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राजनीति

By Election Asansol : शत्रुघ्न सिन्हा को खामोश करने में जुटी BJP, बागी बिहारी TMC को दिला पाएंगे जीत

Janjwar Desk
8 April 2022 6:19 AM GMT
By Election Asansol : शत्रुघ्न सिन्हा को खामोश करने में जुटी भाजपा, बागी बिहारी टीएमसी को दिला पाएंगे जीत
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टीएमसी प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा और भाजपा उम्मीदवार अग्निमित्रा पॉल।

By Election Asansol : बाबुल सुप्रियो और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे लोगों के जीवन में कोई विचारधारा या नीति नहीं है। ये लोग बेपेंदी के लोटा हैं। जिधर हरा चारा दिखता है उसी दिशा में चल पड़ते हैं।

By Election Asansol : पश्चिम बर्दवान के आसनसोल लोकसभा उपचुनाव में वामपंथी पार्टियां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी हैं लेकिन अभी तक जो हालात हैं उसमें टक्कर मुख्य रूप से भाजपा ( BJP ) और टीएमसी ( TMC ) के बीच में है। इस सीट पर जीत दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। भाजपा यहां से जीत हासिल कर हैट्रिक बनाने के साथ बंगाल में ममता की लोकप्रियता को कुंद करने में जुटी है। टीएमसी ममता की लोकप्रियता के दम पर जीत हासिल कर इतिहास रचने पर आमदा है। टीएमसी इस सीट पर अभी तक चुनाव जीत नहीं पाई है।

इस सीट पर टीएमसी ने भाजपा के बागी बिहारी बाबू यानि शत्रुघ्न सिन्हा ( Shatrughan Sinha ) को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने दक्षिण आसनसोल से विधायक अग्निमित्रा पॉल ( Agnimitra paul ) को मैदान में उतारा है। सियासी जानकारों की मानें तो इस बार आसनसोल चुनावी मैदान में मुख्य रूप से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा और भाजपा की उम्मीदवार विधायक अग्निमित्रा पाल के बीच कांटे की टक्कर होगी। ये बात अलग है कि सीपीआईएम (CPIM) के उम्मीदवार पार्थ मुखर्जी इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं।

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के बाबुल सुप्रियो ने इस सीट से चुनाव भारी मतों से जीत दर्ज की थी। 2014 में भी बाबुल सुप्रियो यहां से जीते थे। 2019 में बाबुल को कुल 6 लाख 33 हजार 378 वोट मिले थे, जबकि तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार मुनमुन सेन को कुल 4 लाख 35 हजार 741 वोट मिले थे। सीपीआईएम के गौरांग चटर्जी को 87 हजार 608 वोट मिले थे। बाबुल सुप्रियो ने 1 लाख 97 हजार 637 मतों के अंतर से पहली बार इस सीट से भाजपा को जीत दिलाई थी। पीएम मोदी द्वारा मंत्रिमंडल में शामिल न करने से नाराज बाबुल सुप्रियो इस्तीफा देकर टीएमसी में शामिल हो गए। उसके बाद उन्होंने लोकसभा सीट से भी इस्तीफा दे दिया। उन्हीं के इस्तीफे से यह सीट खाली हुई है। आसनसोल ( By Election Asansol ) सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख 15 हजार 865 है। लोकसभा चुनाव 2019 में 12,38,151 मतदाताओं ने वोटिंग की थी।

टीएमसी के मुकाबले भाजपा के लिए आसान है जीत

भारतीय जनता पार्टी के लिए आसनसोल लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल करना ज्यादा आसान है। पिछले दो बार से यह सीट भाजपा के पास है। आसनसोल ( Asansol ) सीट पर 50 फीसदी मतदाता हिंदी भाषाी हैं। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश मूल के लोगों की आबादी यहां अधिक है। इस सीट पर हिंदू आबादी 70 फीसदी जबकि मुस्लिम आबादी 28 फीसदी है। ममता बनर्जी ने इस बात को ध्यान में रखते हुए बिहारी बाबू को मौका दिया है।

हालांकि, शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) पहले भाजपा में थे। वे भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। उसके बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गए। लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब से लड़े। भाजपा के रवि शंकर प्रसाद ने वहां से हराया था। उसके बाद एक साल पहले बंगाल के विधानसभा चुनाव के दौरान शत्रुघ्न का झुकाव तृणमूल की ओर होता गया। यही वजह है कि ममता दीदी ने उन पर विशेष ममता बरसाई है। शत्रुघ्न सिन्हा के मैदान में उतरने के बाद इस बात की चर्चा जोड़ों पर है कि आखिर हिंदीभाषी मतदाता वोट किसे देंगे। बिहारी बाबू को या भाजपा को।

भाजपा ने खेला स्थानीय बनाम बहारी का कार्ड

भारतीय जनता पार्टी ने ममता की चाल को देखते हुए बाबुल सुप्रियो की जगह पेशे से फैशन डिजाइनर और सिटिंग विधायक अग्निमित्रा पॉल ( Agnimitra paul ) को चुनावी मैदान में उतारा है। इसके साथ ही भाजपा ने उपचुनाव को लोकल बनाम बाहरी बनाने की कोशिश की है। इस पर शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि अगर पीएम मोदी बनारस से चुनाव लड़ सकते हैं तो मैं आसनसोल ( Asalsol ) से चुनाव क्यों नहीं लड़ सकता। बात वाजिब है लेकिन बिहारी बाबू और टीएमसी को यह नहीं भूलने चाहिए कि ममता के लहर के बावजूद अग्निमित्रा पॉल ने दक्षिण आसनसोल से सियासी घोष को हराकर टीएमसी को झटका दिया था। चूंकि, टीएमसी ने विधानसभा चुनाव में स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा बनाया था, इसलिए भाजपा ने उसी हथियार से टीएमसी को मात देने की योजना बनाई है।

शत्रु के खिलाफ अग्निमित्रा के लिए वोट मांग रहे हैं रविशंकर

बिहार के पटना साहिब में रविशंकर प्रसाद ने शत्रुघ्न सिन्हा को चुनावी लड़ाई 2019 में हराया था। वही रविशंकर अब सिन्हा को हराने के लिए अग्निमित्रा पॉल के पक्ष में जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इतना ही नहीं भाजपा नेतृत्व ने राम कृपाल यादव को भी प्रचार करने और पॉल को जिताने के लिए आसनसोल भेजा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव पटना के पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से सांसद हैं। यानि चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आसनसोल के बड़े गैर-बंगाली मतदाताओं के बीच अपना प्रभाव बनाये रखने के लिए बिहार के कई नेताओं पर भरोसा कर रही है।

शत्रु का नहीं है कोई स्थायी ठिकाना

भाजपा प्रत्याशी अग्निमित्रा पॉल ( Agnimitra paul ) ने टीएमसी प्रत्याशी शत्रु पर निशाना साधते हुए कहा कि बाबुल सुप्रियो और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे लोगों के जीवन में कोई विचारधारा या नीति नहीं है। ये लोग बेपेंदी के लोटा हैं। जिधर हरा चारा दिखता है उसी दिशा में चल पड़ते हैं। भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी है और पार्टी के लिए कोई व्यक्तिगत मामला नहीं है। शत्रुघ्न सिन्हा ने पहले भाजपा को धोखा दिया। फिर कांग्रेस को और अब टीएमसी को धोखा देने के लिए यहां आये हैं। ऐसे लोगों को आसनसोन की जनता सबक सिखाएगी। आसनसोल के लोग जानते हैं जिस भाजपा ने शत्रु को दो-दो बार केंद्रीय मंत्री बनाया और वो भाजपा में 28 साल रहे, वो उनके नहीं हुए तो अब यहां के लोगों के कैसे होंगे।

कौन हैं अग्निमित्रा पॉल?

अग्निमित्रा पॉल ने फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र से राजनीति में कदम रखा है। वह पश्चिम बंगाल विधान सभा आसनसोल दक्षिण से विधायक हैं। भाजपा महिला मोर्चा की पश्चिम बंगाल इकाई की अध्यक्ष हैं। 2021 के विधानसभा चुनावों में अग्निमित्र पॉल को आसनसोल दक्षिण सीट से पार्टी द्वारा टिकट दिया गया था। ममता की लहर के बावजूद उन्होंने टीएमसी उम्मीदवार सयानी घोष को हराकर विधानसभा पहुंचने में सफल हुए हैं। राजनीति में आने से पहले वह कोलकाता की फैशन डिजाइनर थीं। वह पश्चिम बंगाल भाजपा की महासचिव भी हैं।

बता दें कि आसनसोल लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं। आजादी के बाद से अभी तक के चुनाव में पहले कांग्रेस, फिर लगातार कम्युनिसट पार्टी और पिछले दो बार से भाजपा प्रत्याशी लोकसभा चुनाव के लिए चुने जाते रहे हैं। टीएमसी यहां से एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाई है। इस लिहाज से भाजपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा की सीट है। जबकि टीएमसी ममता बनर्जी की लोकप्रियता का लाभ उठाकर भाजपा को हर हाल में हराना चाहेगी। ताकि टीएमसी इस सीट से चुनाव जीत कर इतिहास कायम कर सके। साथ ही इस बात का दावा भी करेगी कि दीदी का जलवा आज भी बरकरार है। उपचुनाव 12 अप्रैल को होगा जबकि 16 अप्रैल को नतीजे आएंगे।

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