Congress Crisis : तो एक बार फिर ऐतिहासिक टूट के कगार पर है कांग्रेस!
तो एक बार फिर ऐतिहासिक टूट के कगार पर है कांग्रेस!
नई दिल्ली। यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाम पराजय के बाद एक बार फिर देश की आजादी की पार्टी कांग्रेस में संकट ( Congress Crisis ) गहरा गया है। करीब 137 साल पुरानी पार्टी में नेतृत्व के सवाल पर गुटबाजी इस कदर हावी है कि बीच का रास्ता निकलता दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि, अभी ये नहीं कहा जा सकता है कि कांग्रेस को एक और विखंडन तय है। ऐसा इसलिए कि जी-23 यानि कांग्रेस का असंतुष्ट गुट ( G-23 ) ने केवल नेतृत्व परिवर्तन की मांग सोनिया गांधी से की है।
लेकिन बुधवार को 'असंतुष्ट धड़े' की वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के दिल्ली स्थित निवास पर बैठक और सख्त तेवर से लगता है कि 1999 और 2011 की तरह कांग्रेस एक और टूट की ओर अग्रसर है। जी-23 के नेताओं ने ताजा बैठक में 'सामूहिक और समावेशी नेतृत्व' की बात पर जोर दिया है। असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि हमारा मानना है कि आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका सभी स्तर पर सामूहिक, समावेशी नेतृत्व को अपनाना है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि भाजपा को 2024 में चुनौती देने के लिए एक मजबूत विकल्प की जरूरत है। कांग्रेस हाईकमान सामान्य विचारधारा वाले दलों से बात करे। पार्टी ने एक लेटर भी जारी किया है। इस पर गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और विवेक तन्खा समेत 18 असंतुष्ट नेताओं के हस्ताक्षर हैं। इस बार शशि थरूर का हस्ताक्षर चौंकाने वाला है।
जी-23 की बैठक में कौन-कौन हुए शामिल
गुलाम नबी आजाद के आवास पर हुई डिनर बैठक में पूर्व कांग्रेस नेता शंकर सिंह वाघेला, कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर, मणिशंकर अय्यर, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर, अखिलेश प्रसाद सिंह, भूपिंदर सिंह हुड्डा और पृथ्वीराज चौहान, मणिशंकर अय्यर, पीजे कुरियन, विवेक तन्खा और संदीप दीक्षित व अन्य शामिल हैं।
आजाद के घर पर पहले भी हो चुकी है बैठक
चुनाव रिजल्ट आने के बाद कांग्रेस के भीतर G-23 गुट की यह दूसरी बैठक थी। पिछले सप्ताह शुक्रवार को गुलाम नबी आजाद के घर पर बैठक हुई थी। इसमें मनीष तिवारी, आनंद शर्मा और भूपिंदर सिंह हुड्डा पहुंचे थे। वहीं कई नेता वर्चुअली इस मीटिंग में शामिल हुए थे।
यह बैठक उस समय हुई जब विधानसभा चुनाव नतीजों पर चर्चा के लिए हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में आगे की दिशा तय करने के लिए अप्रैल माह में चिंतन शिविर आयोजित करने का ऐलान हो चुकी है। लेकिन पार्टी के असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी ने चिंतन से पहले ही गांधी परिवार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। दूसरी तरफ पंजाब, यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों के इस्तीफे लेने के बाद सोनिया गांधी ने इन राज्यों में क्रमश अजय माकन, जितेंद्र सिंह, अविनाश पांडे, रजनी पाटिल, जयराम रमेश को संगठनात्मक बदलाव के लिए सुझाव एकत्र करने के निर्देश दिए हैं।
कांग्रेस में जारी विवाद को लेकर आज गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। इस दौरान राहुल और प्रियंका के भी मौजूद रहेंगे। आजाद से हाईकमान G-23 पर फाइनल बातचीत कर सकती हैं।
कांग्रेस में फूट का इतिहास
1. सबसे पहले 1951 में पहली बार उस समय फूट हुआ जब जेबी कृपलानी ने अलग होकर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाई।
2. सी राजगोपालाचारी ने इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई।
3. 1967 में चौधरी चरण ने भारतीय क्रांति दल बनाया।
4. इंदिरा गांधी ने कांग्रेस से बर्खास्तगी के बाद 1989 में कांग्रेस आर बनाई। इसका चुनाव चिन्ह गाय और बछड़ा था। कालांतर में यही पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस बनी जो आज तक कायम है।
5. पूर्व पीएम वीपी सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर जनमोर्चा के नाम से 1988 में नया दल बनाया और प्रधानमंत्री बने।
6. 1998 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस बनाई।
7. 1999 में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, पीए संगमा, तारिक अनवर ने मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस की स्थापना की।
8. 2011 में जगन मोहन रेड्डी ने वायएसआर कांग्रेस बनाई।
9. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, अर्जुन सिंह, माधव राव सिंधिया, नारायण दत्त तिवारी, पी चिदंंबरम आदि नेताओं ने भी कांग्रेस से अलग होकर पार्टियां बनाई। ये बात अलग है कि ये फिर कांग्रेस में लौट आये।