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राजनीति

BJP Operation Lotus लगभग कामयाब, महाराष्ट्र में क्या होगा इस बार

Janjwar Desk
22 Jun 2022 8:52 AM GMT
BJP Operation Lotus लगभग कामयाब, महाराष्ट्र में क्या होगा इस बार
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BJP Operation Lotus लगभग कामयाब, महाराष्ट्र में क्या होगा इस बार

भाजपा का ऑपरेशन लोटस ( BJP Operation Lotus ) एमपी, अरुणाचल प्रदेश, गोवा और कर्नाटक की तरह महाराष्ट्र में कामयाब होने के कगार पर है, लेकिन पार्टी सरकार बना पायेगी या नहीं, इसको लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है।

BJP Operation Lotus : केंद्र में सरकार होने का लाभ उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) ने आठ साल में आठवीं चुनाव जीते बगैर सत्ता पर काबिज होने के लिए ऑपरेशन लोटस ( Operation Lotus Maharashtra ) का इस्तेमाल किया। इस बार भाजपा ने अपने अचूक सियासी ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल उद्धव ठाकरे नेतृत्व वाली महाराष्ट्र में एमवीए सरकार ( MVA Government ) को गिराने के लिए किया है। अभी तक जारी घटनाक्रमों से से तो यही संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा का ऑपरेशन लोटस ( operation lotus bjp ) एमपी, अरुणाचल प्रदेश, गोवा और कर्नाटक की तरह महाराष्ट्र में कामयाब होने के कगार पर है, लेकिन पार्टी सरकार बना पायेगी या नहीं, इसको लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है।

दरअसल, शिवसेना ( Shiv Sena ) ने जो ताजा संकेत दिए हैं उससे लगता है कि भाजपा को सरकार बनाने में यहां पर कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए कि उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) बुधवार देर शाम तक विधानसभा भंग कर नये सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश कर सकते हैं। इस स्थिति में राज्यपाल कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। ऐसे में दो संभावनाएं हैं। या तो भाजपा शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे गुट के साथ सरकार बनाएगी या फिर विधानसभा भंग कर नये सिरे से चुनाव का ऐलान हो सकता है। तब तक के लिए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

फिलहाल, शिवसेना बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने कुछ देर पहले शिवसेना के 56 में से 46 विधायक साथ होने का दावा किया है। इससे ये भी संकेत मिलता है कि भाजपा एकनाथ के साथ हाथ मिलकार सरकार बना सकती है। ऐसा हुआ तो समझ लीजिए कि एकनाथ की बगावत भाजपा के ऑपरेशन लोटस का ही हिस्सा है।

क्या है'ऑपरेशन लोटस' ?

ऑपरेशन लोटस भारतीय जनता पार्टी ( Operation lotus bjp ) की उस पॉलिटिकल स्ट्रैटजी के लिए गढ़ा गया टर्म है, जिसमें सीटें पूरी न होने के बावजूद पार्टी सरकार बनाने की कोशिश करती है। आप ये कह सकते हैं कि भाजपा के लिए बगैर चुनाव जीते सरकार बनाने का सियासी ब्रह्मास्त्र है ऑपरेशन लोटस। पिछले 8 साल में भाजपा स्ट्रेटजी का इस्तेमाल आठवीं पर कर रही है। इससे पहले सात बार में भाजपा को चार जगहों पर सफलता तो तीन जगहों पर विरोधी दल की सरकार को गिराने में असफलता हाथ लगी है। जिन राज्यों में सफलता हाथ लगी उनमें मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा और अरुणाचल प्रदेश का नाम शामिल है। राजस्थान, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में पहली बार सरकार बनाने में भाजपा विफल साबित हुई। महाराष्ट्र में दूसरी बार ऑपरेशन लोटस में भाजपा सफल होती नजर आ रही है। ये बात अलग है कि भाजपा अभी तक खुलकर सामने नहीं आई है।

भाजपा ने 8 साल में आठवीं बार किया ऑपरेशन लोटस ( Operation lotus bjp ) का इस्तेमाल, ये है इतिहास

1. मध्य प्रदेश

एमपी विधानसभा चुनाव 2018 में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस BSP और निर्दलियों के सहारे सरकार बनाने में कामयाब रही लेकिन कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया परेशान थे। इस बात को भांपते हुए BJP के बड़े नेताओं ने सिंधिया से संपर्क साधा और 9 मार्च 2020 को सिंधिया समर्थक 22 विधायकों को चार्टर प्लेन से बेंगलुरु पहुंचा दिया। तमाम कोशिशों के बाद भी सिंधिया नहीं माने और कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई। 20 मार्च 2020 को महज 15 महीने मुख्यमंत्री रहने के बाद कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस सरकार गिर गई। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के नये मुख्यमंत्री बने।

2. राजस्थान

राजस्थान में 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतकर मुश्किल से बहुमत आंकड़ा छुआ था। बसपा और निर्दलियों को कांग्रेस के पाले में कर CM अशोक गहलोत ने अपनी कुर्सी मजबूत करने की कोशिश की। राजस्थान में BJP के नेताओं ने सचिन पायलट से संपर्क कर 11 जुलाई 2020 को गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सचिन समर्थक 18 विधायक गुरुग्राम के एक होटल में पहुंच गए लेकिन गहलोत ने सियासी अनुभव का लाभ उठाते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा को आगे किया और सचिन पायलट से 10 अगस्त 2020 को बातचीत कर मना लिया। यहां भाजपा पर गहलोत भारी पड़े।

3. कर्नाटक

2017 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में BJP 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। BJP नेता बीएस येदियुरप्पा ने CM पद की शपथ भी ले ली, लेकिन फ्लोर टेस्ट पास नहीं कर पाए। सरकार गिर गई। इसके बाद कांग्रेस के 80 और JDS के 37 विधायकों ने मिलकर सरकार बना ली। 2 साल भी पूरे नहीं हुए थे कि पॉलिटिकल क्राइसिस शुरू हो गई। जुलाई 2019 में कांग्रेस के 12 और JDS के 3 विधायक बागी हो गए। कांग्रेस-JDS सरकार के पास 101 सीटें बचीं। बीजेपी की 105 सीटें बरकरार रहीं। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और वहां से फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया गया। सरकार फ्लोर टेस्ट में कुमारस्वामी सरकार फेल हो गई और उन्हें इस्तीफा दे दिया। उसके वहां भी भाजपा की सरकार बनी।

4. महाराष्ट्र

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर 2019 को घोषित हुए थे। BJP-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था। BJP को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। वहीं NCP को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली। CM पद को लेकर BJP और शिवसेना अलग हो गईं। इसके बाद शिवसेना ने NCP और कांग्रेस से हाथ मिलकर सरकार बनाने की घोषणा की, लेकिन इसके एक दिन बाद 23 नवंबर 2019 को ही CM के रूप में देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ले ली। उनके साथ अजित पवार ने भी डिप्टी CM पद की शपथ ली। NCP प्रमुख शरद पवार ने पार्टी के विधायकों को अजित के साथ जाने से रोक लिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया। जब फडणवीस को लगा कि वह बहुमत नहीं हासिल कर पाएंगे तो उन्होंने 72 घंटे में ही CM पद से इस्तीफा दे दिया। यहां BJP की स्ट्रैटजी NCP तोड़कर सरकार बनाने की फेल साबित हु्ई। लेकिन दूसरी बार में भाजपा सफल होने के करीब है।

5. गोवा

फरवरी 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन कांग्रेस 17 सीटों के साथ सबसे बड़ा पार्टी बनकर उभरी। सत्ता की चाबी छोटे दलों और निर्दलियों के हाथ में थी।

मनोहर पर्रिकर ने 21 विधायकों के समर्थन की बात कहते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने उन्हें सरकार गठन का न्यौता देकर सरकार बनवा दी।

6. अरुणाचल प्रदेश

लोकसभा चुनाव 2014 के बाद अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई लेकिन कुछ समय बाद वहां पर पार्टी नेताओं के बीच रंजिश खुलकर सामने आती रही। इसका लाभ 16 सितंबर 2016 को कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और 42 विधायक पार्टी छोड़कर पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हो गए। PPA ने BJP के साथ मिलकर सरकार बनाई।

7. उत्तराखंड

उत्तराखंड में 2012 के विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा रही। कांग्रेस 32 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि BJP को 31 सीटें मिलीं। ऐसे में BJP इस हार को पचा नहीं पा रही थी, लेकिन जैसे ही कांग्रेस ने केदारनाथ आपदा के बाद विजय बहुगुणा को हटाकर 2014 में हरीश रावत को CM बनाया, BJP को यहां उम्मीदें दिखने लगीं। BJP ने बहुगुणा की नाराजगी का फायदा उठाया। 18 मार्च 2016 को बहुगुणा समेत कांग्रेस के 9 विधायक बागी हो गए। उत्तराखंड के स्पीकर ने जब कांग्रेस के 9 बागियों को अयोग्य घोषित कर दिया तो केंद्र सरकार ने उसी दिन राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बागी विधायकों को दूर रखते हुए शक्ति परीक्षण कराया गया। 11 मई 2016 को बहुमत परीक्षण में रावत की जीत हुई। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के चलते यहां पर भी भाजपा का कांग्रेस सरकार को गिराने का पैंतरा काम नहीं आया।

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