चिराग मंत्री बनेंगे। फिर आधिकारिक तौर पर मीडिया को इसकी जानकारी भी दी जाएगी। माना जा रहा है कि जिस हिसाब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पलटी मारी है उस हिसाब से गठबंधन का स्वरूप और बड़ा होगा। यही कारण है कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर आने वाले हैं। चुनाव के नजदीक आने पर स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सी पार्टी किस तरफ रहती है।
चिराग पासवान अहम क्यों
लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए का प्रमुख हिस्सा रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा 6 सीटों पर जीती थी और 8.02 फीसदी वोट मिले थे। रामविलास पासवान बिहार के 6 प्रतिशत पासवान वोटों के साथ दलितों के सबसे बड़े चेहरे थे। 8 अक्टूबर 2020 को उनका निधन हो गया। इसी दौरान बिहार में विधानसभा चुनाव शुरू हो गए। एनडीए से अलग होकर चिराग पासवान ने चुनाव लड़ा। उन्होंने सीधे घोषणा कर दी कि वे नीतीश के साथ चुनाव नहीं लड़ सकते। मोदी से कोई बैर नहीं है। चुनाव के बाद लोजपा में बगावत हो गई। चार सांसदों को लेकर रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस केंद्रीय मंत्री बन गए। चिराग ने अलग पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास बना ली थी लेकिन चिराग बीजेपी के लिए अहम बने रहे। इसकी दो प्रमुख वजह हैं। पहली रामविलास पासवान के बेटे होने की वजह से 6 प्रतिशत पासवान वोटों को चिराग ही एनडीए की झोली में डाल सकते हैं। दूसरी बात ये कि वो नीतीश कुमार के धुर विरोधी हैं।